पटना: बिहार के श्रमिक और कामकाजी लोग देश के कोने-कोने में आजीविका चलाने के लिए अस्थायी रूप से बसे हुए हैं। इनमें से ज्यादातर लोग अपने परिवारों को बिहार में छोड़कर अकेले अलग-अलग राज्यों के शहरों,कस्बों में रहते हैं। यह सब अस्थायी प्रवासी हैं। लेकिन पूर्व केद्रीय मंत्री और कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम ने बिहार के निवासी श्रमिकों के तमिलनाडु में अस्थायी प्रवास के चलते उनका नाम बिहार की वोटर लिस्ट से हटाने पर सवाल उठाया है और साथ ही उनका पंजीकरण तमिलनाडु की वोटर लिस्ट में करने पर आपत्ति जताई है। इस पर चुनाव आयोग ने जवाब देकर चिदंबरम की आपत्ति खारिज कर दी है।
पहले इस तरह के मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट की व्यवस्था रही है। वे पहले बिहार में चुनाव के दौरान डाक के जरिए अपने मताधिकार का उपयोग कर सकते थे। लेकिन अब सिर्फ सेना, सशस्त्र बलों के जवान और सरकारी सेवा में कार्यरत कर्मचारी ही इस तरह मतदान का अधिकार है। चुनाव आयोग देश में ही अपने गृह राज्य के अलावा किसी अन्य राज्य में निजी क्षेत्र में काम करने वाले अस्थायी प्रवासी कर्मचारियों और श्रमिकों को अपने राज्य में वोट डालने की इजाजत नहीं देता, लेकिन विदेश में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को इसकी इजाजत है। यह एक विसंगति है।
विदेश में अस्थायी रूप से रह रहे बिहारियों को बिहार में वोटिंग का अधिकार
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर लिखा है- ''आप भारत के नागरिक हैं, और रोजगार, शिक्षा आदि के कारण देश से अनुपस्थित हैं, किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त नहीं की है तो आपके पासपोर्ट में उल्लिखित पते पर मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के योग्य हैं।'' यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य राज्य का स्थायी नागरिक नहीं है, तो वह अपने गृह राज्य में मतदान का अधिकारी क्यों नहीं हो सकता?
चुनाव आयोग ने बिहार के 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए हैं। इस मुद्दे पर विपक्षी दल हंगामा कर रहे हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि बिहार के वे मतदाता जो अस्थायी रूप से किसी दूसरे राज्य में रह रहे हैं, उनका नाम बिहार की वोटर लिस्ट में नहीं बल्कि उस राज्य की वोटर लिस्ट में होना चाहिए, जहां वे रह रहे हैं। पी चिदंबरम ने तमिलनाडु में रह रहे बिहार के प्रवासियों के नाम तमिलनाडु की ही वोटर लिस्ट में जोड़ने की बात पर आश्चर्य जताते हुए इसे अवैध बताया है।
चिदंबरम को बिहारियों के तमिलनाडु में वोटर बनने पर आपत्ति
चिदंबरम ने चुनाव आयोग के बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को प्रवासी श्रमिकों का अपमान और तमिलनाडु में मतदाताओं के अधिकारों में घोर हस्तक्षेप कहा। डीएमके और उसके सहयोगी दलों की ओर से भी प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में पंजीकृत करने के चुनाव आयोग के फैसले का विरोध किया गया है।
पी चिदंबरम ने सवाल किया, "अगर एक प्रवासी श्रमिक का परिवार बिहार में एक स्थायी घर में रखता है और वह श्रमिक तमिलनाडु में काम करता है तो उसे तमिलनाडु में स्थायी रूप से बसा हुआ कैसे माना जा सकता है? उसे तमिलनाडु में मतदाता के रूप में कैसे रजिस्टर्ड किया जा सकता है?" उनका कहना है कि जब परिवार बिहार में है तो तमिलनाडु की वोटर लिस्ट में उसका नाम कैसे आ सकता है।
चुनाव आयोग ने उदाहरण सहित सफाई दी
चुनाव आयोग ने एक्स पर एक पोस्ट में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 19(बी) का हवाला दिया। इसमें कहा गया है कि एक चुनाव क्षेत्र में हर साधारण निवासी उस क्षेत्र की वोटर लिस्ट में पंजीकृत होने का हकदार होगा। चुनाव आयोग ने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए एक उदाहरण भी दिया। चुनाव आयोग ने कहा, "एक व्यक्ति जो मूल रूप से तमिलनाडु का है लेकिन आम तौर पर दिल्ली में रहता है, तो वह दिल्ली में वोटर के रूप में पंजीकृत होने का हकदार है। इसी तरह एक व्यक्ति जो मूल रूप से बिहार का है लेकिन आम तौर पर चेन्नई में रहता है, वह चेन्नई में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का हकदार है।"
चिदंबरम चुनाव आयोग के तर्क से असहमत हैं। उनका कहना है कि यह गलत है। उनका मानना है कि बिहार के लोगों को तमिलनाडु की वोटर लिस्ट में नहीं जोड़ा जा सकता। चुनाव आयोग (Election Commission) ने चिदंबरम के दावों को भ्रामक और निराधार बताया। इस मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।
पहले इस तरह के मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट की व्यवस्था रही है। वे पहले बिहार में चुनाव के दौरान डाक के जरिए अपने मताधिकार का उपयोग कर सकते थे। लेकिन अब सिर्फ सेना, सशस्त्र बलों के जवान और सरकारी सेवा में कार्यरत कर्मचारी ही इस तरह मतदान का अधिकार है। चुनाव आयोग देश में ही अपने गृह राज्य के अलावा किसी अन्य राज्य में निजी क्षेत्र में काम करने वाले अस्थायी प्रवासी कर्मचारियों और श्रमिकों को अपने राज्य में वोट डालने की इजाजत नहीं देता, लेकिन विदेश में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को इसकी इजाजत है। यह एक विसंगति है।
विदेश में अस्थायी रूप से रह रहे बिहारियों को बिहार में वोटिंग का अधिकार
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर लिखा है- ''आप भारत के नागरिक हैं, और रोजगार, शिक्षा आदि के कारण देश से अनुपस्थित हैं, किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त नहीं की है तो आपके पासपोर्ट में उल्लिखित पते पर मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के योग्य हैं।'' यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य राज्य का स्थायी नागरिक नहीं है, तो वह अपने गृह राज्य में मतदान का अधिकारी क्यों नहीं हो सकता?
चुनाव आयोग ने बिहार के 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए हैं। इस मुद्दे पर विपक्षी दल हंगामा कर रहे हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि बिहार के वे मतदाता जो अस्थायी रूप से किसी दूसरे राज्य में रह रहे हैं, उनका नाम बिहार की वोटर लिस्ट में नहीं बल्कि उस राज्य की वोटर लिस्ट में होना चाहिए, जहां वे रह रहे हैं। पी चिदंबरम ने तमिलनाडु में रह रहे बिहार के प्रवासियों के नाम तमिलनाडु की ही वोटर लिस्ट में जोड़ने की बात पर आश्चर्य जताते हुए इसे अवैध बताया है।
चिदंबरम को बिहारियों के तमिलनाडु में वोटर बनने पर आपत्ति
चिदंबरम ने चुनाव आयोग के बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को प्रवासी श्रमिकों का अपमान और तमिलनाडु में मतदाताओं के अधिकारों में घोर हस्तक्षेप कहा। डीएमके और उसके सहयोगी दलों की ओर से भी प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में पंजीकृत करने के चुनाव आयोग के फैसले का विरोध किया गया है।
पी चिदंबरम ने सवाल किया, "अगर एक प्रवासी श्रमिक का परिवार बिहार में एक स्थायी घर में रखता है और वह श्रमिक तमिलनाडु में काम करता है तो उसे तमिलनाडु में स्थायी रूप से बसा हुआ कैसे माना जा सकता है? उसे तमिलनाडु में मतदाता के रूप में कैसे रजिस्टर्ड किया जा सकता है?" उनका कहना है कि जब परिवार बिहार में है तो तमिलनाडु की वोटर लिस्ट में उसका नाम कैसे आ सकता है।
चुनाव आयोग ने उदाहरण सहित सफाई दी
चुनाव आयोग ने एक्स पर एक पोस्ट में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 19(बी) का हवाला दिया। इसमें कहा गया है कि एक चुनाव क्षेत्र में हर साधारण निवासी उस क्षेत्र की वोटर लिस्ट में पंजीकृत होने का हकदार होगा। चुनाव आयोग ने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए एक उदाहरण भी दिया। चुनाव आयोग ने कहा, "एक व्यक्ति जो मूल रूप से तमिलनाडु का है लेकिन आम तौर पर दिल्ली में रहता है, तो वह दिल्ली में वोटर के रूप में पंजीकृत होने का हकदार है। इसी तरह एक व्यक्ति जो मूल रूप से बिहार का है लेकिन आम तौर पर चेन्नई में रहता है, वह चेन्नई में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का हकदार है।"
चिदंबरम चुनाव आयोग के तर्क से असहमत हैं। उनका कहना है कि यह गलत है। उनका मानना है कि बिहार के लोगों को तमिलनाडु की वोटर लिस्ट में नहीं जोड़ा जा सकता। चुनाव आयोग (Election Commission) ने चिदंबरम के दावों को भ्रामक और निराधार बताया। इस मामले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।
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