राजस्थान के कोटा जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां चाइल्ड हेल्पलाइन टीम ने समय रहते एक 6 माह की बालिका को उसकी अपनी मां द्वारा बेचे जाने से बचा लिया। यह घटना मंगलवार को महाराव भीम सिंह चिकित्सा परिसर की है, जहां महिला अपनी गोद में बच्ची को लिए अस्पताल परिसर में घूम रही थी और reportedly बच्ची को 2 हजार रुपए में बेचने की बात कर रही थी।
चाइल्ड हेल्पलाइन कोटा की श्रुति शर्मा, जयवीर सिंह, और प्रतीक्षा फाउंडेशन की प्रतीक्षा पारीक को सूचना मिली कि एक महिला अस्पताल परिसर में बच्ची को बेचने की कोशिश कर रही है। सूचना मिलते ही टीम तुरंत मौके पर पहुंची।
जब टीम ने महिला से बात की तो वह मानसिक और आर्थिक रूप से अस्थिर नजर आई। पूछताछ में उसने बताया कि वह अपने पति की तलाश में कोटा आई है, लेकिन आर्थिक तंगी और मानसिक दबाव के कारण उसने बच्ची को बेचने की बात कही।
टीम ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए तुरंत कार्रवाई की। महिला और बच्ची दोनों को बाल कल्याण समिति (CWC) के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ के समक्ष पेश किया गया।
बाल कल्याण समिति ने दोनों की हालत और परिस्थितियों को देखते हुए आदेश दिया कि महिला और बालिका को "बलिया गृह" (अस्थाई आश्रम) में भेजा जाए, ताकि मां-बेटी दोनों की सुरक्षा और देखभाल सुनिश्चित की जा सके।
अधिकारियों के अनुसार, महिला का मानसिक स्वास्थ्य भी जांच के अधीन रखा जाएगा। समिति ने चिकित्सा विभाग से रिपोर्ट मांगी है ताकि आगे की कार्रवाई तय की जा सके। फिलहाल बच्ची सुरक्षित है और देखरेख में रखी गई है।
चाइल्ड हेल्पलाइन टीम की त्वरित कार्रवाई की स्थानीय स्तर पर सराहना की जा रही है। टीम के सदस्य श्रुति शर्मा ने बताया कि “अगर सूचना देर से मिलती, तो मासूम बच्ची के साथ कुछ भी हो सकता था। हमने समय रहते हस्तक्षेप किया और बच्ची को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।”
यह घटना समाज में गरीबी, मानसिक अस्थिरता और महिलाओं की असुरक्षा की ओर भी इशारा करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में सिर्फ कार्रवाई ही नहीं, बल्कि महिला को मनोवैज्ञानिक सहायता और पुनर्वास की भी जरूरत होती है।
बाल कल्याण समिति ने आश्वासन दिया है कि बच्ची की सुरक्षा और देखभाल सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखी जाएगी, और जब तक मां की मानसिक और आर्थिक स्थिति स्थिर नहीं हो जाती, तब तक दोनों को संस्था की देखरेख में ही रखा जाएगा।
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