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तेजस्वी यादव ने पकड़ा NDA के 'दलित विरोधी' फैक्टर वाला कमजोर नब्ज! JDU और बीजेपी में बेचैनी, कांग्रेस क्यों हुई हैरान?

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पटना: बिहार चुनाव से पहले तेजस्वी यादव भी कुछ ऐसे मुद्दे को सामने लेकर आ रहे हैं, जिस पर उनके सहयोगी दल भी फोकस कर रहे हैं। महागठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी पूरी तरह ईबीसी, ओबीसी और दलितों पर फोकस कर चुकी है। इस बीच तेजस्वी यादव को लगा कि उन्हें भी कुछ ऐसा करना चाहिए, ताकि वो भी दलितों के शुभचिंतक दिखें। अब तेजस्वी यादव ने एनडीए को दलित विरोधी करार दिया है। बिहार के नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को जदयू-भाजपा सरकार पर दलित विरोधी नीतियों का आरोप लगाते हुए दावा किया कि अनुसूचित जाति की आबादी की सरकारी और पेशेवर क्षेत्रों में भागीदारी दर कम है।





तेजस्वी यादव का बयान

उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय दलित एवं आदिवासी संगठनों के परिसंघ (एनएसीडीएओआर) द्वारा आयोजित 'पाटलिपुत्र दलित सम्मेलन' की झलकियाँ साझा करते हुए, तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा पर तीखा हमला बोला और उन पर आरएसएस जैसी नीति अपनाने का आरोप लगाया। राजद नेता ने एक्स पर लिखा, "दलित एवं आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR) द्वारा आयोजित 'पाटलिपुत्र दलित सम्मेलन' में भाग लिया। 20 वर्षों से नीतीश-भाजपा की डबल इंजन सरकार की आरएसएस नीति दलित विरोधी रही है, जिसके कारण बिहार में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 21.3 प्रतिशत से अधिक होने के बावजूद सरकारी और व्यावसायिक क्षेत्रों में दलितों की भागीदारी मात्र 1.13 प्रतिशत तक सीमित रह गई है।





दावे में कितना दम

इसके अलावा, तेजस्वी यादव ने दावा किया कि शिक्षा, भूमि अधिकार और रोज़गार के क्षेत्र में जातिगत असमानताएँ मौजूद हैं। उन्होंने लिखा कि दलितों के निरंतर शोषण के कारण उनकी स्थिति दयनीय है। वर्तमान सामाजिक संरचना में, शिक्षा, भूमि अधिकार और रोज़गार जैसे क्षेत्रों में भारी असमानताएँ बनी हुई हैं। अनुसूचित जाति की कुल आबादी का केवल 0.015 प्रतिशत ही डॉक्टर हैं और केवल 0.1 प्रतिशत ही इंजीनियर हैं।





सरकार पर प्रहार

उन्होंने सरकार पर अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए उचित धनराशि आवंटित न करने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा कि बिहार सरकार अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति उप-योजना के अंतर्गत आवंटित धनराशि का उपयोग अन्य कार्यों में कर रही है, जिससे इन वर्गों को कोई सीधा लाभ नहीं मिल पा रहा है। जब दलित छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, प्रगति, उन्नति और सुधार की योजनाओं की बात आती है, तो यह दलित-विरोधी सरकार धन की कमी का बहाना बनाने लगती है।





दलितों का शोषण

उन्होंने दलित समुदाय के शोषण पर कथित चुप्पी के लिए केंद्रीय मंत्रियों चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की भी आलोचना की। खुद को दलित नेता कहने वाले चिराग पासवान और जीतन राम मांझी ने सत्ता में हिस्सेदारी मिलने के बाद दलितों के शोषण पर पूरी तरह से चुप्पी साध ली है। तेजस्वी की यह टिप्पणी इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों से पहले आई है, जब कांग्रेस और राजद के नेतृत्व वाला महागठबंधन सत्तारूढ़ एनडीए, जिसमें भाजपा और जदयू शामिल हैं, को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।

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