नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बिहार की महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर बीजेपी-जेडीयू सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि बीते 20 साल में महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान की लगातार अनदेखी हुई और अब चुनाव आते ही वोट के लिए डिजिटल संवाद का ढोंग किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाते हुए दावा किया कि भाजपा-जदयू शासन में बिहार की महिलाएं असुरक्षा, बीमारी और कर्ज के जाल में फंसी हुई हैं।
जयराम रमेश ने क्या कहा
पहले सवाल में जयराम रमेश ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को लेकर कहा कि पिछले दो दशकों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 336 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पहले जहां हर साल करीब 6,015 मामले दर्ज होते थे, अब यह बढ़कर 20,222 मामले प्रति वर्ष हो गए हैं। कुल मिलाकर अब तक 2.8 लाख महिलाएं इन अपराधों की शिकार बनी हैं। उन्होंने बताया कि 1,17,947 मामले अभी भी अदालतों में लंबित हैं, यानी 98.2 प्रतिशत पेंडेंसी जो पूरे देश में सबसे अधिक है।
बीजेपी-जदयू सरकार महिलाओं को सुरक्षा क्यों नहीं दे पाई?
कांग्रेस नेता ने कहा कि महिलाओं के अपहरण के मामलों में भी 1097 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है पहले औसतन 929 मामले प्रति वर्ष, अब यह संख्या 10,190 प्रति वर्ष हो गई है। जयराम रमेश ने पूछा इतने रिकॉर्डतोड़ अपराधों के बावजूद भाजपा-जदयू सरकार महिलाओं को सुरक्षा क्यों नहीं दे पाई?
किशोरियों में एनीमिया के बढ़ते मामले का उठाया मुद्दा
दूसरे सवाल में उन्होंने महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया (खून की कमी) के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार बिहार की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। गैर-गर्भवती महिलाओं (15–49 वर्ष) में एनीमिया के मामले 60.4% से बढ़कर 63.6%, सभी महिलाओं में 60.3% से बढ़कर 63.5%, और किशोर लड़कियों (15–19 वर्ष) में 61% से बढ़कर 65.7% हो गए हैं।
महिलाओं के माइक्रोफाइनेंस कर्ज पर क्या कहा
रमेश ने कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य पर इतना बड़ा संकट होने के बावजूद भाजपा-जदयू सरकार ने आंखें क्यों मूंद लीं? तीसरे सवाल में उन्होंने बिहार की महिलाओं के माइक्रोफाइनेंस कर्ज जाल की स्थिति को लेकर गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य में 1 करोड़ 9 लाख महिलाएं माइक्रोफाइनेंस कर्ज के बोझ तले दबी हैं और औसतन प्रत्येक महिला पर 30,000 रुपए तक का बकाया है।
जयराम रमेश के मुताबिक वसूली एजेंटों की धमकियों, सामाजिक अपमान, पलायन और आत्महत्याओं के मामलों में तेजी आई है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि माइक्रोफाइनेंस माफिया को आखिर किसका संरक्षण मिला हुआ है?
जयराम रमेश ने क्या कहा
पहले सवाल में जयराम रमेश ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को लेकर कहा कि पिछले दो दशकों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 336 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पहले जहां हर साल करीब 6,015 मामले दर्ज होते थे, अब यह बढ़कर 20,222 मामले प्रति वर्ष हो गए हैं। कुल मिलाकर अब तक 2.8 लाख महिलाएं इन अपराधों की शिकार बनी हैं। उन्होंने बताया कि 1,17,947 मामले अभी भी अदालतों में लंबित हैं, यानी 98.2 प्रतिशत पेंडेंसी जो पूरे देश में सबसे अधिक है।
बीजेपी-जदयू सरकार महिलाओं को सुरक्षा क्यों नहीं दे पाई?
कांग्रेस नेता ने कहा कि महिलाओं के अपहरण के मामलों में भी 1097 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है पहले औसतन 929 मामले प्रति वर्ष, अब यह संख्या 10,190 प्रति वर्ष हो गई है। जयराम रमेश ने पूछा इतने रिकॉर्डतोड़ अपराधों के बावजूद भाजपा-जदयू सरकार महिलाओं को सुरक्षा क्यों नहीं दे पाई?
किशोरियों में एनीमिया के बढ़ते मामले का उठाया मुद्दा
दूसरे सवाल में उन्होंने महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया (खून की कमी) के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार बिहार की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। गैर-गर्भवती महिलाओं (15–49 वर्ष) में एनीमिया के मामले 60.4% से बढ़कर 63.6%, सभी महिलाओं में 60.3% से बढ़कर 63.5%, और किशोर लड़कियों (15–19 वर्ष) में 61% से बढ़कर 65.7% हो गए हैं।
महिलाओं के माइक्रोफाइनेंस कर्ज पर क्या कहा
रमेश ने कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य पर इतना बड़ा संकट होने के बावजूद भाजपा-जदयू सरकार ने आंखें क्यों मूंद लीं? तीसरे सवाल में उन्होंने बिहार की महिलाओं के माइक्रोफाइनेंस कर्ज जाल की स्थिति को लेकर गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य में 1 करोड़ 9 लाख महिलाएं माइक्रोफाइनेंस कर्ज के बोझ तले दबी हैं और औसतन प्रत्येक महिला पर 30,000 रुपए तक का बकाया है।
जयराम रमेश के मुताबिक वसूली एजेंटों की धमकियों, सामाजिक अपमान, पलायन और आत्महत्याओं के मामलों में तेजी आई है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि माइक्रोफाइनेंस माफिया को आखिर किसका संरक्षण मिला हुआ है?
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