शिमला, 2 नवंबर . हिमालय की ऊंचाइयों और खतरनाक पहाड़ों के बीच बसी Himachal Pradesh की ट्रांस-हिमालयन भूमि में प्रकृति का अद्भुत खजाना है. इस क्षेत्र में न केवल खूबसूरत परिदृश्य हैं, बल्कि जीव-जंतुओं की कई दुर्लभ प्रजातियां भी पाई जाती हैं. इनमें सबसे खास है हिम तेंदुआ.
राज्य ने हाल ही में हिम तेंदुए की दूसरी राज्य-स्तरीय जनसंख्या सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक ट्रांस-हिमालयन क्षेत्र में 83 हिम तेंदुए हैं. यह संख्या 2021 के आकलन की तुलना में 51 से काफी ज्यादा है.
राज्य के वाइल्डलाइफ विभाग ने नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन के सहयोग से 2024-25 में 26,000 वर्ग किलोमीटर में हिम तेंदुए की गिनती की. यह क्षेत्र ऊंचे और खतरनाक पहाड़ों, गहरी घाटियों और मुश्किल पहुंच वाले इलाकों से भरा है, विशेष रूप से सर्दियों में. सर्वेक्षण के दौरान यह पाया गया कि हिम तेंदुए की संख्या हर 100 वर्ग किलोमीटर में 0.16 से 0.53 तक पाई गई. राज्य में औसतन यह घनत्व 0.35 हिम तेंदुए प्रति 100 वर्ग किलोमीटर था.
खासतौर से ऊपरी स्पीति और पिन क्षेत्र, जो लाहौल-स्पीति जिले में हैं, में हिम तेंदुओं की संख्या सबसे ज्यादा पाई गई. इसके अलावा, किन्नौर और टैबो क्षेत्र भी उन स्थानों में शामिल हैं, जहां इनकी अधिकता है. इसके विपरीत, लाहौल-पांगी और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (जीएचएनपी) में हिम तेंदुओं की संख्या अपेक्षाकृत कम रही. सर्वेक्षण ने यह भी बताया कि हिम तेंदुए अपने क्षेत्र में औसतन 5.2 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं.
Himachal Pradesh के अलावा, हिम तेंदुए India में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में भी पाए जाते हैं.
हेमिस-स्पीति क्षेत्र दुनिया के उन 20 क्षेत्रों में शामिल है, जहां हिम तेंदुए की स्वस्थ और सुरक्षित आबादी बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं. हिमाचल की ऊंचाइयों पर रहने वाले ब्लू शीप, आइबेक्स, और हिमालयन मस्क हिरण हिम तेंदुए के मुख्य शिकार हैं. इनके अलावा, यहां भालू, तेंदुआ, लोमड़ी, स्टोन मार्टेन, पर्वतीय वीसल और मार्टेन जैसे अन्य स्तनधारी जीव जंतु भी पाए जाते हैं.
इस सर्वेक्षण में 262 अलग-अलग घटनाओं में हिम तेंदुओं को देखा गया और 44 अलग-अलग व्यक्तियों की पहचान हुई. इस डेटा के आधार पर वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि राज्य में कुल 83 हिम तेंदुए (67-103 के बीच) हो सकते हैं. कम हिम तेंदुआ वाले क्षेत्रों में लगभग 24 हिम तेंदुए हैं, जबकि उच्च हिम तेंदुआ वाले क्षेत्रों में संख्या 59 के करीब है.
सर्वेक्षण में कैमरा ट्रैपिंग तकनीक का उपयोग किया गया, जिसने केवल हिम तेंदुआ ही नहीं, बल्कि किन्नौर में पहली बार पल्लास बिल्ली और कई दशकों बाद उड़ने वाली ऊनी गिलहरी की उपस्थिति भी दर्ज की.
दूसरे सर्वेक्षण में हिम तेंदुओं की संख्या 83 पाई गई, जो 2021 के पहले सर्वे में 51 की तुलना में काफी अधिक है. कई इलाकों में बच्चे भी देखे गए, जिससे यह साफ है कि यहां सक्रिय प्रजनन हो रहा है. सर्वेक्षण ने यह भी दर्शाया कि हिम तेंदुए कुछ क्षेत्रों में स्थायी रूप से रहते हैं, जबकि कुछ अन्य इलाकों में घूमते हुए अपने क्षेत्र की खोज कर रहे हैं.
–
पीके/एएस
You may also like

IND vs SA, Womens World Cup 2025 Prize Money: वर्ल्ड कप जीतते ही महिला टीम इंडिया पर बरसा पैसा, हारकर भी करोड़ों में खेलेगी साउथ अफ्रीका

अरुण कुमार श्रीवास्तव 'शम्स गोरखपुरी' की पुस्तक 'तखलीक- ए-अरुण' का भव्य विमोचन

भारत ने रचा इतिहास: 52 साल बाद पहली बार महिला वनडे विश्व कप की चैंपियन बनी टीम इंडिया

महिला टीम की दृढ़ता, कौशल और अदम्य साहस ने देश को अपार गौरव दिलाया: उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन

कोलकाता में कपल का रोमांस: सड़क पर वायरल वीडियो ने बढ़ाई बहस




