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ज्यादा फोन देखने से इंटरटेन नहीं हो जाएंगे डिप्रेस्ड, हमेशा रहेंगे खोए-खोए, एक्सपर्ट ने बताए नुकसान

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कई चीजें जो आपके फायदे के लिए बनाई गईं वो आपको नुकसान पहुंचाने से भी पीछे नहीं हटती हैं। इनमें फोन भी शामिल है। फोन जहां आपको अपनों से कनेक्ट रहने, दुनिया भर की जानकारियां इकट्ठी करने, खुद को इंटरटेन करने में मदद करता है, वहीं यह उपकरण आपको कई बीमारियों की चपेट में भी डाल सकता है।

इसकी वजह फोन का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना हो सकता है। ऐसे तमाम लोग हैं जो इस बात से अनजान हैं कि कई घंटों तक लगातार फोन को स्क्रॉल करते रहने की आदत उनकी सेहत के लिए एक सबसे बड़ा खतरा है। इससे आप डिप्रेस्ड भी हो सकते हैं और सुन्न, खोया हुआ, चिंतित महसूस कर सकते हैं।

जी हां, फोन को आप भले ही घंटों तक खुद को इंटरटेन करने के लिए चलाते रहते हैं लेकिन ये आपके जीवन में उदासी का कारण बन सकता है। वो क्यों और कैसे? इस बारे में पॉपुलर फिटनेस कोच प्रियांक मेहता ने अपने फॉलोअर्स और नेटिजन्स के साथ जानकारी साझा की है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
Photos- Freepik
फोन चलाने का तरीका खड़ी कर सकता है बड़ी परेशानी image

अगर आप फोन का सीमित मात्रा में इस्तेमाल करते हैं। तब तक इसके कोई नुकसान नहीं हैं लेकिन अगर आप इसके आदि हो जाते हैं आप रील, वीडियोज आदि चीजें देखने में घंटों-घंटों समय बिताने लग जाते हैं तो इससे केवल आपकी आंखों पर ही असर नहीं पड़ता बल्कि ये आपके ब्रेन, मूड और नींद पर भी खराब असर डालता है। इससे आपके हैप्पी और स्ट्रेस हॉर्मोन्स भी प्रभावित होते हैं।



डोपामाइन की आ जाती है बाढ़ image

प्रियांक ने बताया, प्रत्येक स्क्रॉल आपके ब्रेन को डोपामाइन से भर देता है, जो कि आपके मस्तिष्क में बनने वाला एक न्यूरोट्रांसमीटर है। इसे "खुशी का रसायन" भी कहा जाता है, क्योंकि यह आनंद और इनाम की भावनाओं से जुड़ा है। लेकिन 20 मिनट तक फोन स्क्रॉल करने के बाद प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (Prefrontal cortex) की गतिविधि पर असर पड़ता है और यह धीरे-धीरे बंद होने लगता है। यह मस्तिष्क का वो हिस्सा है जो फोकस, भावनाओं और निर्णय लेने को नियंत्रित करता है। अगर आप ऐसी भावनाओं को महसूस करते हैं, सुन्न, अतिउत्तेजित, खोया हुआ, चिंतित, जैसे जीवन ऑटो-पायलट पर है, तो यह आलस्य नहीं है, यह डोपामाइन बर्नआउट है।


थकने लगता है ब्रेन image

ये तो हर कोई जानता है कि जब आप रील या शॉर्ट्स स्क्रॉल करते हैं तो आप यह तय नहीं करते कि नेक्स्ट कौन सी रील, म्यूजिक, ट्रांजिशन, मोशन आएंगे, बल्कि यह सब कुछ एल्गोरिदम पर निर्भर करता है। ऐसे में आपका दिमाग काम करने की बजाय बंद हो जाता है। दरअसल, फीड पर आने वाला हर वीडियो एक अलग इमोशन को प्रभावित करता है और इसके साथ निर्णय लेने का एक संज्ञानात्मक अधिभार भी होता है जैसे कि लाइक करें, शेयर करें, सेव करें, कि कॉमेंट करें। ऐसे में आपका ब्रेन वास्तव में थक जाता है और अत्यधिक उत्तेजित हो जाता है।


रिलैक्सिंग गतिविधियां लगती है बोरिंग image

केवल इतना ही नहीं बल्कि जब आप बहुत देर तक फोन पर ही अपना मन लगाए रखते हैं तो इससे दिमाग थक जाता है, जिससे पढ़ने या समस्या समाधान जैसे कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना कठिन हो सकता है। इसके अलावा आपको चलने जैसी साधारण गतिविधि भी उबाऊ यानी बोरिंग लगने लगती है।


उदास होने की बढ़ जाती है संभावना image

फिटनेस कोच ने एक स्टडी का हवाला देते हुए बताया कि अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया, जो लोग दिन में तीन घंटे से अधिक स्क्रॉल करते हैं, उनके अवसादग्रस्त होने की संभावना 60 प्रतिशत अधिक होती है। इसके अलावा अन्य अध्ययनों ने सोशल मीडिया के अधिक उपयोग और डिप्रेशन, एंग्जायटी, अकेलेपन और आत्महत्या के विचार के बीच संबंध दिखाया है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।

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