यह विश्वास करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन उर्मिला मातोंडकर राम गोपाल वर्मा की फिल्म दौड़ में रंगीला से भी ज्यादा आकर्षक थीं। वह दौड़ को याद करते हुए कहती हैं, "बिल्कुल शानदार!!! एक पागल, मजेदार, विचित्र, और सेक्सी जॉयराइड। यह एक पूर्ण मनोरंजन है, जो अपने समय से आगे था। इसे फिल्म के गीत ये जीना यारो दौड़ है में संक्षेप में बताया गया है।"
राम गोपाल वर्मा की निराशा
आज भी राम गोपाल वर्मा यह नहीं समझ पाते कि दौड़ क्यों असफल रही। वह कहते हैं, "मैंने हमेशा अपनी फिल्मों में वही जुनून डाला है, चाहे वह रंगीला हो या दौड़। बहुत से लोग कहते हैं कि दौड़ अपने समय से आगे थी, लेकिन जब यह रिलीज हुई थी, तब इसे मेरी अन्य फिल्मों से ज्यादा नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।"
मनोज बाजपेयी और इरफान खान की कहानी
एक कहानी के अनुसार, मनोज बाजपेयी और इरफान खान दोनों को दौड़ में परेश रावल के गुंडे की भूमिका के लिए विचार किया जा रहा था। अंततः मनोज को यह भूमिका मिली। मनोज का कहना है कि रामू ने उन्हें दौड़ में एक छोटे रोल के लिए मिलने के लिए बुलाया था, लेकिन जब वह पहुंचे, तो इरफान और अभिनेता विनीट कुमार पहले से ही वहां थे। मनोज का दावा है कि उन्होंने अपने दो प्रतिस्पर्धियों से यह भूमिका छीन ली।
रामू का दृष्टिकोण
हालांकि, रामू का इस पर अलग नजरिया है। वह कहते हैं, "नहीं, इरफान को दौड़ के लिए कभी नहीं सोचा गया। जब दौड़ बन रही थी, तब मैं उन्हें जानता भी नहीं था। मैंने मनोज को शेखर कपूर की बैंडिट क्वीन में देखा था और उन्हें दौड़ में भूमिका दी।"
इरफान के साथ काम न कर पाने का अफसोस
रामू ने इरफान को कब जाना? "हमें दौड़ के काफी समय बाद मिलवाया गया। हम कभी साथ में काम नहीं कर पाए। मुझे नहीं पता क्यों! यह बस एक ऐसा मामला है जो कभी नहीं हुआ। अब मुझे इसका अफसोस है। हम एक विशेष जादू पैदा कर सकते थे। मुझे लगता है कि वह एक ऐसा अभिनेता थे जो कुछ भी कर सकते थे।"
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