बिल्कुल गन्ने की तरह दिखने वाली सुपर नेपियर घास जो मूल रूप से थाईलैंड में उगाई जाती है जिसे हम लोग भारत में हाथी घास के नाम से भी जानते हैं, यह घास किसानों के साथ-साथ पशु पालकों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। हाथी घास में वे सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो एक दुधारू पशु के आहार में जरूरी होते हैं। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। ।
नेपियर घास से पशुओं के दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होती है और इसके साथ किसान इसकी व्यावसायिक खेती भी कर सकते हैं। किसान इसका हरा चारा बेचकर काफी अच्छी कमाई भी कर सकते हैं। आज के आलेख में हम आपको कृषि के लिए लाभदायक व पशुओं के लिए उपयोगी इस घास की विशेषताओं से अवगत कराएंगे।
बंजर धरती पर भी कर सकते हैं इसकी पैदावारखास बात यह है कि इस घास की खेती सूखा प्रभावित क्षेत्र और बंजर जमीन में भी की जा सकती है। कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि एक्सपर्ट डॉक्टर एन सी त्रिपाठी ने बताया कि सुपर नेपियर घास में सामान्य हरे चारे के मुकाबले 80 से 20% तक प्रोटीन और 35% क्रूड फाइबर देखने को मिलता है।
नेपियर घास की एक बार रोपाई के बाद अगले 5 से 6 वर्ष तक पशुचर्य का उत्पादन लिया जा सकता है। नेपियर घास की पैदावार भी बहुत तेजी से होती है। एक बार में ही घास 15 फीट तक लंबी बन जाती है। कम सिंचाई में भी नेपियर घास हर 50 दिन में अच्छी कटाई के लिए तैयार हो जाती है। कटाई तने से थोड़ा ऊपर ही की जाती है जिससे जड़ से लगा हुआ तना दोबारा घास की पैदावार दे सके।
इस तरह करें ने नेपियर घास की खेतीडॉक्टर एन सी त्रिपाठी ने बताया कि नेपियर घास की रोपाई के लिए सबसे पहले गहरी जुताई करनी होती है। आखिरी जुताई से पहले खेत में गोबर या कंपोस्ट खाद डालकर पाटा चलाकर खेत को समतल कर देना होता है। इसके बाद नेपियर घास की जड़ या कलमों से खेत के तीन-तीन फीट की दूरी पर रोपाई करनी होती है।
एक एकड़ जमीन पर 300 से 400 क्विंटल तक की होती है उपजडॉक्टर त्रिपाठी द्वारा यह भी बताया गया कि एक बार रोपाई के बाद हर 40-50 दिन में ताजा घास का उत्पादन मिल जाता है। एक एकड़ खेत में नेपियर घास की खेती करीब 300 से 400 क्विंटल तक की हो जा जाती है। कटाई के बाद उसकी शाखाएं दोबारा बढ़ने को अग्रसर होने लगती हैं। अच्छा उत्पादन लेने के लिए यूरिया का कुछ मात्रा में छिड़काव करना लाभदायक होता है।
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