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पानी के लिए तरसते पाकिस्तान को एक और झटका, भरतपुर से अब नहीं होगी इस चीज की सप्लाई

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कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा है। इस गुस्से की आंच अब भरतपुर के किसानों तक भी पहुंच गई है। वैरा और बयाना उपखंडों के कई गांवों के किसानों ने एक बड़ा फैसला लेते हुए घोषणा की है कि वे अब अपना पान पाकिस्तान नहीं भेजेंगे। इससे पहले आतंकी हमले पर सख्त कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि समझौते को रद्द कर दिया है। जिसके कारण पाकिस्तान के लिए अपनी प्यास बुझाना मुश्किल हो रहा है।

पान की आपूर्ति पाकिस्तान सहित कई अन्य देशों को भी की जाती है।
दरअसल, तमोली समुदाय के किसान वाघरा और बयाना क्षेत्र के खरेरी-बगरैन, खानखेड़ा और उमरैन जैसे गांवों में बड़े पैमाने पर सुपारी की खेती करते हैं। यहां की पत्तियां अपनी विशेष किस्म और स्वाद के लिए जानी जाती हैं, जो दिल्ली के बाजारों के माध्यम से पाकिस्तान समेत कई अन्य देशों को भी सप्लाई की जाती हैं।

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से किसान बहुत दुखी हैं।
ये किसान पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से बहुत दुखी हैं। किसान शेर सिंह ने बताया कि इस घटना के बाद किसानों और व्यापारियों ने मिलकर निर्णय लिया है कि भले ही उन्हें घाटा हो, लेकिन वे अब पाकिस्तान को सुपारी नहीं भेजेंगे।

प्रतिदिन लगभग 60 हजार पत्तियों की आपूर्ति की जाती है।
इन गांवों से प्रतिदिन करीब 60 हजार पत्ते सप्लाई होते हैं। पहले पान की एक टोकरी या बास्केट की कीमत करीब 550 रुपये थी, जो अब पाकिस्तान से आपूर्ति बंद होने के कारण घटकर 450 रुपये रह गई है। इसके कारण किसानों को प्रति टोकरी लगभग 100 रुपये का नुकसान हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि यह फसल लगभग 4 महीने में तैयार हो जाती है और इस दौरान किसान दिन-रात खेतों में जुटे रहते हैं। इस समय बहुत गर्मी है। तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है, इसलिए फसल को बचाने के लिए दिन में 5 से 6 बार सिंचाई करनी पड़ रही है।


पान को स्वादिष्ट बनाने के लिए घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल किया जाता है।
पान के पत्तों को स्वादिष्ट बनाए रखने और उन्हें गर्मी से बचाने के लिए यहां के किसान देशी तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। वे खाद के रूप में घी, दूध और दही के साथ गेहूं और बाजरे के आटे का उपयोग करते हैं। इसी कारण पाकिस्तान के साथ-साथ अन्य मुस्लिम देशों में भी पान की भारी मांग है।

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