पटना: नेता प्रतिपक्ष और महागठबंधन के संभावित मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने यह साफ कर दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव के स्टेयरिंग अब नौकरी के हाथ डाल दी है। एक समय था जब तेजस्वी यादव अपराध बुलेटिन निकाल निकाल कर एनडीए के शासन काल को महाराक्षस राज साबित करने में लगे। कुछ माह पहले वोट पुनरीक्षण को मुद्दा बनाया और हाल में तो वोट चोरी पर गोलबंद करने की कोशिश की। लेकिन आज एक बात तो तय हो गया कि तेजस्वी यादव ने विधानसभा के चुनावी जंग को नौकरी की धार पर चढ़ा दिया। ऐसा इसलिए कि अब तक इतने बड़े वर्ग को प्रभावित करने वाला कोई घोषणा ही नहीं हुआ। यहां तक तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा में हजार से लाख तक को टार्गेट कर नौकरी देने की घोषणा भी की और नौकरी दिया भी। पर इस बार घोषणा के मैदान में चाचा नीतीश कुमार पर भतीजा तेजस्वी यादव फिलहाल तो भारी पड़ ही गया।
हर परिवार को सरकारी नौकरी
राजद नेता तेजस्वी यादव आज नीतीश सरकार पर आक्रमण के मूड में थे। इस मूड में उन्होंने नीतीश सरकार पर आरोप लगाया कि, 20 वर्षों से इस सरकार ने नौकरी और रोजगार पर ध्यान नहीं दिया। पर जब मेरी सरकार बनेगी तो हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देना अनिवार्य किया जाएगा। सरकार देखेगी कि किस परिवार के पास सरकारी नौकरी नहीं है। फिर उनकी सूची बनाई जाएगी। फिर ऐसे परिवार को नौकरी देने के पहले नए अधिनियम बनाए जाएंगे। यह कार्य सरकार में आने के 20 दिन के अंदर किया जाएगा। फिर 20 माह के अंदर सभी जरूरतमंद परिवारों में से किसी एक को नौकरी दी जाएगी जिनके घर में कोई सरकारी नौकरी में नहीं है।
सरकार बनते ही एक्शन
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने घोषणा तो कर दी पर इसके बाद वे जनता में विश्वास जगाने लगे। तेजस्वी यादव ने कहा जो हमने कहा वह कर दिखाया है। राजद जब सरकार में आई तो पहली कैबिनेट में अपनी कलम से पांच लाख नौकरी दी। शिक्षकों की बहाली की। नेता प्रतिपक्ष के रूप में बिहार विधानसभा में कहा भी था तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही कहा था कि पैसा जेल से लाओगे या बाप घर से लाओगे। लेकिन गांधी मैदान में शिक्षकों को नौकरी बांट कर दिखाया। एनडीए की सरकार बाद में हमने जो राह दिखाई उसी की नकल की। हमने जो भी योजनाएं घोषित की, उसकी कॉपी इन्होंने की। 20 साल से लोग पक्के मकान का इंतजार कर रहे हैं। हम हर घर को 20 महीने के अंदर सरकारी नौकरी देंगे।
पर सवाल तो खड़े होने लगे?
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की इस घोषणा पर आंकड़ेबाजी शुरू हो गई है। जातीय सर्वेक्षण की बात करें तो वर्ष 2023 के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कुल लगभग 2.97 करोड़ (2 करोड़ 97 लाख) परिवार हैं। संख्या 2 करोड़ 76 लाख 68 हजार 930 है, जिसमें 94 लाख 42 हजार 786 परिवार गरीब है। इसने 6000 रुपए से 10 हजार रुपए तक की मासिक आय वालों की संख्या 81 लाख 91 हजार 390 है। ये कुल संख्या परिवारों का 29.61 फीसदी है। वहीं, 10 से 20 हजार रुपए मासिक आय वालों की संख्या 49 लाख 97 हजार 142 है। ये कुल संख्या का 18.06 प्रतिशत है। 20 से 50 हजार रुपए तक कमाने वाले परिवारों की संख्या 27 लाख 20 हजार 870 है। कुल संख्या का 9.83 फीसदी है। 50 हजार रुपए से अधिक मासिक आमदनी वाले परिवारों की कुल संख्या 10 लाख 79 हजार 466 है। जो कुल संख्या का 3.90 प्रतिशत है। 12 लाख 37 हजार 276 परिवारों की आमदनी सार्वजनिक नहीं की गई। कुल संख्या का 4.47 फीसदी है।
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कमाने वालों की संख्या
अब अगर 6 हजार से 10 हजार कमाने वाले की ही बात करे तो यह संख्या करीब 82 लाख है। अब अगर 10 हजार से 20 हजार तक के वेतन वाले की बात करें तो इनकी संख्या करीब 50 लाख हो जायेगी। ऐसे में हर घर को सरकारी नौकरी देने की बात करें तो करोड़ लोगों से भी ज्यादा को नौकरी देनी होगी। ऐसे में तेजस्वी की इस घोषणा पर शक के बादल गहरा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि ऐसी घोषणा के बाद सरकार में शामिल लोग और सत्ता पक्ष अब सवाल करेगा कि तेजस्वी यादव को हिसाब है कि इतनी नौकरी देने के वादे के बाद सैलरी कहां से लाएंगे?
हर परिवार को सरकारी नौकरी
राजद नेता तेजस्वी यादव आज नीतीश सरकार पर आक्रमण के मूड में थे। इस मूड में उन्होंने नीतीश सरकार पर आरोप लगाया कि, 20 वर्षों से इस सरकार ने नौकरी और रोजगार पर ध्यान नहीं दिया। पर जब मेरी सरकार बनेगी तो हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देना अनिवार्य किया जाएगा। सरकार देखेगी कि किस परिवार के पास सरकारी नौकरी नहीं है। फिर उनकी सूची बनाई जाएगी। फिर ऐसे परिवार को नौकरी देने के पहले नए अधिनियम बनाए जाएंगे। यह कार्य सरकार में आने के 20 दिन के अंदर किया जाएगा। फिर 20 माह के अंदर सभी जरूरतमंद परिवारों में से किसी एक को नौकरी दी जाएगी जिनके घर में कोई सरकारी नौकरी में नहीं है।
सरकार बनते ही एक्शन
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने घोषणा तो कर दी पर इसके बाद वे जनता में विश्वास जगाने लगे। तेजस्वी यादव ने कहा जो हमने कहा वह कर दिखाया है। राजद जब सरकार में आई तो पहली कैबिनेट में अपनी कलम से पांच लाख नौकरी दी। शिक्षकों की बहाली की। नेता प्रतिपक्ष के रूप में बिहार विधानसभा में कहा भी था तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही कहा था कि पैसा जेल से लाओगे या बाप घर से लाओगे। लेकिन गांधी मैदान में शिक्षकों को नौकरी बांट कर दिखाया। एनडीए की सरकार बाद में हमने जो राह दिखाई उसी की नकल की। हमने जो भी योजनाएं घोषित की, उसकी कॉपी इन्होंने की। 20 साल से लोग पक्के मकान का इंतजार कर रहे हैं। हम हर घर को 20 महीने के अंदर सरकारी नौकरी देंगे।
पर सवाल तो खड़े होने लगे?
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की इस घोषणा पर आंकड़ेबाजी शुरू हो गई है। जातीय सर्वेक्षण की बात करें तो वर्ष 2023 के सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कुल लगभग 2.97 करोड़ (2 करोड़ 97 लाख) परिवार हैं। संख्या 2 करोड़ 76 लाख 68 हजार 930 है, जिसमें 94 लाख 42 हजार 786 परिवार गरीब है। इसने 6000 रुपए से 10 हजार रुपए तक की मासिक आय वालों की संख्या 81 लाख 91 हजार 390 है। ये कुल संख्या परिवारों का 29.61 फीसदी है। वहीं, 10 से 20 हजार रुपए मासिक आय वालों की संख्या 49 लाख 97 हजार 142 है। ये कुल संख्या का 18.06 प्रतिशत है। 20 से 50 हजार रुपए तक कमाने वाले परिवारों की संख्या 27 लाख 20 हजार 870 है। कुल संख्या का 9.83 फीसदी है। 50 हजार रुपए से अधिक मासिक आमदनी वाले परिवारों की कुल संख्या 10 लाख 79 हजार 466 है। जो कुल संख्या का 3.90 प्रतिशत है। 12 लाख 37 हजार 276 परिवारों की आमदनी सार्वजनिक नहीं की गई। कुल संख्या का 4.47 फीसदी है।
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कमाने वालों की संख्या
अब अगर 6 हजार से 10 हजार कमाने वाले की ही बात करे तो यह संख्या करीब 82 लाख है। अब अगर 10 हजार से 20 हजार तक के वेतन वाले की बात करें तो इनकी संख्या करीब 50 लाख हो जायेगी। ऐसे में हर घर को सरकारी नौकरी देने की बात करें तो करोड़ लोगों से भी ज्यादा को नौकरी देनी होगी। ऐसे में तेजस्वी की इस घोषणा पर शक के बादल गहरा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि ऐसी घोषणा के बाद सरकार में शामिल लोग और सत्ता पक्ष अब सवाल करेगा कि तेजस्वी यादव को हिसाब है कि इतनी नौकरी देने के वादे के बाद सैलरी कहां से लाएंगे?
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