कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री DK शिवकुमार ने गुरुवार को आरोप लगाया कि धर्मस्थल सामूहिक दफन के दावे एक सुनियोजित साज़िश का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य इस ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल की सदियों पुरानी प्रतिष्ठा को धूमिल करना है।
शिवकुमार ने कहा, "एक साज़िश रची जा रही है। मैं अभी यह नहीं बताना चाहता कि इसके पीछे कौन है। यह एक सुविचारित रणनीति है ताकि उनकी सैकड़ों साल पुरानी विरासत पर काला धब्बा लगाया जा सके।" उन्होंने बताया कि यह विवाद एक अज्ञात व्यक्ति की एकमात्र शिकायत से शुरू हुआ था।
उन्होंने कहा कि इस मामले में भ्रामक जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं, और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी इस पर सहमत हैं। उनके शब्दों में—"मेरे पास इस मामले की जानकारी है, यह बस एक खाली संदूक है; इसमें कुछ नहीं है, सिर्फ़ शोर है।"
विपक्ष का पलटवार
वहीं, विपक्ष के नेता R अशोक ने मांग की कि राज्य सरकार उस नकाबपोश व्यक्ति की पहचान उजागर करे, जिसने पुलिस को खुदाई स्थल तक ले जाया था, और मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपा जाए।
अशोक ने आरोप लगाया कि एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने, भारी मशीनरी, ड्रोन और आधुनिक उपकरण लगाने के बावजूद जांच में कुछ भी बरामद नहीं हुआ। उन्होंने कहा—"कौन है यह व्यक्ति जो खुदाई करवा रहा है? लोग कहते हैं उसका नाम चिन्नैया है और उसने ईसाई धर्म अपना लिया है। पुलिस उसे सुरक्षा देती है, बिरयानी खिलाती है और उसकी बातें मानती है। लेकिन वहां से एक चूहा तक नहीं मिला।"
अशोक ने कांग्रेस सरकार पर धर्मस्थल के मंजुनाथ स्वामी मंदिर का अपमान करने का आरोप लगाया और दावा किया कि हिंदू धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने का पैटर्न है—जिसमें तिरुपति, शबरीमाला और शनि शिंगणापुर के उदाहरण दिए। उन्होंने एक अन्य शिकायतकर्ता सुजाता भट के दावों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी कहानी मनगढ़ंत है।
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