लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर को पूरे राजस्थान में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। लेकिन इस मौके पर श्रद्धांजलि की बजाय राजनीतिक बयानबाजी ने माहौल को गरमा दिया। सरदार पटेल को लेकर बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के बीच तीखी जुबानी जंग देखने को मिली। जहां बीजेपी ने दावा किया कि उसने कांग्रेस से गांधी, पटेल और अंबेडकर जैसे सभी महापुरुषों को “अपना” बना लिया है, वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी सिर्फ नामों का नहीं, बल्कि उनके विचारों का भी सम्मान करे।
बीजेपी का दावा — "गांधी, पटेल, अंबेडकर अब हमारे"
राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बीजेपी ने कांग्रेस से महात्मा गांधी, सरदार पटेल और डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे सभी महान नेताओं को “छीन लिया” है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अब कांग्रेस के पास सिर्फ राहुल गांधी ही बचे हैं। राठौड़ ने आगे कहा कि राहुल गांधी भी “असली गांधी” नहीं हैं, क्योंकि असली गांधी यानी मेनका गांधी और वरुण गांधी बीजेपी में हैं। उन्होंने यह बयान देते हुए कांग्रेस को “विचारहीन पार्टी” बताया और कहा कि बीजेपी ही अब इन महापुरुषों की विचारधारा पर आगे बढ़ रही है।
कांग्रेस का पलटवार — "नाम नहीं, विचार अपनाओ बीजेपी"
बीजेपी के इस बयान के बाद कांग्रेस ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि बीजेपी केवल महापुरुषों के नामों का इस्तेमाल कर राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है, लेकिन उनके सिद्धांतों और आदर्शों से उसका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, “सरदार पटेल, महात्मा गांधी और अंबेडकर जैसे नेताओं ने हमेशा देश की एकता और अखंडता के लिए काम किया। मगर बीजेपी इनकी विचारधारा के खिलाफ जाकर नफरत और विभाजन की राजनीति करती है।” खाचरियावास ने यह भी कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस की नहीं, बल्कि पूरे देश की धरोहर हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि बीजेपी को राहुल गांधी का नाम सुनते ही बेचैनी होने लगती है। उन्होंने दावा किया कि आने वाले बिहार चुनाव में बीजेपी का “घमंड” टूट जाएगा।
विचारधाराओं की लड़ाई या राजनीतिक बयानबाजी?
सरदार पटेल की जयंती पर जहां आम जनता उन्हें देश की एकता के प्रतीक के रूप में याद कर रही थी, वहीं दोनों बड़ी पार्टियों के बीच यह बयानबाजी एक बार फिर दिखाती है कि भारत के महापुरुष आज भी राजनीतिक विमर्श का अहम हिस्सा बने हुए हैं। एक तरफ बीजेपी पटेल और गांधी के नाम पर राष्ट्रवाद का संदेश देने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस लगातार यह जताने में लगी है कि इन नेताओं की असली विचारधारा सिर्फ उसकी पार्टी में जीवित है।
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