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20 साल बाद इस पुराने मामले में Naresh Meena को मिली राहत की सांस, गवाहों की कमी से कोर्ट ने सुनाया फैसला

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देवली-उनियारा विधानसभा से उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रहे नरेश मीना को आज जयपुर महानगर प्रथम की एमएम-20 कोर्ट ने करीब 20 साल पुराने सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में बरी कर दिया। जज खुशबू परिहार ने अपने आदेश में कहा- इस मामले में पुलिस ने कोई स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया। घायल हुआ परिवादी (पुलिस कांस्टेबल) भी ट्रायल के दौरान कोर्ट में पेश नहीं हुआ। ऐसे में नरेश मीना को सबूतों के अभाव में बरी किया जाता है। आज नरेश मीना को टोंक सेंट्रल जेल से जयपुर लाकर कोर्ट में पेश किया गया। नरेश मीना उपचुनाव में एसडीएम को थप्पड़ मारने समेत अन्य मामलों में जेल में बंद है।

विश्वविद्यालय के घूमर कार्यक्रम में किया हंगामा
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार 5 अगस्त 2024 को दोपहर 1 बजे विश्वविद्यालय परिसर में घूमर कार्यक्रम चल रहा था। इस दौरान कांस्टेबल मानसिंह और अन्य पुलिसकर्मी पंडाल के महिला गेट पर ड्यूटी पर थे। उसी समय नरेश मीना, मान सिंह मीना अपने अन्य साथियों के साथ आए और जबरन मंच की ओर बढ़ने लगे। पुलिस ने उन्हें रोका और समझाने का प्रयास किया। वे नहीं माने और जबरन मंच की ओर बढ़ने लगे। इस पर पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। इस दौरान नरेश मीना और मान सिंह मीना ने भीड़ को उकसाया और कहा कि इन पुलिसकर्मियों को पीट दो। इस पर भीड़ में से किसी ने पुलिस पर पत्थर फेंका। यह पत्थर ड्यूटी पर तैनात कांस्टेबल की आंख पर लगा। जिससे उसकी आंख से खून बहने लगा। घायल पुलिस कांस्टेबल की रिपोर्ट पर पुलिस ने गांधी नगर थाने में मामला दर्ज किया।

शिकायतकर्ता कांस्टेबल बयान देने तक नहीं आया
मामले में बहस करते हुए नरेश मीना के वकील अब्दुल वाहिद नकवी ने कहा कि इस मामले में अभियोजन पक्ष के सभी गवाह पुलिसकर्मी हैं। इसमें पुलिस ने एक भी स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया। जहां घटना हुई, वहां बड़ी संख्या में अन्य छात्र और शिक्षक मौजूद थे। गवाह के तौर पर पुलिसकर्मी संदेह से परे नहीं हो सकते। वहीं, शिकायतकर्ता कांस्टेबल ट्रायल के दौरान बयान दर्ज कराने तक नहीं आया। इसके साथ ही उन्होंने कहा- मामले में जांच अधिकारी ने घटनास्थल का नक्शा बनाने और घायल व्यक्ति का मेडिकल परीक्षण कराने की जानकारी भी डायरी में दर्ज नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट पाया है कि जब भी कोई पुलिसकर्मी सरकारी काम से थाने से बाहर जाएगा और वापस आएगा तो उसे डायरी में दर्ज करेगा। जरूरत पड़ने पर कोर्ट में साक्ष्य के तौर पर पेश करेगा।

थप्पड़ मामले में जमानत खारिज
देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान हुए थप्पड़ कांड में हाईकोर्ट ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीना की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। 19 मार्च को हुई सुनवाई में जस्टिस अनिल उपमन की कोर्ट ने नरेश मीना को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इससे पहले हाईकोर्ट ने विधानसभा उपचुनाव के दौरान समरावता गांव में हुई हिंसा के मामले में नरेश मीना की जमानत याचिका 12 फरवरी को खारिज कर दी थी। कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि मामले में चालान पेश होने मात्र से आरोपी जमानत का लाभ पाने का हकदार नहीं हो जाता। कोर्ट ने कहा था कि ऐसे अपराधियों को जमानत के लाभ से वंचित करना सही है। आरोपी ने चुनाव प्रक्रिया में बाधा डाली। यह भी स्पष्ट तथ्य है कि अगर आरोपी ने सोशल मीडिया के जरिए अपने समर्थकों को इकट्ठा न किया होता और उन्हें भड़काया न होता तो हिंसा नहीं होती।

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