कच्छ, 18 अगस्त . आज के आधुनिक युग में ऊर्जा की आवश्यकता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा खपत को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा एक आसान विकल्प है. गुजरात के कच्छ जिले में बड़ी संख्या में लोग सौर ऊर्जा के प्रति जागरूक हो गए हैं और सौर छत सुविधाओं को अपना रहे हैं.
सौर ऊर्जा उपयोगकर्ता जिग्नाबेन परिनभाई ठक्कर ने से बातचीत करते हुए कहा कि मोदी सरकार की ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ बहुत अच्छी है. लोग घरों की छतों पर इसे लगवा सकते हैं. इस योजना में सब्सिडी भी मिलती है. मेरे घर में दो एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और टीवी लगे हैं. इस योजना से फायदा हुआ है. मेरी लोगों से अपील है कि मोदी सरकार की इस योजना का लाभ उठाएं.
कोयले से उत्पन्न बिजली पर्यावरण के लिए हानिकारक है, इसलिए पिछले 4 वर्षों से राज्य और केंद्र सरकार ने भी हरित ऊर्जा के उत्पादन पर अधिक जोर दिया है. इसलिए, 23 जनवरी 2024 से, सरकार ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ नामक एक सौर छत योजना लागू की है.
हरित ऊर्जा से छोटे और मध्यम परिवारों को आर्थिक लाभ मिल रहा है तथा बिजली बिल में कमी आ रही है. सौर छत परियोजनाएं पर्यावरण संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो रही हैं. सौर ऊर्जा प्रणाली के कारण लोगों को बिजली बिल के झंझट से भी राहत मिल रही है.
सरकार सौर पैनल लगाने के लिए सब्सिडी भी दे रही है, जिसमें सरकार 3 किलोवाट तक के लिए 78,000 रुपए की सहायता प्रदान कर रही है. 3 किलोवाट तक के सोलर सिस्टम की लागत लगभग 1.50 लाख से 1.70 लाख रुपए तक आती है, जिसमें सरकार सोलर सिस्टम लगवाने के बाद 78,000 रुपए की सब्सिडी जमा कराती है और इस प्रकार लगभग 92,000 रुपए में घर पर सोलर प्लांट लगवाया जा सकता है. 3.5 से 4 साल के अंदर 92,000 रुपए का निवेश शून्य बिजली बिल के रूप में वापस मिल जाता है और उसके बाद आप मुफ्त बिजली पा सकते हैं.
जो लोग सौर छतों का उपयोग करना चाहते हैं, वे पीएमसौरघर डॉट गॉव डॉट इन साइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. सौर ऊर्जा का उपयोग करने से बिजली का बिल कम हो सकता है, जिससे दीर्घकाल में वित्तीय बचत होती है. साथ ही सौर ऊर्जा के उपयोग से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वायु प्रदूषण में कमी आती है, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है.
सौर ऊर्जा प्रणाली के कारण भुज में जिग्नाबेन के घर का बिजली बिल शून्य हो गया है. उनके घर में 3 किलोवाट का सौर ऊर्जा सिस्टम लगाया गया है. इससे प्रतिदिन लगभग 18 यूनिट बिजली उत्पन्न होती है. इसमें से, उनके घर में लगभग 8 से 10 यूनिट की खपत होती है, जिससे लगभग 8 यूनिट की बचत होती है. इससे शेष बची इकाइयों की गणना प्रतिवर्ष की जाती है तथा लगभग 4,000 से 6,000 रुपए का लाभ प्रतिवर्ष होता है तथा यह राशि बैंक खाते में जमा हो जाती है.
विशेषकर कच्छ और काठियावाड़ क्षेत्र में सूर्य की किरणें सीधे सोलर पैनल पर पड़ती हैं, जिससे अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है. आने वाले समय में किसान भी सोलर लगाकर खेती करके खूब पैसा कमाएंगे. इस सोलर प्लांट में कोई रखरखाव नहीं है, केवल पैनलों को हर 15 से 20 दिनों में धोना पड़ता है और धूल साफ करनी पड़ती है.
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डीकेपी/
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