टीकमगढ़: शहर के रहने वाले किसान मोनू खान पहले पारंपरिक खेती करते थे। देश में जब कोरोना काल आया तो दवाई और सब्जी की काफी डिमांड रही। लोगों की जरूरत को देखते हुए उन्होंने सब्जी उगाने का फैसला किया। 2023 में उन्होंने 8 एकड़ में हरी मिर्च उगाई। मध्य प्रदेश सरकार के एग्रीकल्चर विभाग ने इस काम में उनकी मदद की। पहले साल उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हुआ, लेकिन लागत निकल आई। उन्होंने जो सिस्टम बनाया था, वह फ्री हो गया, इससे उनका हौसला बढ़ा। इस साल 25 एकड़ में की फसल2024 में उन्होंने 20 एकड़ में शिमला मिर्च और 10 एकड़ में हरी मिर्च उगाई। उन्होंने बाजार ढूंढा और उनकी शिमला मिर्च और हरी मिर्च दिल्ली तक पहुंचने लगी। इससे उन्हें काफी फायदा हुआ। इसके बाद मोनू खान ने सब्जी उत्पादन को ही अपना जीवन बना लिया। मोनू खान बताते हैं कि इस साल उन्होंने 25 एकड़ में शिमला मिर्च, 12 एकड़ में टमाटर और 15 एकड़ में हरी मिर्च लगाई है। अभी उनका उत्पादन चल रहा है। सिलिगुड़ी तक जा रही मिर्चमोनू खान बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें बाजार ढूंढने में परेशानी हुई. धीरे-धीरे वह बाजार को समझ गए। इस साल वह टीकमगढ़ से हैदराबाद, दिल्ली और सिलीगुड़ी शिमला मिर्च और हरी मिर्च भेज रहे हैं। बुंदेलखंड से बाहर भेजने पर उन्हें डेढ़ से दो गुना ज्यादा दाम मिलते हैं। इससे उन्हें अच्छा मुनाफा होता है। हॉर्टिकल्चर विभाग की मदद से उन्होंने टीकमगढ़ के कुंडेश्वर रोड और झांसी रोड पर स्थित खेतों में यह उत्पादन किया है। 300 लोगों को दे रहे रोजगारमोनू खान शिमला मिर्च, हरी मिर्च और टमाटर के उत्पादन में हर दिन 300 लोगों को रोजगार दे रहे हैं। उनके यहां हर दिन 300 मजदूर काम करते हैं। वे सब्जी की निदाई से लेकर गुड़ाई तक का काम करते हैं। इससे बुंदेलखंड में पलायन भी कम हो रहा है और लोगों को गांव में ही रोजगार मिल रहा है। मोनू खान कहते हैं कि अगर इंसान में सीखने की इच्छा हो और टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल करने की कला हो, तो खेती जैसे काम को भी मुनाफे में बदला जा सकता है। साथ ही, दूसरे लोगों को भी रोजगार दिया जा सकता है। क्षेत्र से पलायन हुआ कमटीकमगढ़ के युवा किसान मोनू खान ने अपनी मेहनत से यह साबित कर दिया है। वह दूसरे लोगों के लिए एक मिसाल बन गए हैं। अपनी हरी मिर्च और शिमला मिर्च के उत्पादन के चलते वह अब तक बुंदेलखंड के 300 किसानों को ट्रेनिंग दे चुके हैं। वह लगातार किसानों से सब्जी उत्पादन से जुड़ने का आग्रह कर रहे हैं, ताकि उन्हें भी फायदा हो सके। मोनू खान बताते हैं कि उन्होंने जब से यह खेती शुरू की है, आसपास के लोगों को रोजगार मिला है। आलमपुरा, मिनौरा, हीरानगर, दुनातर और चंदौखा जैसे गांवों से लोगों का पलायन कम हुआ है। इस तकनीक से खेती करने में फायदा होता है और आसपास के सैकड़ों लोगों को काम मिलता है।
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