राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से रविवार को बड़ी खुशखबरी सामने आई है। पार्क में रहने वाली बाघिन रानी ने पांच शावकों को जन्म दिया है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल मां और सभी शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें विशेष निगरानी में रखा गया है। इस खबर से पूरे पार्क स्टाफ और वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
बाघिन रानी पहले भी मातृत्व का सुख प्राप्त कर चुकी है। लगभग 11 महीने और 17 दिन पहले, रानी ने तीन शावकों को जन्म दिया था, जो अब बड़े होकर स्वस्थ अवस्था में पार्क में घूम रहे हैं। इस बार पांच शावकों का जन्म होना न केवल नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क बल्कि पूरे राजस्थान के वन्यजीव संरक्षण के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
पार्क के अधिकारियों ने बताया कि बाघिन और उसके नवजात शावकों के लिए विशेष प्रबंधन किया गया है। उन्हें एक अलग, शांत और सुरक्षित बाड़े में रखा गया है, ताकि रानी बिना किसी तनाव के अपने शावकों की देखभाल कर सके। साथ ही, शावकों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए अनुभवी पशु चिकित्सकों की टीम लगातार निगरानी कर रही है।
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, बाघों की संख्या में वृद्धि का यह संकेत राजस्थान के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के लिए बेहद उत्साहजनक है। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क, जो अपने प्राकृतिक वातावरण और विविध जीव-जंतुओं के लिए जाना जाता है, अब एक बार फिर से बाघ संरक्षण का महत्वपूर्ण केंद्र बनता जा रहा है।
पार्क के प्रभारी अधिकारी ने मीडिया को बताया, "यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। रानी का स्वस्थ रहना और पांच शावकों को जन्म देना दर्शाता है कि पार्क का वातावरण बाघों के लिए अनुकूल है। हम इन शावकों के विकास के हर चरण को सावधानीपूर्वक मॉनिटर करेंगे।"
उल्लेखनीय है कि देशभर में बाघों की संख्या बढ़ाने के प्रयासों के तहत राजस्थान सरकार और वन विभाग लगातार कार्य कर रहे हैं। ऐसे में नाहरगढ़ में पांच नए शावकों का जन्म वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
पार्क प्रशासन ने फिलहाल आम पर्यटकों के लिए बाघिन रानी और उसके शावकों के बाड़े को बंद कर दिया है, ताकि शावकों को पूरी तरह से सुरक्षित और शांत वातावरण मिल सके। अधिकारियों ने बताया कि जब शावक कुछ बड़े हो जाएंगे और स्वतंत्र रूप से घूमने लगेंगे, तब उन्हें सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने पर विचार किया जाएगा।
वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों ने इस खबर पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि बाघों की आबादी में वृद्धि जैव विविधता के संतुलन के लिए बेहद जरूरी है। नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क की यह उपलब्धि वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने में भी सहायक होगी।
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