पटना   :  लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हर चुनाव पांच वर्षों के हिसाब- किताब का लेखा- जोखा होता है। यह एक तरफा भी नहीं होता। नेता जब अपने किए का मजदूरी मांगते हैं तो जनता भी पांच साल तक क्षेत्र से भगोड़े होने वाले नेताओं की भी खबर लेती हैं। दिलचस्प तो यह है कि नल जल, बिजली, सड़क के ऐसे ही वादे नेताओं की जान पर बन आई है। जो मंत्री या विधायक पांच सालों में हाजरी नहीं दी या फिर वादों के इर्द गिर्द ही गोल चक्कर लगाते रहे। ऐसे ही चंद लोकतंत्र के सिपाही के लिए वर्ष 2025 का विधानसभा चुनाव फजीहत काल बन गया है। किस्से दर किस्से फिजां में तैर रहे हैं।   
   
सीएम के करीबी श्रवण कुमार
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार की फजीहत तो अपने गृह जिला में ही हो गई। जिस सुशासन के गीत एनडीए के नेता गाते हैं। हिलसा की जनता इसी सुशासन पर जमकर बरसी। मसला था, मल्लावां गांव में 9 लोगों की मौत का। मंत्री श्रवण कुमार मिल कर संवेदना प्रकट क्या करने गए, ग्रामीणों ने उनकी क्लास ले ली और जिला प्रशासन पर सीधा आरोप लगाया कि प्रशासन समय पर कार्रवाई करती तो लोगों की जान नहीं जाती। मंत्री पर गुस्सा इस बात का भी था कि वे पांच दिनों बाद हाल पूछने आए थे।
     
उपमुख्यमंत्री का भी विरोध
भाजपा के कद्दावर नेता व उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा को भी एंटी इनकंबेंसी की फजीहत झेलनी पड़ी। लखीसराय के रामगढ़ प्रखंड में वोट मांगने के दौरान स्थानीय लोगों ने जम कर सवाल किए। लखीसराय की जनता की शिकायत यह थी कि उन्होंने एक उप मुख्यमंत्री की हैसियत के समान कार्य कर नहीं पाए। जनता का गु्स्सा इस बात से था कि वो कहने को सरकार में उपमुख्यमंत्री थे, लेकिन इलाके में एक भी विकास का कार्य नहीं करा पाए। जनता का गुस्सा इस बात से भी था कि कोई भी योजना इलाके के लिए नहीं पास करवा पाए।
   
विधायक रामचंद्र प्रसाद को भी खदेड़ा
दरभंगा जिले में भी भाजपा विधायक रामचंद्र प्रसाद को इस बार जनता का भारी विरोध झेलना का सामना करना पड़ा। गांव में प्रवेश क्या किया कि उनके विरुद्ध मुर्दाबाद और वोट नहीं देंगे के नारे गूंजने लगते हैं। आरोप है कि पांच साल में उन्होंने इलाके का कोई ठोस विकास कार्य नहीं कराया। सड़कें टूटी पड़ी हैं, नालियां अधूरी हैं और बेरोजगारी जस की तस है। स्थिति ये हुई कि नेताजी को अपने लाव लश्कर के साथ भागना पड़ा। जनता उनके पीछे- पीछे मुर्दाबाद के नारे लगाती रही।
      
आरजेडी विधायक को खदेड़ा
राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह का भी इस बार डेहरी की जनता ने अच्छे से हिसाब किताब पूछा। ग्रामीण गांव में नल जल योजना, सड़क, बिजली, नली गली की दयनीय स्थिति से इस कदर नाराज थे कि चिलबिला गांव के लोगों ने जनसंपर्क के दौरान दौड़ा डाला। जनता इतनी नाराजगी थी कि चिलबिला गांव में ग्रामीण और विधायक के समर्थकों के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई। स्थिति इतनी विकराल हुई कि दूसरे लोगों को हस्तक्षेप करना पड़ा। विधायक को ग्रामीणों ने खदेड़ दिया और उन्हें अब वापस होने के लिए की बार सोचना पड़ेगा।
  
सीएम के करीबी श्रवण कुमार
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार की फजीहत तो अपने गृह जिला में ही हो गई। जिस सुशासन के गीत एनडीए के नेता गाते हैं। हिलसा की जनता इसी सुशासन पर जमकर बरसी। मसला था, मल्लावां गांव में 9 लोगों की मौत का। मंत्री श्रवण कुमार मिल कर संवेदना प्रकट क्या करने गए, ग्रामीणों ने उनकी क्लास ले ली और जिला प्रशासन पर सीधा आरोप लगाया कि प्रशासन समय पर कार्रवाई करती तो लोगों की जान नहीं जाती। मंत्री पर गुस्सा इस बात का भी था कि वे पांच दिनों बाद हाल पूछने आए थे।
उपमुख्यमंत्री का भी विरोध
भाजपा के कद्दावर नेता व उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा को भी एंटी इनकंबेंसी की फजीहत झेलनी पड़ी। लखीसराय के रामगढ़ प्रखंड में वोट मांगने के दौरान स्थानीय लोगों ने जम कर सवाल किए। लखीसराय की जनता की शिकायत यह थी कि उन्होंने एक उप मुख्यमंत्री की हैसियत के समान कार्य कर नहीं पाए। जनता का गु्स्सा इस बात से था कि वो कहने को सरकार में उपमुख्यमंत्री थे, लेकिन इलाके में एक भी विकास का कार्य नहीं करा पाए। जनता का गुस्सा इस बात से भी था कि कोई भी योजना इलाके के लिए नहीं पास करवा पाए।
विधायक रामचंद्र प्रसाद को भी खदेड़ा
दरभंगा जिले में भी भाजपा विधायक रामचंद्र प्रसाद को इस बार जनता का भारी विरोध झेलना का सामना करना पड़ा। गांव में प्रवेश क्या किया कि उनके विरुद्ध मुर्दाबाद और वोट नहीं देंगे के नारे गूंजने लगते हैं। आरोप है कि पांच साल में उन्होंने इलाके का कोई ठोस विकास कार्य नहीं कराया। सड़कें टूटी पड़ी हैं, नालियां अधूरी हैं और बेरोजगारी जस की तस है। स्थिति ये हुई कि नेताजी को अपने लाव लश्कर के साथ भागना पड़ा। जनता उनके पीछे- पीछे मुर्दाबाद के नारे लगाती रही।
आरजेडी विधायक को खदेड़ा
राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह का भी इस बार डेहरी की जनता ने अच्छे से हिसाब किताब पूछा। ग्रामीण गांव में नल जल योजना, सड़क, बिजली, नली गली की दयनीय स्थिति से इस कदर नाराज थे कि चिलबिला गांव के लोगों ने जनसंपर्क के दौरान दौड़ा डाला। जनता इतनी नाराजगी थी कि चिलबिला गांव में ग्रामीण और विधायक के समर्थकों के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई। स्थिति इतनी विकराल हुई कि दूसरे लोगों को हस्तक्षेप करना पड़ा। विधायक को ग्रामीणों ने खदेड़ दिया और उन्हें अब वापस होने के लिए की बार सोचना पड़ेगा।
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