बेगूसराय: बेगूसराय जिले का चेरिया बरियारपुर विधानसभा 1977 में अपने अस्तित्व में आया था। कृषि बहुल और एशिया के सबसे बड़ा कावर झील इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां हर दल को बारी-बारी से मौका मिलने का इतिहास भी रहा है। हालांकि अब तक बीजेपी इस सीट पर अपनी जीत दर्ज नहीं कर सकी है। चेरिया बरियारपुर में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है। 'लालटेन' यानी राजद और 'तीर' यानी जदयू के बीच का सीधा संघर्ष 'जन सुराज' की मौजूदगी से और दिलचस्प हो गया है। आइए जानते हैं सीट का समीकरण...   
   
   
चेरिया बरियारपुर सीट का चुनावी इतिहासचेरिया बरियारपुर सीट का इतिहास भी रोचक रहा है, जहां इस सीट पर चुनावी मैदान में जाने वाले हर दल दो-दो बार बिहार चुनाव जीता है। हालांकि एक बार सीपीआई जीती है, लेकिन भाजपा अब तक इस पर जीत हासिल नहीं की है। 1977 से लेकर अब तक चेरिया बरियारपुर विधानसभा में 11 बार विधानसभा का चुनाव हुआ है, जिसमें कांग्रेस 1977 और 1985 में दो बार, 1980 में सीपीआई एक बार, जनता दल 1990 और 1995 में दो बार, राजद 2000 और 2020 में दो बार, जदयू 2010 और 2015 में दो बार, लोजपा 2005 के फरवरी और 2005 के अक्टूबर में दो बार चुनाव जीती है।
     
पिछले कुछ चुनाव की बात की जाए तो साल 2000 के चुनाव में राजद के अशोक कुमार, 2005 के दोनों चुनाव में लोजपा के अनिल चौधरी चुनाव जीते थे। 2010 में जदयू के मंजू वर्मा ने लोजपा के अनिल चौधरी को करीब 1000 मतों से हराकर पहली बार चुनाव जीती थी, जिसके बाद 2015 में भी जदयू ने मंजू वर्मा को टिकट दिया, जहां मंजू वर्मा ने करीब 30000 मतों से लोजपा के अनिल चौधरी को चुनावी मैदान में पटकनी दी थी। मंजू वर्मा को 69795, जबकि अनिल चौधरी को 40059 मत प्राप्त हुआ था।
     
फिर साल 2020 के चुनाव में राजद ने अपने पूर्व सांसद राजवंशी महतो को विधानसभा का चुनाव लड़वाया, जहां राजवंशी महतो को 68635 मत प्राप्त हुआ, जबकि जदयू की मंत्री रही, मंजू वर्मा को मात्र 27738 मत प्राप्त हुआ और करीब 41000 वोटो से मंजू वर्मा चुनाव हार गई। 2020 के चुनाव में मंजू वर्मा के खिलाफ लोगों में काफी आक्रोश था, क्योंकि मुजफ्फरपुर बालिका कांड के बाद मंजू वर्मा को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। घर में छापेमारी के दौरान कारतूस मिलने से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। इसको लेकर क्षेत्र में काफी नाराजगी थी। इसके बावजूद नीतीश कुमार ने उन पर भरोसा कर टिकट दिया, जहां उन्हें हर का सामना करना पड़ा।
   
लोकसभा और विधानसभा में बदलते रहते हैं वोटर
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का वोट पैटर्न की बात की जाए तो साल 2019 के चुनाव में भाजपा के गिरिराज सिंह को चेरिया बरियारपुर विधानसभा में 52000 से अधिक मत से लीड हासिल की थी लेकिन 2020 का जब विधानसभा चुनाव हुआ और जदयू भाजपा साथ लड़ी तो वहां जदयू प्रत्याशी को 40000 के बड़े मार्जिन से चुनाव हारना पड़ा था। वही 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के गिरिराज सिंह को चेरिया बरियारपुर विधानसभा से करीब 10000 से ही लीड मिल सकी थी। अगर कुल मतदाताओं की बात की जाए तो चेरिया बरियारपुर विधानसभा में 280128 मतदाता मतदाता गहन पुनरीक्षण के पहले था जबकि पुनरीक्षण कार्य के बाद मतदाताओं की संख्या ड्राफ्ट रोल में 263612 बचा है।
   
आरजेडी, जदयू और जनसुराज से कौन-कौन ठोंक रहा ताल?
2025 के विधानसभा चुनाव में दावेदारों की बात की जाए तो आरजेडी से विधायक राजवंशी महतो हैं। लेकिन राजद ने इस बार उनकी टिकट काटकर सुशील सिंह कुशवाह को यहां से उम्मीदवार बनाया है। वहीं जेडीयू ने भी पिछली हार से सबक लेते हुए अभिषेक कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है। बता दें, पिछली बार जेडीयू ने मंजू वर्मा को यहां से चुनाव लड़वाया था। वहीं जन सुराज से डॉ. मृत्युंजय चुनाव लड़ रहे हैं।
   
कावर झील हर चुनाव में बनता है बड़ा मुद्दा
एशिया की सबसे बड़ी मीठे जल की कावर झील चेरिया बरियारपुर विधानसभा के बीच में आती है। कावर झील के विकास के लिए और किसानों की समस्या को लेकर हर बार चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा रहता है। कावर का इलाका करीब 6200 एकड़ में फैला हुआ है, जहां किसान खेती तो कर सकते हैं, लेकिन अपनी जमीन की खरीद बिक्री नहीं कर सकते हैं। ऐसे में किसानों कि यह एक बड़ी समस्या रहती है। कावर झील का भी विकास अब तक नहीं हो पाया है।
   
इसके साथ ही शक्तिपीठ में शामिल 'जय मंगल गढ़' मंदिर इस विधानसभा क्षेत्र में आता है। इसके विकास का भी एक बड़ा मुद्दा हर चुनाव में रहता है। हाल के दिनों में सरकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार को लेकर आम लोग मुखर हुए हैं। यह भी एक बड़ा फैक्टर काम करेगा। चेरिया बरियारपुर प्रखंड और भगवानपुर प्रखंड के बीच चेरिया गांव और मेहदा शाहपुर गांव के बीच गंडक नदी पर पुल निर्माण की मांग लगातार की जा रही है, यह भी एक बड़ा मुद्दा इस चुनाव में होगा।
   
चेरिया बरियारपुर में कौन से वोटर की रहती है भूमिका?
जातिगत वोटरों की बात की जाए तो चेरिया बरियारपुर विधानसभा में कुशवाहा और भुमिहार वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं। इस विधानसभा में सबसे अत्यधिक वोटर कुशवाहा समाज से आते हैं, जबकि उससे कुछ कम वोटर भूमिहार समाज से आते हैं। वही अन्य जातियों की बात की जाए तो यादव, मुस्लिम, वैश्य पासवान और सहनी समाज के वोटर लगभग एक समान है।
  
चेरिया बरियारपुर सीट का चुनावी इतिहासचेरिया बरियारपुर सीट का इतिहास भी रोचक रहा है, जहां इस सीट पर चुनावी मैदान में जाने वाले हर दल दो-दो बार बिहार चुनाव जीता है। हालांकि एक बार सीपीआई जीती है, लेकिन भाजपा अब तक इस पर जीत हासिल नहीं की है। 1977 से लेकर अब तक चेरिया बरियारपुर विधानसभा में 11 बार विधानसभा का चुनाव हुआ है, जिसमें कांग्रेस 1977 और 1985 में दो बार, 1980 में सीपीआई एक बार, जनता दल 1990 और 1995 में दो बार, राजद 2000 और 2020 में दो बार, जदयू 2010 और 2015 में दो बार, लोजपा 2005 के फरवरी और 2005 के अक्टूबर में दो बार चुनाव जीती है।
पिछले कुछ चुनाव की बात की जाए तो साल 2000 के चुनाव में राजद के अशोक कुमार, 2005 के दोनों चुनाव में लोजपा के अनिल चौधरी चुनाव जीते थे। 2010 में जदयू के मंजू वर्मा ने लोजपा के अनिल चौधरी को करीब 1000 मतों से हराकर पहली बार चुनाव जीती थी, जिसके बाद 2015 में भी जदयू ने मंजू वर्मा को टिकट दिया, जहां मंजू वर्मा ने करीब 30000 मतों से लोजपा के अनिल चौधरी को चुनावी मैदान में पटकनी दी थी। मंजू वर्मा को 69795, जबकि अनिल चौधरी को 40059 मत प्राप्त हुआ था।
फिर साल 2020 के चुनाव में राजद ने अपने पूर्व सांसद राजवंशी महतो को विधानसभा का चुनाव लड़वाया, जहां राजवंशी महतो को 68635 मत प्राप्त हुआ, जबकि जदयू की मंत्री रही, मंजू वर्मा को मात्र 27738 मत प्राप्त हुआ और करीब 41000 वोटो से मंजू वर्मा चुनाव हार गई। 2020 के चुनाव में मंजू वर्मा के खिलाफ लोगों में काफी आक्रोश था, क्योंकि मुजफ्फरपुर बालिका कांड के बाद मंजू वर्मा को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। घर में छापेमारी के दौरान कारतूस मिलने से उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। इसको लेकर क्षेत्र में काफी नाराजगी थी। इसके बावजूद नीतीश कुमार ने उन पर भरोसा कर टिकट दिया, जहां उन्हें हर का सामना करना पड़ा।
लोकसभा और विधानसभा में बदलते रहते हैं वोटर
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का वोट पैटर्न की बात की जाए तो साल 2019 के चुनाव में भाजपा के गिरिराज सिंह को चेरिया बरियारपुर विधानसभा में 52000 से अधिक मत से लीड हासिल की थी लेकिन 2020 का जब विधानसभा चुनाव हुआ और जदयू भाजपा साथ लड़ी तो वहां जदयू प्रत्याशी को 40000 के बड़े मार्जिन से चुनाव हारना पड़ा था। वही 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के गिरिराज सिंह को चेरिया बरियारपुर विधानसभा से करीब 10000 से ही लीड मिल सकी थी। अगर कुल मतदाताओं की बात की जाए तो चेरिया बरियारपुर विधानसभा में 280128 मतदाता मतदाता गहन पुनरीक्षण के पहले था जबकि पुनरीक्षण कार्य के बाद मतदाताओं की संख्या ड्राफ्ट रोल में 263612 बचा है।
आरजेडी, जदयू और जनसुराज से कौन-कौन ठोंक रहा ताल?
2025 के विधानसभा चुनाव में दावेदारों की बात की जाए तो आरजेडी से विधायक राजवंशी महतो हैं। लेकिन राजद ने इस बार उनकी टिकट काटकर सुशील सिंह कुशवाह को यहां से उम्मीदवार बनाया है। वहीं जेडीयू ने भी पिछली हार से सबक लेते हुए अभिषेक कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है। बता दें, पिछली बार जेडीयू ने मंजू वर्मा को यहां से चुनाव लड़वाया था। वहीं जन सुराज से डॉ. मृत्युंजय चुनाव लड़ रहे हैं।
कावर झील हर चुनाव में बनता है बड़ा मुद्दा
एशिया की सबसे बड़ी मीठे जल की कावर झील चेरिया बरियारपुर विधानसभा के बीच में आती है। कावर झील के विकास के लिए और किसानों की समस्या को लेकर हर बार चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा रहता है। कावर का इलाका करीब 6200 एकड़ में फैला हुआ है, जहां किसान खेती तो कर सकते हैं, लेकिन अपनी जमीन की खरीद बिक्री नहीं कर सकते हैं। ऐसे में किसानों कि यह एक बड़ी समस्या रहती है। कावर झील का भी विकास अब तक नहीं हो पाया है।
इसके साथ ही शक्तिपीठ में शामिल 'जय मंगल गढ़' मंदिर इस विधानसभा क्षेत्र में आता है। इसके विकास का भी एक बड़ा मुद्दा हर चुनाव में रहता है। हाल के दिनों में सरकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार को लेकर आम लोग मुखर हुए हैं। यह भी एक बड़ा फैक्टर काम करेगा। चेरिया बरियारपुर प्रखंड और भगवानपुर प्रखंड के बीच चेरिया गांव और मेहदा शाहपुर गांव के बीच गंडक नदी पर पुल निर्माण की मांग लगातार की जा रही है, यह भी एक बड़ा मुद्दा इस चुनाव में होगा।
चेरिया बरियारपुर में कौन से वोटर की रहती है भूमिका?
जातिगत वोटरों की बात की जाए तो चेरिया बरियारपुर विधानसभा में कुशवाहा और भुमिहार वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं। इस विधानसभा में सबसे अत्यधिक वोटर कुशवाहा समाज से आते हैं, जबकि उससे कुछ कम वोटर भूमिहार समाज से आते हैं। वही अन्य जातियों की बात की जाए तो यादव, मुस्लिम, वैश्य पासवान और सहनी समाज के वोटर लगभग एक समान है।
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