ओडिशा में पुरी जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक बिल्डर को मंदिर के पवित्र महाप्रसाद की ऑनलाइन बिक्री करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। साइबर पुलिस ने आरोपी को जगतसिंहपुर जिले से गिरफ्तार किया, जिसकी पहचान डिस्पोज पटनायक के रूप में हुई है। पुलिस ने बताया कि पटनायक ने एक वेबसाइट के ज़रिए जगन्नाथ मंदिर के महाप्रसाद को ऑनलाइन बेचने की कोशिश की थी, जिससे भक्तों में गहरी नाराजगी फैल गई।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दिया गया था विज्ञापन
जानकारी के अनुसार, आरोपी ने ‘श्रीमहाप्रसाद’ नामक वेबसाइट पर एक विज्ञापन डाला था, जिसमें दावा किया गया था कि लोग सीधे पुरी श्रीमंदिर के रसोईघर से प्राप्त पवित्र महाप्रसाद खरीद सकते हैं। इस विज्ञापन को देखकर कई श्रद्धालुओं ने विरोध जताया, क्योंकि जगन्नाथ मंदिर का महाप्रसाद अत्यंत पवित्र माना जाता है और उसका व्यावसायीकरण धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध है।
भक्तों की शिकायत पर हुई कार्रवाई
मामले के उजागर होने के बाद, भक्तों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर साइबर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को भुवनेश्वर के रासुलगड़ क्षेत्र से गिरफ्तार किया। अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि आरोपी ने ऑनलाइन माध्यम से प्रसाद बेचने का प्रयास किया था, जो पूरी तरह अवैध है।
जांच में खुलेंगे और नाम
पुलिस का कहना है कि यह जांच की जा रही है कि क्या इस ऑनलाइन बिक्री में और लोग भी शामिल थे। शुरुआती जांच में कुछ अन्य वेबसाइटों के भी नाम सामने आए हैं जो कथित रूप से श्रीमंदिर के नाम पर महाप्रसाद बेचने का अवैध कारोबार कर रही थीं। इस मामले ने श्रीमंदिर प्रशासन की भूमिका और नियामक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
महाप्रसाद के नाम पर हो रहा था मुनाफाखोरी का खेल
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आरोपी द्वारा बेचे जा रहे पैकेट में अन्न (चावल), डाली (दाल), और कणिका (मीठा चावल) शामिल थे, जिन्हें 700 से 1,000 रुपये प्रति पैकेट के दाम पर बेचा जा रहा था। इसके अतिरिक्त, सूखा भोग (ड्राई प्रसाद) और खिचुड़ी जैसी वस्तुएं भी “पुरी महाप्रसाद” के नाम से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराई जा रही थीं।
धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ पर नाराजगी
भक्तों ने इस घटना पर गहरा आक्रोश जताया है। उनका कहना है कि महाप्रभु जगन्नाथ का प्रसाद केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, न कि कोई व्यापारिक वस्तु। इस प्रकार की गतिविधियां न केवल धार्मिक आस्था का अपमान हैं, बल्कि समाज में अविश्वास भी फैलाती हैं।
आगे की कार्रवाई जारी
साइबर पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि आरोपी ने प्रसाद की आपूर्ति कहां से और कैसे की थी, और क्या इसमें कोई मंदिर से जुड़ा व्यक्ति शामिल था। पुलिस का कहना है कि ऐसे अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति धार्मिक भावनाओं और श्रद्धा से जुड़े प्रतीकों का दुरुपयोग न कर सके।
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