New Delhi, 17 सितंबर . करी पत्ता न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि शरीर को भी मजबूत बनाता है. यह मानसिक बीमारियों के साथ-साथ कैंसर और डायबिटीज जैसी जानलेवा बीमारियों में भी असरदार साबित हो सकता है.
अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, करी पत्ते को न्यूरोप्रोटेक्टिव कहा जाता है, क्योंकि यह दिमाग की बीमारियों जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन में राहत दे सकता है.
एक स्टडी में पाया गया कि करी पत्ते के अर्क से याददाश्त और दिमाग की कोशिकाएं ज्यादा स्वस्थ रहती हैं. इसमें मौजूद आइसो लोंगिफोलीन नामक तत्व दिमाग की कोशिकाओं को टूटने से बचाता है और दिमाग के जरूरी एंजाइम्स को संतुलन में रखता है.
करी पत्ता रेडिएशन और कीमोथेरेपी जैसी मेडिकल प्रक्रियाओं से होने वाले नुकसान से भी बचा सकता है. रेडिएशन के समय शरीर की कोशिकाओं और डीएनए पर बुरा असर पड़ता है, जिससे शरीर में कमजोरी, उल्टी, या यहां तक कि खून की कमी हो सकती है.
एक शोध में यह पाया गया कि करी पत्ते का मेथनॉल अर्क शरीर की हड्डियों को मजबूती देता है.
इसके अलावा, करी पत्ता शरीर को अंदर से डिटॉक्स करने में भी मदद करता है.
वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया कि डायबिटीज या दवाओं से जो किडनी को नुकसान पहुंचता है, उसे भी करी पत्ता रोक सकता है. इसके अर्क से न केवल यूरिया और क्रिएटिनिन के स्तर में सुधार होता है, बल्कि किडनी के ऊतकों में भी नया निर्माण होता है. यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में भी सहायक है. इसमें मौजूद अल्कलॉइड्स शरीर में इंसुलिन की तरह काम करते हैं और ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करते हैं.
इसके साथ ही यह शरीर में एंटीऑक्सीडेंट बढ़ाता है, जिससे डायबिटीज के अन्य प्रभाव जैसे थकान, कमजोरी, और त्वचा की समस्या भी कम होती हैं.
कैंसर से लड़ाई में भी करी पत्ता कम नहीं है. इसके अंदर मौजूद गिरीनिम्बिन नामक तत्व कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है.
एक स्टडी में यह देखा गया कि करी पत्ते का अर्क ब्रेस्ट कैंसर और लंग कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है और स्वस्थ कोशिकाओं पर असर नहीं डालता.
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पीके/एबीएम
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