प्रेम कहानी में एक लड़का होता है, एक लड़की होती है, कभी दोनों हंसते हैं, कभी दोनों रोते हैं... लता मंगेशकर और किशोर कुमार की आवाज में यह गाना आपने जरूर सुना होगा। बॉलीवुड ही नहीं, बल्कि देश की किसी भी भाषा में बनने वाली अधिकतर फिल्मों का ताना-बाना यही है। हां, बीच में एक विलेन होता है, जिसे देखकर हर कोई बद्दुआ देता है। क्लाइमेक्स में जब विलेन हारता या मरता है, तो सिनेमाघरों में तालियां गूंजती हैं। फिल्मों ने हमें यही बताया और सिखाया है कि हर कहानी की हैप्पी एंडिंग होती है, और जब तक ऐसा ना हो, समझो कहानी खत्म नहीं हुई! लेकिन क्या हो, अगर कहानी के अंत में विलेन के साथ-साथ हीरो और हीरोइन भी मर जाए। क्यों, लग गया ना झटका! आज हम बात उन दो फिल्मों की करेंगे, जिसमें ऐसा ही होता है। ये दोनों ही फिल्में हैप्पी एंडिंग के मिथक को तोड़ती हैं। मजेदार बात ये है कि ये दोनों ही फिल्में एक ही डायरेक्टर ने बनाई हैं और दोनों को ही IMDb पर 8.0 रेटिंग मिली है।
इससे पहले कि हम इन दो फिल्मों पर आएं, पहले बात इसके डायरेक्टर की कर लेते हैं। यूपी के बिजनौर में पैदा हुए इस बेहतरीन डायरेक्टर ने इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत म्यूजिक कंपोजर के तौर पर 1995 में फिल्म 'अजय' से की थी। 'माचिस' फिल्म में इनके गीतों ने हर दिल के तार छेड़ दिए थे। साल 1999 में रिलीज 'गॉडमदर' के लिए इन्हें बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन का नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला। साल 2002 में इन्होंने डायरेक्शन में एंट्री की 'मकड़ी' बनाई। हम बात कर रहे हैं विशाल भारद्वाज की।
मोतियों की माला जैसी हैं विशाल की फिल्में, जीत चुके हैं 9 नेशनल अवॉर्ड
नौ बार नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीत चुके विशाल भारद्वाज वाकई में अद्भुत हैं। उन्हें रोमांस के साथ ट्रेजडी पसंद है। उनकी फिल्में और किरदार पर्दे पर किसी उलझी हुई मोतियों की माला की तरह होती हैं। इनमें चमक भी होती है, उलझन भी। किरदारों की गहराई उस माला की डोर की तरह है, जो मजबूत भी है और नाजुक भी। जो टूट जाए, तो दर्शकों की आत्मा तक बिखरने लगती है। वह सफेद और काले से ज्यादा स्याह सच्चाई पर भरोसा करते हैं। फिर चाहे 'द ब्लू अम्ब्रेला' हो, '7 खून माफ' हो या फिर 'हैदर'।
शेक्सपियर की 'मैकबेथ' और 'ओथेलो' पर बनी हैं 'मकबूल' और 'ओमकारा'
दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने एक बार कहा था, 'मुझे लगता है कि विशाल भारद्वाज दिलचस्प फिल्में बनाते हैं। भले ही मुझे उनके सभी फिल्में पसंद नहीं आई हैं। लेकिन उनका खराब काम भी बहुत से लोगों के तथाकथित अच्छे काम से ज्यादा दिलचस्प होता है।' खैर, विशाल भारद्वाज का संगीत के साथ ही साहित्य से गहरा नाता है। खासकर विलियम शेक्सपियर और उनकी ट्रेजिक कहानियां। हम यहां जिन दो फिलमों की बात कर रहे हैं, वो शेक्सपियर की ही दो दुखांत वाली कहानियों 'मैकबेथ' और 'ओथेलो' से प्रेरित हैं। ये फिल्में हैं 'मकबूल' और 'ओमकारा'
साल 2003 में रिलीज हुई थी 'मकबूल'
साल 2003 में रिलीज 'मकबूल' एक ऐसी फिल्म है, जिसके कद्रदान इसके नाम की कसमें खाते हैं। इरफान, तब्बू, पंकज कपूर, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, पीयूष मिश्रा, जैसे दिग्गजों से सजी यह फिल्म 132 मिनट लंबी है। लेकिन जब यह खत्म होती है तो आपके भीतर एक अंतहीन खामोशी छोड़ जाती है। शेक्सपियर के नाटक 'मैकबेथ' पर आधारित इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं किया, लेकिन IMDb पर इसे 8.0 रेटिंग मिली है।
'मकबूल' की कहानी
यह एक क्राइम ड्रामा फिल्म है, जिसमें इरफान ने मियां मकबूल का किरदार निभाया है। वह अंडरवर्ल्ड डॉन जहांगीर खान उर्फ अब्बा जी (पंकज कपूर) का दाहिना हाथ है। अब्बा जी के उसके एहसान हैं। लेकिन कहानी में तब दिलफेक मोड़ आ जाता है जब का दिल अब्बा जी की माशूका निम्मी (तब्बू) से जा लगता है। कहानी प्यार, ईमान, महात्वकांक्षा और एहसानों के चौराहे पर गोल-गोल घूमने लगती है। लेकिन फिर कहानी में चकरघिन्नी खाकर ऐसे मोड़ पर पहुंचती है, जहां हीरो, उसकी हीरोइन और उनकी कहानी का विलेन तीनों को मौत मिलती है। चैन नहीं मिलता।
'मकबूल' मूवी OTT पर कहां देखें
'मकबूल' उन फिल्मों में से है, जिसमें हर किरदार आपके दिल और दिमाग पर छा छाते हैं। इरफान का चुप रहकर अपनी आंखों से बातें करना, अब्बा जी के पलकों के उठने से ही खौफ का एहसास होना। तब्बू की गहरी पुतलियों की चंचलता। यह सब आप OTT पर देख सकते हैं। 'मकबूल' Prime Video पर उपलब्ध है।
साल 2006 में रिलीज हुई थी 'ओमकारा'
'ओमकारा' भी एक क्राइम ड्रामा है। यह शेक्सपियर के 'ओथेलो' पर आधारित है। इसमें अजय देवगन, करीना कपूर, सैफ अली खान, कोंकणा सेन शर्मा, विवेक ओबेरॉय हैं। फिल्म की कहानी के केंद्र में उत्तर प्रदेश का मेरठ शहर और वहां का बाहुबली ओमकारा है। 26 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 42 करोड़ कमाए थे। इसे 54वें नेशनल फिल्म फेस्टिवल में 3 अवॉर्ड मिले। कोंकणा को बेस्ट सर्पोटिंग एक्ट्रेस, बेस्ट ऑडियोग्राफी और स्पेशल जूरी अवॉर्ड।
'ओमकारा' की कहानी
यह कहानी 5 किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है। ओमकारा (अजय देवगन), जो इलाके का बाहुबली है। वह कर्म से बुरा है, ऊपर से सख्त है। पर दिल से अच्छा भी है। डॉली (करीना कपूर) में उसकी जान बसती है। ओमकारा के दो शार्गिद हैं, केशव (विवेक ओबेरॉय) और ईश्वर उर्फ लंगड़ा त्यागी (सैफ अली खान), जिसकी बीवी है इंदू (कोंकणा), कहानी में हर किसी की अपनी चाह है। ओमकारा को राजनेता बनना है। डॉली को भरदम प्यार और दुल्हन बनना है। केशव को हर हाल में ओमकारा की भक्ति करनी है और ईश्वर को अगला बाहुबली बनना है। वो कहते हैं ना कि रिश्तों का महल चाहे कितना भी मजबूत हो, शक की आंधी उसे मिट्टी में मिला देती है। इस कहानी में भी कुछ ऐसा ही होता है। अंत ऐसा जिसे देख आप कुछ पल के लिए ठिठक जाते हैं। हीरो, हीरोइन, विलेन, यहां भी तीनों की मारे जाते हैं।
'ओमकारा' मूवी OTT पर कहां देखें
फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में 19 नॉमिनेशन और 9 पुरस्कार जीतने वाली यह शानदार फिल्म आप OTT पर Prime Video और Zee5 पर देख सकते हैं।
इससे पहले कि हम इन दो फिल्मों पर आएं, पहले बात इसके डायरेक्टर की कर लेते हैं। यूपी के बिजनौर में पैदा हुए इस बेहतरीन डायरेक्टर ने इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत म्यूजिक कंपोजर के तौर पर 1995 में फिल्म 'अजय' से की थी। 'माचिस' फिल्म में इनके गीतों ने हर दिल के तार छेड़ दिए थे। साल 1999 में रिलीज 'गॉडमदर' के लिए इन्हें बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन का नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला। साल 2002 में इन्होंने डायरेक्शन में एंट्री की 'मकड़ी' बनाई। हम बात कर रहे हैं विशाल भारद्वाज की।
मोतियों की माला जैसी हैं विशाल की फिल्में, जीत चुके हैं 9 नेशनल अवॉर्ड
नौ बार नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीत चुके विशाल भारद्वाज वाकई में अद्भुत हैं। उन्हें रोमांस के साथ ट्रेजडी पसंद है। उनकी फिल्में और किरदार पर्दे पर किसी उलझी हुई मोतियों की माला की तरह होती हैं। इनमें चमक भी होती है, उलझन भी। किरदारों की गहराई उस माला की डोर की तरह है, जो मजबूत भी है और नाजुक भी। जो टूट जाए, तो दर्शकों की आत्मा तक बिखरने लगती है। वह सफेद और काले से ज्यादा स्याह सच्चाई पर भरोसा करते हैं। फिर चाहे 'द ब्लू अम्ब्रेला' हो, '7 खून माफ' हो या फिर 'हैदर'।
शेक्सपियर की 'मैकबेथ' और 'ओथेलो' पर बनी हैं 'मकबूल' और 'ओमकारा'
दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने एक बार कहा था, 'मुझे लगता है कि विशाल भारद्वाज दिलचस्प फिल्में बनाते हैं। भले ही मुझे उनके सभी फिल्में पसंद नहीं आई हैं। लेकिन उनका खराब काम भी बहुत से लोगों के तथाकथित अच्छे काम से ज्यादा दिलचस्प होता है।' खैर, विशाल भारद्वाज का संगीत के साथ ही साहित्य से गहरा नाता है। खासकर विलियम शेक्सपियर और उनकी ट्रेजिक कहानियां। हम यहां जिन दो फिलमों की बात कर रहे हैं, वो शेक्सपियर की ही दो दुखांत वाली कहानियों 'मैकबेथ' और 'ओथेलो' से प्रेरित हैं। ये फिल्में हैं 'मकबूल' और 'ओमकारा'

साल 2003 में रिलीज हुई थी 'मकबूल'
साल 2003 में रिलीज 'मकबूल' एक ऐसी फिल्म है, जिसके कद्रदान इसके नाम की कसमें खाते हैं। इरफान, तब्बू, पंकज कपूर, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, पीयूष मिश्रा, जैसे दिग्गजों से सजी यह फिल्म 132 मिनट लंबी है। लेकिन जब यह खत्म होती है तो आपके भीतर एक अंतहीन खामोशी छोड़ जाती है। शेक्सपियर के नाटक 'मैकबेथ' पर आधारित इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं किया, लेकिन IMDb पर इसे 8.0 रेटिंग मिली है।
'मकबूल' की कहानी
यह एक क्राइम ड्रामा फिल्म है, जिसमें इरफान ने मियां मकबूल का किरदार निभाया है। वह अंडरवर्ल्ड डॉन जहांगीर खान उर्फ अब्बा जी (पंकज कपूर) का दाहिना हाथ है। अब्बा जी के उसके एहसान हैं। लेकिन कहानी में तब दिलफेक मोड़ आ जाता है जब का दिल अब्बा जी की माशूका निम्मी (तब्बू) से जा लगता है। कहानी प्यार, ईमान, महात्वकांक्षा और एहसानों के चौराहे पर गोल-गोल घूमने लगती है। लेकिन फिर कहानी में चकरघिन्नी खाकर ऐसे मोड़ पर पहुंचती है, जहां हीरो, उसकी हीरोइन और उनकी कहानी का विलेन तीनों को मौत मिलती है। चैन नहीं मिलता।
'मकबूल' मूवी OTT पर कहां देखें
'मकबूल' उन फिल्मों में से है, जिसमें हर किरदार आपके दिल और दिमाग पर छा छाते हैं। इरफान का चुप रहकर अपनी आंखों से बातें करना, अब्बा जी के पलकों के उठने से ही खौफ का एहसास होना। तब्बू की गहरी पुतलियों की चंचलता। यह सब आप OTT पर देख सकते हैं। 'मकबूल' Prime Video पर उपलब्ध है।
साल 2006 में रिलीज हुई थी 'ओमकारा'
'ओमकारा' भी एक क्राइम ड्रामा है। यह शेक्सपियर के 'ओथेलो' पर आधारित है। इसमें अजय देवगन, करीना कपूर, सैफ अली खान, कोंकणा सेन शर्मा, विवेक ओबेरॉय हैं। फिल्म की कहानी के केंद्र में उत्तर प्रदेश का मेरठ शहर और वहां का बाहुबली ओमकारा है। 26 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 42 करोड़ कमाए थे। इसे 54वें नेशनल फिल्म फेस्टिवल में 3 अवॉर्ड मिले। कोंकणा को बेस्ट सर्पोटिंग एक्ट्रेस, बेस्ट ऑडियोग्राफी और स्पेशल जूरी अवॉर्ड।

'ओमकारा' की कहानी
यह कहानी 5 किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है। ओमकारा (अजय देवगन), जो इलाके का बाहुबली है। वह कर्म से बुरा है, ऊपर से सख्त है। पर दिल से अच्छा भी है। डॉली (करीना कपूर) में उसकी जान बसती है। ओमकारा के दो शार्गिद हैं, केशव (विवेक ओबेरॉय) और ईश्वर उर्फ लंगड़ा त्यागी (सैफ अली खान), जिसकी बीवी है इंदू (कोंकणा), कहानी में हर किसी की अपनी चाह है। ओमकारा को राजनेता बनना है। डॉली को भरदम प्यार और दुल्हन बनना है। केशव को हर हाल में ओमकारा की भक्ति करनी है और ईश्वर को अगला बाहुबली बनना है। वो कहते हैं ना कि रिश्तों का महल चाहे कितना भी मजबूत हो, शक की आंधी उसे मिट्टी में मिला देती है। इस कहानी में भी कुछ ऐसा ही होता है। अंत ऐसा जिसे देख आप कुछ पल के लिए ठिठक जाते हैं। हीरो, हीरोइन, विलेन, यहां भी तीनों की मारे जाते हैं।
'ओमकारा' मूवी OTT पर कहां देखें
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