नई दिल्ली: देसी व्हिस्की का नशा अब लोगों पर छाने लगा है। हरियाणा की पिकाडेली एग्रो इंडस्ट्रीज का चार साल पुराना ब्रांड इंद्री पिछले साल भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली सिंगल माल्ट व्हिस्की रही। इसने Glenlivet और Glenfiddich जैसी मशहूर स्कॉच व्हिस्की को भी पीछे छोड़ दिया। आईडब्ल्यूएसआर ड्रिंक्स मार्केट एनालिसिस के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली टॉप छह व्हिस्की में चार भारतीय ब्रांड हैं। इनमें इंद्री के अलावा पॉल जॉन, रामपुर और अमृत प्रीमियम शामिल हैं।
साल 2024 में इंद्री की बिक्री 1,24,000 केस रही जो 2023 में 81,000 केस थी। एक केस में 750 मिली की 12 बोतलें यानी 9 लीटर व्हिस्की होती है। Glenlivet की बिक्री 105,000 केस, Glenfiddich की 82,000 केस, Paul John की 68,000 केस, रामपुर की 42,000 केस और अमृत प्रीमियम की 38,000 केस रही। इसी तरह सिंगलटन की बिक्री 23,000 केस, Glenmorangie की 19,000 केस, Godawan की 12,000 केस और Laphroaig की बिक्री 8,000 केस रही। ये देश में बिकने वाली टॉप 10 व्हिस्की में हैं।
इंपोर्टेड व्हिस्की छूट गई पीछे
IWSR की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 2024 में पहली बार भारत में बनी सिंगल माल्ट व्हिस्की की बिक्री स्कॉटलैंड से इंपोर्टेड व्हिस्की से ज्यादा हो गई। पिकाडेल एग्रो के चीफ एग्जीक्यूटिव प्रवीण मालवीय ने कहा कि दूसरे देशों की व्हिस्की के मुकाबले भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की को ज्यादा पसंद किया जा रहा है। इसकी वजह है कि यह अच्छी क्वालिटी की होती है और इसकी कीमत भी कम होती है। इंद्री की डिमांड इतनी ज्यादा है कि कंपनी के पास सप्लाई कम पड़ रही है। मालवीय ने बताया कि इस ब्रांड ने भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की के बाजार को बढ़ाया है जबकि इंटरनेशनल व्हिस्की ब्रांड की ग्रोथ कम हो गई है।
सिंगल माल्ट व्हिस्की का मतलब ऐसी व्हिस्की जो सिर्फ माल्टेड जौ से बनी हो, एक ही जगह पर बनी हो और इसका स्वाद बहुत खास होता है। अब भारतीयों के पास चुनने के लिए कई तरह के भारतीय ब्रांड हैं और इनमें से कई इंपोर्टेड व्हिस्की से सस्ते हैं। Amrut और Paul John भारत के पहले सिंगल माल्ट ब्रांड थे जो 2000 के दशक में लॉन्च हुए थे। पिछले तीन-चार साल में Piccadily जैसी कई नई सिंगल माल्ट बनाने वाली कंपनियां आई हैं। पर्नो रिका और डियाजियो जैसी बड़ी विदेशी कंपनियों ने भी Longitude 77 और Godawan जैसे भारतीय ब्रांड लॉन्च किए हैं।
टूट गए मिथक
भारतीय वाली कंपनियों ने भी सिंगल माल्ट ब्रांड्स लॉन्च किये हैं। इनमें रैडिको खेतान की Rampur सिंगल माल्ट ब्रांड शामिल है। पहले सिंगल माल्ट व्हिस्की की सफलता उसकी उम्र, क्वालिटी और कीमत से जुड़ी होती थी। माना जाता था कि जितनी पुरानी व्हिस्की होगी, वो उतनी ही अच्छी और महंगी होगी। लेकिन, भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की पर उम्र नहीं लिखी होती है क्योंकि यहां का मौसम अलग होता है। स्कॉटलैंड में व्हिस्की को बैरल में रखने पर हर साल 2-3% व्हिस्की उड़ जाती है जिसे "एन्जल्स शेयर" कहते हैं। लेकिन भारत में यह 10% से ज्यादा होती है।
इसलिए ज्यादातर भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की को पांच से आठ साल तक ही रखा जाता है। कंपनियों का कहना है कि अब व्हिस्की को ज्यादा पुराना करना जरूरी नहीं है। Allied Blenders के चीफ एग्जीक्यूटिव आलोक गुप्ता ने कहा कि बहुत सारे लोग अलग-अलग तरह की माल्ट व्हिस्की पीना चाहते हैं और अब लोग व्हिस्की की उम्र पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए जो भी ब्रांड सबसे ज्यादा बिकता है, उसमें पुरानी और नई दोनों तरह की व्हिस्की होती हैं। ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि व्हिस्की का स्वाद कैसा है, उसकी खुशबू कैसी है और वो पीने में कैसी लगती है, चाहे वो स्मोकी हो या मीठी। इसलिए, व्हिस्की पीने वाले हमेशा नए-नए स्वाद की तलाश में रहते हैं।
क्यों बढ़ी तेजी
IWSR की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की की बिक्री में 2024 में 25% से ज्यादा तेजी आई। इसके साथ ही इसने स्कॉच व्हिस्की को बहुत पीछे छोड़ दिया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लोग स्कॉच व्हिस्की की जगह भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की को आजमाना चाहते थे। अब दुकानों में ज्यादा विकल्प मौजूद हैं और डिफेंस मिनिस्ट्री की कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (CSD) में भी ये मिलती हैं। स्कॉच व्हिस्की का यूज अब भी होता है क्योंकि कुछ भारतीय ब्रांड इसे मिलाकर बनाते हैं।
साल 2024 में इंद्री की बिक्री 1,24,000 केस रही जो 2023 में 81,000 केस थी। एक केस में 750 मिली की 12 बोतलें यानी 9 लीटर व्हिस्की होती है। Glenlivet की बिक्री 105,000 केस, Glenfiddich की 82,000 केस, Paul John की 68,000 केस, रामपुर की 42,000 केस और अमृत प्रीमियम की 38,000 केस रही। इसी तरह सिंगलटन की बिक्री 23,000 केस, Glenmorangie की 19,000 केस, Godawan की 12,000 केस और Laphroaig की बिक्री 8,000 केस रही। ये देश में बिकने वाली टॉप 10 व्हिस्की में हैं।
इंपोर्टेड व्हिस्की छूट गई पीछे
IWSR की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 2024 में पहली बार भारत में बनी सिंगल माल्ट व्हिस्की की बिक्री स्कॉटलैंड से इंपोर्टेड व्हिस्की से ज्यादा हो गई। पिकाडेल एग्रो के चीफ एग्जीक्यूटिव प्रवीण मालवीय ने कहा कि दूसरे देशों की व्हिस्की के मुकाबले भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की को ज्यादा पसंद किया जा रहा है। इसकी वजह है कि यह अच्छी क्वालिटी की होती है और इसकी कीमत भी कम होती है। इंद्री की डिमांड इतनी ज्यादा है कि कंपनी के पास सप्लाई कम पड़ रही है। मालवीय ने बताया कि इस ब्रांड ने भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की के बाजार को बढ़ाया है जबकि इंटरनेशनल व्हिस्की ब्रांड की ग्रोथ कम हो गई है।
सिंगल माल्ट व्हिस्की का मतलब ऐसी व्हिस्की जो सिर्फ माल्टेड जौ से बनी हो, एक ही जगह पर बनी हो और इसका स्वाद बहुत खास होता है। अब भारतीयों के पास चुनने के लिए कई तरह के भारतीय ब्रांड हैं और इनमें से कई इंपोर्टेड व्हिस्की से सस्ते हैं। Amrut और Paul John भारत के पहले सिंगल माल्ट ब्रांड थे जो 2000 के दशक में लॉन्च हुए थे। पिछले तीन-चार साल में Piccadily जैसी कई नई सिंगल माल्ट बनाने वाली कंपनियां आई हैं। पर्नो रिका और डियाजियो जैसी बड़ी विदेशी कंपनियों ने भी Longitude 77 और Godawan जैसे भारतीय ब्रांड लॉन्च किए हैं।
टूट गए मिथक
भारतीय वाली कंपनियों ने भी सिंगल माल्ट ब्रांड्स लॉन्च किये हैं। इनमें रैडिको खेतान की Rampur सिंगल माल्ट ब्रांड शामिल है। पहले सिंगल माल्ट व्हिस्की की सफलता उसकी उम्र, क्वालिटी और कीमत से जुड़ी होती थी। माना जाता था कि जितनी पुरानी व्हिस्की होगी, वो उतनी ही अच्छी और महंगी होगी। लेकिन, भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की पर उम्र नहीं लिखी होती है क्योंकि यहां का मौसम अलग होता है। स्कॉटलैंड में व्हिस्की को बैरल में रखने पर हर साल 2-3% व्हिस्की उड़ जाती है जिसे "एन्जल्स शेयर" कहते हैं। लेकिन भारत में यह 10% से ज्यादा होती है।
इसलिए ज्यादातर भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की को पांच से आठ साल तक ही रखा जाता है। कंपनियों का कहना है कि अब व्हिस्की को ज्यादा पुराना करना जरूरी नहीं है। Allied Blenders के चीफ एग्जीक्यूटिव आलोक गुप्ता ने कहा कि बहुत सारे लोग अलग-अलग तरह की माल्ट व्हिस्की पीना चाहते हैं और अब लोग व्हिस्की की उम्र पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए जो भी ब्रांड सबसे ज्यादा बिकता है, उसमें पुरानी और नई दोनों तरह की व्हिस्की होती हैं। ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि व्हिस्की का स्वाद कैसा है, उसकी खुशबू कैसी है और वो पीने में कैसी लगती है, चाहे वो स्मोकी हो या मीठी। इसलिए, व्हिस्की पीने वाले हमेशा नए-नए स्वाद की तलाश में रहते हैं।
क्यों बढ़ी तेजी
IWSR की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की की बिक्री में 2024 में 25% से ज्यादा तेजी आई। इसके साथ ही इसने स्कॉच व्हिस्की को बहुत पीछे छोड़ दिया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लोग स्कॉच व्हिस्की की जगह भारतीय सिंगल माल्ट व्हिस्की को आजमाना चाहते थे। अब दुकानों में ज्यादा विकल्प मौजूद हैं और डिफेंस मिनिस्ट्री की कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (CSD) में भी ये मिलती हैं। स्कॉच व्हिस्की का यूज अब भी होता है क्योंकि कुछ भारतीय ब्रांड इसे मिलाकर बनाते हैं।
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