बीजिंग: डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों के बावजूद भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदने का फैसला किया है। भारत ने साफ शब्दों में कह दिया है कि रूस उसका समय की कसौटी पर परखा हुआ साथी है। भारत लगातार रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भारत के खिलाफ आग उगल रहे थे। भारत के रूस से तेल खरीदने के फैसले पर कायम रहने को लेकर चीन का साथ मिला है और चीन ने भारत की विदेश नीति को स्वतंत्र बताते हुए तारीफ की है। आपको बता दें कि रॉयटर्स की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अमेरिका की तरफ से जुर्माने की धमकी के बावजूद रूस से तेल खरीदने में "तत्काल कोई बदलाव नहीं होगा"। भारत के इस फैसले पर चीन के एक एक्सपर्ट ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स से कहा कि "भारत का यह कदम आर्थिक हितों और स्वतंत्र विदेश नीति के पालन के दो विचारों से उपजा है।"
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते भारत के खिलाफ 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इसके अलावा उन्होंने रूसी तेल और हथियार खरीदने के लिए भारत पर जुर्माना लगाने का ऐलान भी किया था। वहीं शुक्रवार को ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि "उन्होंने सुना है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा।" उन्होंने कहा कि "उन्हें नहीं पता कि यह सही है या नहीं, लेकिन यह एक अच्छा कदम है और देखते हैं क्या होता है।" पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम में मध्यस्थता करने से लेकर रूसी तेल खरीदने और बार बार टैरिफ की धमकी देकर डोनाल्ड ट्रंप ने मोदी सरकार की इमेज पर हमला करने की कोशिश की है।
रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा भारत
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा है कि "ये दीर्घकालिक तेल अनुबंध हैं। रातोंरात खरीदारी बंद करना इतना आसान नहीं है।" वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स ने शनिवार को दो सीनियर भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा है कि नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अधिकारी ने कहा कि, सरकार ने रूस से आयात कम करने के लिए "तेल कंपनियों को कोई निर्देश नहीं दिया है"। जिसको लेकर ग्लोबल टाइम्स से सिंघुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने कहा कि "भारत रूस से तेल अपनी आर्थिक जरूरतों की वजह से खरीदता है और अमेरिका की प्रेशर में आकर वो रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा।" उन्होंने आगे कहा कि "भारत के पास घरेलू तेल कम है और रूसी तेल की क्वालिटी अच्छी होने के साथ साथ उसकी कीमत कम होती है, जाहिर तौर पर इसका फायदा है। इससे भारत अपने पेट्रोलियम भंडार को सुरक्षित रख सकता है और अपने आर्थिक विकास के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय बनाए रखेगा।"
न्यूयॉर्क टाइम्स से सूत्रों ने कहा है कि वेनेजुएला और ईरान की तरह रूसी तेल के ऊपर कोई प्रतिबंध नहीं है और भारत इसे यूरोपीय संघ की तरफ से निर्धारित वर्तमान मूल्य सीमा से कम कीमत पर खरीद रहा है। आपको बता दें कि जी-7 देशों ने रूसी तेल खरीदने पर प्राइस कैप 60 डॉलर प्रति बैरल लगा रखी है। जो देश इस कीमत से ज्यादा पर रूसी तेल खरीदेगा, जी7 देश उसपर प्रतिबंध लगा देंगे। चीनी एक्सपर्ट कियान ने ग्लोबल टाइम्स से यह भी कहा कि "भारत का यह फैसला एक स्वतंत्र विदेश नीति के प्रति उसकी निरंतर प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है, जो गतिशील संतुलन की स्थिति बनाए रखती है।" उन्होंने आगे कहा कि "भारत के फैसले अपने राष्ट्रीय हितों के लिए होते हैं।"
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते भारत के खिलाफ 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इसके अलावा उन्होंने रूसी तेल और हथियार खरीदने के लिए भारत पर जुर्माना लगाने का ऐलान भी किया था। वहीं शुक्रवार को ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि "उन्होंने सुना है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा।" उन्होंने कहा कि "उन्हें नहीं पता कि यह सही है या नहीं, लेकिन यह एक अच्छा कदम है और देखते हैं क्या होता है।" पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम में मध्यस्थता करने से लेकर रूसी तेल खरीदने और बार बार टैरिफ की धमकी देकर डोनाल्ड ट्रंप ने मोदी सरकार की इमेज पर हमला करने की कोशिश की है।
रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा भारत
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा है कि "ये दीर्घकालिक तेल अनुबंध हैं। रातोंरात खरीदारी बंद करना इतना आसान नहीं है।" वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स ने शनिवार को दो सीनियर भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा है कि नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अधिकारी ने कहा कि, सरकार ने रूस से आयात कम करने के लिए "तेल कंपनियों को कोई निर्देश नहीं दिया है"। जिसको लेकर ग्लोबल टाइम्स से सिंघुआ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने कहा कि "भारत रूस से तेल अपनी आर्थिक जरूरतों की वजह से खरीदता है और अमेरिका की प्रेशर में आकर वो रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा।" उन्होंने आगे कहा कि "भारत के पास घरेलू तेल कम है और रूसी तेल की क्वालिटी अच्छी होने के साथ साथ उसकी कीमत कम होती है, जाहिर तौर पर इसका फायदा है। इससे भारत अपने पेट्रोलियम भंडार को सुरक्षित रख सकता है और अपने आर्थिक विकास के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय बनाए रखेगा।"
न्यूयॉर्क टाइम्स से सूत्रों ने कहा है कि वेनेजुएला और ईरान की तरह रूसी तेल के ऊपर कोई प्रतिबंध नहीं है और भारत इसे यूरोपीय संघ की तरफ से निर्धारित वर्तमान मूल्य सीमा से कम कीमत पर खरीद रहा है। आपको बता दें कि जी-7 देशों ने रूसी तेल खरीदने पर प्राइस कैप 60 डॉलर प्रति बैरल लगा रखी है। जो देश इस कीमत से ज्यादा पर रूसी तेल खरीदेगा, जी7 देश उसपर प्रतिबंध लगा देंगे। चीनी एक्सपर्ट कियान ने ग्लोबल टाइम्स से यह भी कहा कि "भारत का यह फैसला एक स्वतंत्र विदेश नीति के प्रति उसकी निरंतर प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है, जो गतिशील संतुलन की स्थिति बनाए रखती है।" उन्होंने आगे कहा कि "भारत के फैसले अपने राष्ट्रीय हितों के लिए होते हैं।"
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