वी.एन. दास, अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और अयोध्या के राजघराने के सदस्य रहे विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र उर्फ राजा साहब अयोध्या का शनिवार को 11 बजे रात में निधन हो गया। वह करीब 75 साल के थे। उनकी पत्नी का पिछले साल निधन हो चुका है। दिवंगत मिश्र के भाई शैलेन्द्र मोहन मिश्र के मुताबिक रात को उनका बीपी अचानक डाउन हो गया, जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ी। श्री राम अस्पताल के डॉक्टर को बुलाया गया। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस मंदिर ट्रस्ट के गठन की घोषणा की थी, उसके गठन के बीच कमिश्नर ने उन्हें राम मंदिर का रिसीवर का चार्ज सौंपा थे। अयोध्या राज परिवार के अगुआ विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने अयोध्या धाम में अपने राज सदन (राजमहल) में अंतिम सांस ली। नजदीकी लोग और प्रशासनिक अमला देर रात उनको अंतिम प्रणाम करने के लिए पहुंच गया।
उत्तर प्रदेश से लेकर भारत सरकार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों और राजनेताओं से उनके नजदीकी संबंध रहे। उनके पुत्र यतींद्र मोहन प्रताप मिश्र प्रख्यात कवि और लेखक है। प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर पर यतींद्र ने लता सुर गाथा नामक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी। इस पर उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
जब राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फाइनल फैसला आया, तब प्रधानमंत्री मोदी की ओर से सबसे पहले वरिष्ठ सदस्य विमलेंद्र ही चुने गए। वह श्री प्रताप धर्म सेतु ट्रस्ट के अध्यक्ष भी थे। वह चुनावी दंगल में भी हाथ आजमा चुके थे। साल 2009 में बीएसपी के टिकट पर फैजाबाद सीट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़े थे पर जीत नहीं सके। कुछ दिन पहले उनके पैर में चोट लगने के कारण उनकी सक्रियता कम हो गई थी।
हालत बिगड़ी तो परिवार के सदस्यों ने उन्हें इलेक्ट्रॉल और अन्य दवाएं दी। साथ ही अयोध्या धाम के श्रीराम हॉस्पिटल से डॉक्टर को बुलाया गया। अयोध्या राज परिवार के पारिवारिक चिकित्सक डॉ. बीडी त्रिपाठी को तत्काल राजमहल में बुलाया गया।
उनके स्पाइन का कुछ दिन पहले ऑपरेशन हुआ था। तीन दिन पहले लखनऊ में चेकअप करवा कर लौटे थे। सब कुछ ठीक था। अचानक शनिवार रात तबीयत खराब हुई और उन्होंने अंतिम सांस ले ली। उनके आकस्मिक निधन से अयोध्या में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके अंतिम दर्शन के लिए भीड़ जुट रही है।
अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस मंदिर ट्रस्ट के गठन की घोषणा की थी, उसके गठन के बीच कमिश्नर ने उन्हें राम मंदिर का रिसीवर का चार्ज सौंपा थे। अयोध्या राज परिवार के अगुआ विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने अयोध्या धाम में अपने राज सदन (राजमहल) में अंतिम सांस ली। नजदीकी लोग और प्रशासनिक अमला देर रात उनको अंतिम प्रणाम करने के लिए पहुंच गया।
उत्तर प्रदेश से लेकर भारत सरकार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों और राजनेताओं से उनके नजदीकी संबंध रहे। उनके पुत्र यतींद्र मोहन प्रताप मिश्र प्रख्यात कवि और लेखक है। प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर पर यतींद्र ने लता सुर गाथा नामक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी। इस पर उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
जब राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फाइनल फैसला आया, तब प्रधानमंत्री मोदी की ओर से सबसे पहले वरिष्ठ सदस्य विमलेंद्र ही चुने गए। वह श्री प्रताप धर्म सेतु ट्रस्ट के अध्यक्ष भी थे। वह चुनावी दंगल में भी हाथ आजमा चुके थे। साल 2009 में बीएसपी के टिकट पर फैजाबाद सीट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़े थे पर जीत नहीं सके। कुछ दिन पहले उनके पैर में चोट लगने के कारण उनकी सक्रियता कम हो गई थी।
हालत बिगड़ी तो परिवार के सदस्यों ने उन्हें इलेक्ट्रॉल और अन्य दवाएं दी। साथ ही अयोध्या धाम के श्रीराम हॉस्पिटल से डॉक्टर को बुलाया गया। अयोध्या राज परिवार के पारिवारिक चिकित्सक डॉ. बीडी त्रिपाठी को तत्काल राजमहल में बुलाया गया।
उनके स्पाइन का कुछ दिन पहले ऑपरेशन हुआ था। तीन दिन पहले लखनऊ में चेकअप करवा कर लौटे थे। सब कुछ ठीक था। अचानक शनिवार रात तबीयत खराब हुई और उन्होंने अंतिम सांस ले ली। उनके आकस्मिक निधन से अयोध्या में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके अंतिम दर्शन के लिए भीड़ जुट रही है।
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