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JNU में 2015 के बाद आया एबीवीपी, लेफ्ट के लिए क्यों है तगड़ा चैलेंज?

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नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एक बार फिर यूनाइटेड लेफ्ट जरूर जीती है मगर एक सीट पर राइट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की जीत और बाकी सीटों पर कम वोटों के अंतर ने लेफ्ट संगठनों का कॉन्फिडेंस जरूर हिलाया है। आने वाले सालों में जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन में सिर्फ लेफ्ट ही रहेगा, यह पक्का नहीं कहा जा सकता, बशर्ते लेफ्ट के सभी संगठन एक हों। वाम संगठनों के गढ़ जेएनयू में इस बार चार लेफ्ट संगठनों का पुराना पैनल टूटकर दो हिस्सों में बंटा और अलग-अलग चुनाव लड़ा। तीन पर लेफ्ट पैनलजेएनयू में इस बार यूनाइटेड लेफ्ट, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (आइसा) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) के पैनल ने यूनियन चुनाव में तीन सीटों – प्रेजिडेंट, वाइस प्रेजिडेंट और जनरल सेक्रेटरी पर जीत हासिल की। चारों सीटों पर यूनाइटेड लेफ्ट को एबीवीपी से टक्कर मिली और जॉइंट सेक्रेटरी सीट एबीवीपी ने लेफ्ट से छीन ली। तीनों पर एबीवीपी दूसरे नंबर परवहीं, आइसा से अलग होकर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) को नुकसान ही रहा। इन दोनों लेफ्ट संगठनों ने बिरसा मुंडे फुले आंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन (बापसा) और प्रोगेसिव स्टूडेंट्स असोसिएशन (पीएसए) के साथ हाथ मिलाया और चुनाव के लिए अपना एक पैनल बनाया। यह पैनल हर सीट पर तीसरे स्थान पर रहा।जेएनयू कैंपस में रविवार देर रात जीत के बाद लेफ्ट संगठनों ने लाल झंडे फहराए, लाल रंग से होली भी खेली मगर इस बार भगवा झंडे फहराते एबीवीपी कार्यकर्ताओं का जश्न भी कैंपस में गूंजा। प्रेसीडेंट : नीतीश कुमार, 272 वोट से जीतेयूनाइटेड लेफ्ट पैनल से आइसा के सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज के पीएचडी स्टूडेंट नीतीश कुमार ने यूनियन प्रेजिडेंट की पोस्ट जीती। नीतीश को 1702 वोट मिले, वहीं एबीवीपी की प्रत्याशी शिखा स्वराज को 1430 वोट मिले। जीत का अंतर सिर्फ 272 वोटों का रहा। तीसरे नंबर पर एसएफआई-बापसा-एआईएसएफ-पीएसए की प्रत्याशी चौधरी तैयबा अहमद रहीं, जिन्हें 918 वोट मिले। वाइस प्रेजिडेंट : मनीषा, सिर्फ 34 वोटों से जीतींवाइस प्रेजिडेंट पोस्ट पर यूनाइटेड लेफ्ट पैनल की मनीषा रहीं, जिन्हें 1150 वोट मिले। एबीवीपी के निट्टू गौतम सिर्फ 34 वोटों से पीछे रहे। निट्टू को 1116 वोट मिले। तीसरे नंबर पर एसएफआई-बापसा-एआईएसएफ-पीएसए के मोहम्मद कैफ रहे, जिन्हें 939 वोट मिले। जनरल सेक्रेटरी : मुन्तेहा फातिमा, 114 वोटों से जीतींजनरल सेक्रेटरी पोस्ट पर यूनाइटेड लेफ्ट की मुन्तेहा फातिमा रहीं, जिन्हें 1520 वोट मिले। उन्होंने एबीवीपी के कुणाल राय को 114 वोटों से हराया। यहां भी तीसरी पोजिशन पर एसएफआई-बापसा-एआईएसएफ-पीएसए के यारी नयम 1184 वोटों के साथ रहे। जॉइंट सेक्रेटरी : वैभव मीणा, 85 वोटों से जीतेजॉइंट सेक्रेटरी पोस्ट पर एबीवीपी के वैभव मीणा ने बाजी मारी जिन्हें 1518 वोट मिले। उन्होंने यूनाइटेड पैनल के नरेश कुमार को 85 वोटों से शिकस्त दी। एसएफआई-बापसा-एआईएसएफ-पीएसए के पैनल की निगम कुमारी को 1256 वोट मिले। स्टूडेंट्स यूनियन की चार सीटों में से जॉइंट सेक्रेटरी सीट पर 10 साल बाद एबीवीपी ने आखिरकार कब्जा कर लिया। कहां कौन ऊपर?सोशल साइंसेज, इंटरनैशनल स्टडीज, स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज, लिटरेचर, कल्चर स्टडीज में लेफ्ट को ज्यादा वोट मिले, तो एबीवीपी कैंडिडेट्स को साइंसेज और स्पेशल सेंटर्स, इंजिनियरिंग में अच्छी-खासी संख्या में वोट मिले। इसी वजह से शुरुआत के 3500 वोटों की गिनती तक एबीवीपी चारों सीटों पर आगे था मगर जब सोशल साइंस, लेंग्वेजेज के वोटों की गिनती शुरू हुई तो वो पीछे हो गया।जेएनयूएसयू चुनाव 25 अप्रैल को हुआ। 7906 स्टूडेंट्स में से 5588 ने वोट दिए यानी करीब 70% वोटिंग हुई। इनमें 57% लड़के और 43% लड़कियां हैं। पिछले साल के मुकाबले 3% वोटिंग कम हुई। 2016 से लेफ्ट एक-एक करके हुए थे साथजेएनयूएसयू में 2023-24 के चुनाव को यूनाइटेड लेफ्ट पैनल ने जीता था, आइसा से प्रेजिडेंट धनंजय बने थे। पिछले चुनाव में आइसा, एसएफआई, डीएसएफ और एआईएसएफ सभी एक पैनल में चुनावी मैदान में उतरे थे।दरअसल, जेएनयूएसयू 2015-16 में एबीवीपी के सौरभ शर्मा ने जॉइंट सेक्रेटरी की पोस्ट जीती थी। इसके बाद लेफ्ट के लिए सबसे खराब माने जाने वाले साल 2016 में एबीवीपी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए लेफ्ट ने पैनल बनाया, आइसा और एसएफआई ने मिलकर एबीवीपी को हराया। 2017-18 में यूनाइटेड पैनल में आइसा, एसएफआई और डीएसएफ थे, और आइसा के नाम दो सीटें रहीं। 2018-19 में आइसा, एसएफआई, डीएसएफ के साथ एआईएसएफ जुड़ा। हालांकि, प्रेजिडेंट पोस्ट को लेकर वाम संगठनों में बेरुखी समय-समय पर नजर आई, खासतौर पर आइसा और एसएफआई के बीच।
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