नई दिल्ली, 27 मई . आईआईटी दिल्ली ने अपने अंडरग्रेजुएट (यूजी), पोस्टग्रेजुएट (पीजी) और पीएचडी कार्यक्रमों के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया है. आईआईटी दिल्ली के मुताबिक, प्रत्येक कार्यक्रम और पाठ्यक्रम की व्यापक समीक्षा के बाद नया स्वरूप दिया गया है.
आईआईटी दिल्ली के ये सभी नए पाठ्यक्रम इसी सत्र यानी शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से लागू किए जाएंगे. आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंजन बनर्जी ने इन बदलावों पर कहा, “हमने अपने पाठ्यक्रमों की व्यापक समीक्षा कर उन्हें नए युग के अनुरूप बनाया है. ये बदलाव छात्रों को व्यावहारिक, लचीली और भविष्य के लिए तैयार करने वाली शिक्षा प्रदान करेंगे.”
गौरतलब है कि आईआईटी दिल्ली लगभग हर 10 वर्षों में अपने पाठ्यक्रमों की समीक्षा करता है. इस बार पाठ्यक्रमों की समीक्षा प्रक्रिया की शुरुआत वर्ष 2022 में की गई थी. इस दौरान हजारों छात्रों, पूर्व छात्रों और उद्योग विशेषज्ञों से विस्तृत फीडबैक लिए गए. आईआईटी का कहना है कि नए शैक्षणिक पाठ्यक्रम नई आवश्यकताओं व चुनौतियों को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं. इनमें कई मुख्य विशेषताएं हैं. नया पाठ्यक्रम आउटकम-आधारित, लचीला और व्यावहारिक अनुभव पर आधारित है.
इसमें छात्रों को जनरल इंजीनियरिंग, बेसिक साइंसेज और ह्यूमैनिटी विषयों में विकल्प चुनने की स्वतंत्रता मिलेगी. माइनर डिग्री या स्पेशलाइजेशन प्राप्त करने का विकल्प भी होगा. वहीं, आईआईटी के बी.टेक ऑनर्स प्रोग्राम अब एक वैकल्पिक ऐड-ऑन के रूप में उपलब्ध होगा. छात्र तीसरे वर्ष के अंत में एम.टेक प्रोग्राम के लिए आवेदन कर सकते हैं और पांच वर्षों में बीटेक व एमटेक दोनों डिग्रियां प्राप्त कर सकते हैं.
आईआईटी का कहना है कि पूरी शिक्षण पद्धति में बड़ा बदलाव किया गया है. छात्रों को पहले वर्ष से ही विभागीय जानकारी और प्रयोगशालाओं से जोड़ा जाएगा. सभी पहले वर्ष के कोर्स अब छोटे बैचों में कराए जाएंगे. पाठ्यक्रमों में पर्यावरण, सतत विकास, रचनात्मकता और नैतिकता को शामिल किया गया है. कोडिंग शिक्षा में नवाचार को प्रोत्साहित किया गया है. प्रोग्रामिंग की शुरुआती पढ़ाई में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित कोड जनरेटर को शामिल किया गया है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि छात्र जटिल समस्याओं को जल्दी और बेहतर तरीके से हल करना सीख सकें. क्रेडिट सिस्टम में भी बदलाव किया गया है. सभी कार्यक्रमों में क्रेडिट थोड़े कम किए गए हैं ताकि छात्र अधिक वैकल्पिक कोर्स चुन सकें और ऑनर्स, माइनर, स्पेशलाइजेशन या ड्यूल डिग्री का लाभ उठा सकें.
पोस्टग्रेजुएट और रिसर्च प्रोग्राम में भी बदलाव किए गए हैं. एमटेक व एमएस (रिसर्च) कार्यक्रम अब उद्योग से जुड़ाव और प्रोजेक्ट-आधारित लर्निंग पर केंद्रित होंगे. दो अनिवार्य घटक – कैपस्टोन प्रोजेक्ट और समर इंटर्नशिप – छात्रों को इंडस्ट्री-रेडी बनाएंगे. थीसिस अब उद्योग में भी की जा सकेगी और एमटेक या एमएसआर करते हुए पीएचडी में परिवर्तन का विकल्प भी होगा.
पीएचडी पाठ्यक्रम को औपचारिक रूप से ढांचे में शामिल किया गया है, जिसमें स्वतंत्र शोधकर्ता तैयार करने और ट्रांसफरेबल स्किल्स, नैतिक अनुसंधान, और उद्योग-सम्बंध पर बल दिया गया है. नए शैक्षणिक कार्यक्रम 2025-26 से शुरू हो रहे हैं. बी.टेक इन डिजाइन के लिए जेईई एडवांस्ड की योग्यता आवश्यक है. बीएस इन केमिस्ट्री–आईआईटी दिल्ली का पहला बीएस कार्यक्रम होगा. एम.टेक इन फोटोनिक्स में गेट या समकक्ष योग्यता से दाखिला होगा.
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जीसीबी/डीएससी/जीकेटी
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