नई दिल्ली: यह कहानी अवध के उस नवाब की है, जिसे “रंगीला नवाब” कहा जाता है। वह हमेशा महिलाओं से घिरा रहता था और रास-रंग में डूबा रहता था। यह देश का एकमात्र नवाब था, जिसकी सुरक्षा महिला अंगरक्षक करती थीं।उसने खासतौर पर अफ्रीकी अश्वेत महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए नियुक्त किया था। उसने आधिकारिक रूप से 365 शादियां की थीं, और तलाक देने के मामले में भी शायद ही कोई उसके बराबर पहुंचा हो। महज आठ साल की उम्र में उसका पहला संबंध एक अधेड़ उम्र की सेविका के साथ बना। अवध के नवाब वाजिद अली शाह का नाम तो सभी ने सुना होगा। पाक कला से लेकर नृत्य और अन्य कलाओं में उनका योगदान अद्भुत था। लेकिन वह हद दर्जे के रसिक भी थे। उनका अधिकतर समय हिजड़ों, सुंदर महिलाओं और सारंगी वादकों के बीच बीतता था।
हर दिन नई शादी जीवन के एक दौर में नवाब वाजिद अली शाह रोज़ाना एक या उससे अधिक शादियां करते थे। कहा जाता है कि उन्होंने साल के दिनों से भी ज्यादा विवाह किए थे।
अंग्रेजों ने किया निर्वासित जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कर लिया और नवाब को कोलकाता जाने पर मजबूर कर दिया, तो उन्होंने वहां भी लखनऊ जैसी ही दुनिया बसाने की कोशिश की। औरंगजेब की मृत्यु के बाद भारत में तीन बड़े राज्य उभरे, जिनमें अवध भी शामिल था। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। । लगभग 130 वर्षों तक यह राज्य अस्तित्व में रहा, लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया।
नवाब की रानियों का महल कोलकाता में नवाब ने नदी किनारे “गार्डन रिज” नाम की अपनी जागीर बसाई, जहां उन्होंने जीवन के अंतिम 30 वर्ष बिताए। इसी जागीर में एक चिड़ियाघर था और एक “परीखाना”, जहां उनकी सभी पत्नियां रहती थीं। वाजिद अली शाह अपनी पत्नियों को “परियां” कहा करते थे। “परी” उन बांडियों को कहा जाता था, जो नवाब को पसंद आ जाती थीं और जिनसे वह अस्थायी विवाह कर लेते थे। अगर कोई “परी” नवाब के बच्चे की मां बन जाती, तो उसे “महल” कहा जाता था।
375 से अधिक विवाह उनकी पत्नियों की संख्या को लेकर उनकी आलोचना भी होती थी। लेखिका रोजी लिवेलन जोंस के अनुसार, अपने जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने लगभग 375 शादियां की थीं। उनके वंशजों के अनुसार, नवाब इतने पवित्र व्यक्ति थे कि वे किसी महिला को अपनी सेवा में तभी रखते थे, जब उससे अस्थायी विवाह कर लेते थे। उनका मानना था कि किसी स्त्री के साथ अकेले रहना तभी उचित है, जब वह उसकी पत्नी हो।
अफ्रीकी पत्नियां 1843 में नवाब ने यास्मीन महल नामक एक अफ्रीकी महिला से विवाह किया। उसके छोटे, काले, घुंघराले बाल थे और उसकी शक्ल-सूरत हिंदुस्तानियों से अलग थी। उनकी दूसरी अफ्रीकी पत्नी का नाम अजीब खानम था।
नवाब का पहला संबंध रोजी जोंस की किताब के अनुसार, नवाब का पहला संबंध आठ साल की उम्र में एक अधेड़ सेविका से बना था, जिसने जबरदस्ती नवाब के साथ यह संबंध बनाए। यह सिलसिला दो साल तक चला। बाद में जब वह सेविका चली गई, तो अमीरन नाम की दूसरी सेविका आई, जिससे भी नवाब के संबंध बने।
परीखाना: नवाब की आत्मकथा वाजिद अली शाह ने अपनी आत्मकथा भी लिखवाई, जिसका नाम “परीखाना” था। इसे “इश्कनामा” भी कहा जाता है। नवाब ने लगभग 60 किताबें लिखीं, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने उनके संग्रहालय से उनकी कई किताबें गायब कर दीं।
अंतिम समय में पत्नियों को छोड़ना पड़ा जब अंग्रेजों ने नवाब को लखनऊ से कोलकाता भेजा, तो उन्होंने पहले ही कई अस्थायी और स्थायी पत्नियों को छोड़ दिया था। कोलकाता जाकर भी उन्होंने थोक के भाव में शादियां कीं और उसी रफ्तार से उन्हें तलाक भी दिया। अंग्रेज इस कृत्य से नाराज थे, और नवाब धीरे-धीरे आर्थिक तंगी में फंसते चले गए। मुआवजे और कर्मचारियों के वेतन के बोझ के कारण वह कर्ज में डूबने लगे। 21 सितंबर 1887 को नवाब वाजिद अली शाह का निधन हो गया।
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