भुवनेश्वर, 17 अगस्त . आरएसएस के वरिष्ठ नेता राम माधव ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर ‘संविधान विरोधी’ होने के आरोपों को खारिज कर दिया और कांग्रेस द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया.
राम माधव ने एक कार्यक्रम को संबोधित हुए करते कहा कि आरएसएस ने 1950 में संविधान को अपनाने के बाद से हमेशा इसका सम्मान किया है. उन्होंने कहा कि 1950 में जब संविधान को अपनाया गया था, तब तत्कालीन सरसंघचालक ने स्वयं इसे हमारा संविधान बताया था और प्रत्येक नागरिक से इसका सम्मान करने का आग्रह किया था. वर्तमान सरसंघचालक ने भी कम से कम चार बार दोहराया है कि यह हमारा संविधान है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए.
माधव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “इसके बावजूद, संघ पर संविधान के विरुद्ध होने के झूठे आरोप लगाए जाते हैं. कुछ तो ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाने की हद तक चले जाते हैं. यह कैसा तर्क है? ओडिशा में आपका वोट प्रतिशत घटकर 13 प्रतिशत रह गया, क्या वह ‘वोट चोरी’ की वजह से था? जब आप जीतते हैं, तो ‘वोट चोरी’ की बात नहीं होती, लेकिन जब आप हारते हैं, तो आप ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाते हैं. कर्नाटक में भी, जब भाजपा एक सीट जीत गई, तो आपने ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया. ऐसे आरोप आरएसएस को बदनाम करने और चुनाव आयोग एवं भारत के संविधान की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के अलावा और कुछ नहीं हैं.
उन्होंने याद दिलाया कि संविधान निर्माण के दौरान भी कांग्रेस के भीतर मतभेद थे. माधव ने कहा, “कई कांग्रेस सदस्यों ने चिंता जताई थी कि गांधी के विचार संविधान में पर्याप्त रूप से प्रतिबिंबित नहीं हुए, लेकिन एक बार जब इसे अपनाया गया तो संघ ने बाकी सभी के साथ इसे स्वीकार किया और इसका सम्मान करने का फैसला किया.
उन्होंने संगठन के गैर-राजनीतिक स्वरूप पर कहा कि आरएसएस राष्ट्रहित और देश की संस्थाओं के हित में काम करता है. यह कोई राजनीतिक संगठन नहीं है. हमारा दृष्टिकोण राष्ट्र के लिए है और हम उन सभी के साथ खड़े हैं जो देश के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं.
माधव ने यह भी दावा किया कि कई कांग्रेसी नेता जो सार्वजनिक रूप से आरएसएस का विरोध करते हैं, निजी तौर पर उसकी विचारधारा की सराहना करते हैं. उन्होंने कहा कि अपने निजी अनुभव से मैं कह सकता हूं कि कांग्रेस के कई नेता जो संघ के आलोचक हैं, वास्तव में हमारे विचारों को समझते हैं और अक्सर उनका समर्थन करते हैं.
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एएसएच/डीकेपी
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