साहेबगंजः झारखंड के साहेबगंज जिले में समय पर इलाज न मिलने के कारण एक 14 साल के बच्चे गुलाम हुसैन की मौत हो गई। सबसे दुख की बात यह है कि उसके गांव में एक प्राइमरी हेल्थ सेंटर कई सालों से बनकर तैयार है, लेकिन वो काफी दिनों से बंद पड़ा है।
स्वास्थ्य केंद्र बंद होने से हुई मौत
बच्चे की मौत की घटना साहेबगंज के उधवा प्रखंड के बेगमगंज गांव की है। यहां का प्राइमरी हेल्थ सेंटर लंबे समय से बनकर तैयार है, लेकिन उस प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर ताला पड़ा है, जिसके कारण ग्रामीणों को इलाज के लिए 70 किलोमीटर दूर पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के मालदा जाना पड़ता है।
16 सितंबर को गुलाम हुसैन की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उसके परिवार वाले उसे मालदा के एक निजी अस्पताल में ले गए, लेकिन वहां उसे सही इलाज नहीं मिला। वापस लौटने के बाद उसे रांची भेजा गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।
ग्रामीणों की परेशानी
बेगमगंज के सामाजिक कार्यकर्ता यूसुफ शेख ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि गांव वाले कई बार प्रशासन और सरकार से हेल्थ सेंटर को खोलने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि यह केवल एक घटना नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का नतीजा है, जहां छोटी बीमारियों के लिए भी लोगों को इतनी दूर जाना पड़ता है।
यूसुफ शेख ने बताया कि इलाके में अस्पताल की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को हमेशा खतरा रहता है। हालांकि, गुलाम हुसैन के इलाज के लिए सिविल सर्जन ने एंबुलेंस की सुविधा दी थी, लेकिन बच्चे की जान नहीं बचाई जा सकी।
स्वास्थ्य केंद्र बंद होने से हुई मौत
बच्चे की मौत की घटना साहेबगंज के उधवा प्रखंड के बेगमगंज गांव की है। यहां का प्राइमरी हेल्थ सेंटर लंबे समय से बनकर तैयार है, लेकिन उस प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर ताला पड़ा है, जिसके कारण ग्रामीणों को इलाज के लिए 70 किलोमीटर दूर पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के मालदा जाना पड़ता है।
16 सितंबर को गुलाम हुसैन की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उसके परिवार वाले उसे मालदा के एक निजी अस्पताल में ले गए, लेकिन वहां उसे सही इलाज नहीं मिला। वापस लौटने के बाद उसे रांची भेजा गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।
ग्रामीणों की परेशानी
बेगमगंज के सामाजिक कार्यकर्ता यूसुफ शेख ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि गांव वाले कई बार प्रशासन और सरकार से हेल्थ सेंटर को खोलने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उनका कहना है कि यह केवल एक घटना नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का नतीजा है, जहां छोटी बीमारियों के लिए भी लोगों को इतनी दूर जाना पड़ता है।
यूसुफ शेख ने बताया कि इलाके में अस्पताल की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को हमेशा खतरा रहता है। हालांकि, गुलाम हुसैन के इलाज के लिए सिविल सर्जन ने एंबुलेंस की सुविधा दी थी, लेकिन बच्चे की जान नहीं बचाई जा सकी।
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