वॉशिंगटन/इस्लामाबाद: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक इंटरव्यू में सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया है कि रूस, चीन उत्तर कोरिया के साथ साथ पाकिस्तान भी न्यूक्लियर टेस्ट कर रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान ने दक्षिण एशिया में परमाणु संतुलन को लेकर नई चिंता खड़ी कर दी है। ट्रंप ने अमेरिकी चैनल सीबीएस के कार्यक्रम "60 मिनट्स" में दावा किया कि पाकिस्तान और चीन, गुपचुप तरीके से परमाणु परीक्षण कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि रूस और उत्तर कोरिया अपने हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं और इसीलिए अमेरिका भी अब परमाणु परीक्ष करेगा। डोनाल्ड ट्रंप हालिया समय में असीम मुनीर (पाकिस्तान आर्मी चीफ) से दो बार मिल चुके हैं, जबकि पिछले दिनों उनकी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी दो बार मुलाकात हो चुकी है। इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप कई दर्जनों बार कह चुके हैं कि मई महीने में भारत और पाकिस्तान परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़े थे और लाखों लोगों की मौत हो सकती थी।
नवभारत टाइम्स ने डोनाल्ड ट्रंप के किए दावों को लेकर भारत के टॉप डिप्लोमेट्स से एक्सक्लूसिव बात की है। हमने ये जानने की कोशिश की है कि डोनाल्ड ट्रंप के दावों में आखिर कितना दम है, क्या पाकिस्तान वाकई परमाणु टेस्ट कर सकता है और अगर हां, तो इसके क्या अंजाम होंगे। इस दौरान हमारे एक्सपर्ट डोनाल्ड ट्रंप के दावों को लेकर हैरान दिखे। उनका कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप का दावा सरप्राइज करने वाला है।
दक्षिण एशिया में न्यूक्लियर रेस का नया चैप्टर?
भारत का न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन 'पहले इस्तेमाल नहीं' की नीति पर आधारित है और भारत ने साल 1998 के पोखरण परीक्षण के बाद से कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है। इसके विपरीत, चीन ने पिछले दशक में अपने परमाणु शस्त्रागार को अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया है। रिपोर्टों के मुताबिक, चीन के पास करीब 600 परमाणु वारहेड हैं, जो 2030 तक 1000 की संख्या तक पहुंच सकते हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान के पास करीब 170 वारहेड हैं और उसके पास 2028 तक 200 से ज्यादा वारहेड हो सकते हैं। पाकिस्तान ने अपने परमाणु कार्यक्रम में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन्स यानी छोटे परमाणु बम भी डेवलप किए हैं, जिसका विनाशक असर कई किलोमीटर के इलाके में हो सकता है।
भारत के पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुनायत ने नवभारत टाइम्स से बात करते हुए कहा कि "पाकिस्तान ने हमेशा गुप्त रूप से परमाणु तकनीक हासिल करने की कोशिश की है और अमेरिका पूरी तरह से इस बात से वाकिफ है और कभी-कभी, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न करके इसमें शामिल भी रहा है। यह बात तो जगजाहिर है कि अमेरिका, पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर कुछ हद तक नियंत्रण रखता है, ताकि वे उन आतंकवादियों के हाथों में न पड़ें, जिन्हें पेंटागन से अच्छी तरह जुड़े पाकिस्तानी डीप स्टेट ने पनाह दी है। अगर राष्ट्रपति ट्रंप मौजूदा संदर्भ में बोल रहे हैं, तो वे क्या कार्रवाई करते हैं, यह देखना होगा। पाकिस्तान एक दुष्ट देश की तरह हर समय अपने परमाणु खतरे का दिखावा करता रहा है।"
वहीं, प्रधानमंत्री मनमोहन के कार्यकाल में रोबिन्दर सचदेव, भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में काफी अहम भूमिका निभा चुके हैं। उन्होंने नवभारत टाइम्स से बात करते हुए ट्रंप के दावे पर हैरानी जताई है। उन्होंने ट्रंप के दावे को 'हैरान करने वाला' बताया है। उन्होंने कहा कि "सरप्राइजिंग न्यूज...। अमेरिकी राष्ट्रपति कह रहे हैं तो शायद इसमें कुछ बात होनी चाहिए। लेकिन ट्रंप अकसर बढ़ा-चढ़ाकर भी बोलते रहते हैं। लेकिन हमारे लिए सवाल ये है कि क्या वो इस केस में भी वो बढ़ा चढ़ाकर बोल रहे हैं? ये हमें पता नहीं है। लेकिन हमारी एजेंसियों को काफी कुछ पाकिस्तान के बारे में पता है तो इसके बारे में भी पता होनी चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि "अमेरिका की टेक्नोलॉजी काफी एडवांस है, उनके पास एडवांस सैटेलाइट हैं और पाकिस्तान में अमेरिका की मौजूदगी भी है तो हो सकता है, उनके पास कुछ जानकारी हो। लेकिन पब्लिक में अभी ऐसी कोई जानकारी नहीं है।"
वहीं, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन के फैकल्टी डॉ. मनन द्विवेदी ने सवाल उठाते हुए पूछा है कि "अगर डोनाल्ड ट्रंप को इस बात की जानकारी है तो क्या वो पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाएंगे?" उन्होंने हमसे बात करते हुए कहा कि "डोनाल्ड ट्रंप अपने वॉर रूम में जो भी फैसले लेते हैं, उसमें दोहरापन होता है। पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम एक छोटे से बोर्ड और एक छोटी सी इमारत से शुरू हुआ और यह सब चीन द्वारा प्रायोजित था। जब भारत ने 1999 में पोखरण में दो परीक्षण किए थे, तब अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे और तब से भारत-अमेरिका संबंध बिगड़ते चले गए। फिर भी, सच्चाई यह है कि जहां तक भारत का संबंध है, पाकिस्तान के न्यूक्लियर ब्लैकमेल को भारत अब पार कर चुका है।"
भारत के लिए कितनी चिंता की बात?
रोबिंदर सचदेव ने कहा कि "डोनाल्ड ट्रंप ने जो भी कहा है, उसमें सच्चाई है या नहीं वो अलग बात है, लेकिन भारत सरकार में इसपर फौरन रिव्यू होगा। हमारी एजेंसियों की पहले से ही ऐसी चीजों पर नजर होती है तो एजेंसियां और सक्रिय होंगी। लेकिन फिलहाय ये हैरान करने वाला दावा है, जिसकी कोई भी सार्वजनिक जानकारी नहीं है। अगर ऐसा वाकई में है तो फिर ये अत्यंत गंभीर बात है। इससे दक्षिण एशिया में न्यूक्लियर रेस काफी तेज हो सकता है।"
जबकि डॉ. मनन द्विवेदी ने कहा कि "पाकिस्तान अभी तक युद्ध के मैदान में सामरिक परमाणु हथियारों के दम पर नई दिल्ली को मूर्खतापूर्ण तरीके से ब्लैकमेल भी करता है। पाकिस्तान के पास परमाणु विकल्प है, लेकिन वह भारत को धमकाने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली नहीं है। फिर भी, पाकिस्तान में जिस तरह का आंतरिक सुरक्षा संकट है, उसे देखते हुए कोई नहीं जानता कि अंतिम फैसला कौन लेगा। डोनाल्ड ट्रंप के पास अगर इस बात की जानकारी है तो वो पाकिस्तान पर तत्काल प्रतिबंध लगाए।"
क्या भारत पोखरण-III शुरू करेगा?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रंप के दावे अगर सही साबित होते हैं तो यह भारत के लिए नीतिगत मोड़ का संकेत हो सकता है। 1998 के पोखरण परीक्षणों के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद एक आत्मविश्वासी परमाणु नीति अपनाई थी, लेकिन थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण की क्षमता पर अब भी सवाल बने हुए हैं। डीआरडीओ वैज्ञानिक के. संथानम ने उस समय की हाइड्रोजन बम टेस्ट को कमजोर कहा था, ऐसे में अमेरिका, चीन और पाकिस्तान द्वारा संभावित परीक्षणों की खबर भारत को 'पोखरण-III' जैसे परमाणु परीक्षण के रास्ते वपर आगे बढ़ा सकता है। जो न सिर्फ उसकी हाइड्रोजन बम क्षमता को प्रमाणित करेगा, बल्कि अग्नि-VI और के-5 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों के लिए लघु और सटीक वॉरहेड विकसित करने में भी मददगार साबित होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि रूस और उत्तर कोरिया अपने हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं और इसीलिए अमेरिका भी अब परमाणु परीक्ष करेगा। डोनाल्ड ट्रंप हालिया समय में असीम मुनीर (पाकिस्तान आर्मी चीफ) से दो बार मिल चुके हैं, जबकि पिछले दिनों उनकी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी दो बार मुलाकात हो चुकी है। इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप कई दर्जनों बार कह चुके हैं कि मई महीने में भारत और पाकिस्तान परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़े थे और लाखों लोगों की मौत हो सकती थी।
नवभारत टाइम्स ने डोनाल्ड ट्रंप के किए दावों को लेकर भारत के टॉप डिप्लोमेट्स से एक्सक्लूसिव बात की है। हमने ये जानने की कोशिश की है कि डोनाल्ड ट्रंप के दावों में आखिर कितना दम है, क्या पाकिस्तान वाकई परमाणु टेस्ट कर सकता है और अगर हां, तो इसके क्या अंजाम होंगे। इस दौरान हमारे एक्सपर्ट डोनाल्ड ट्रंप के दावों को लेकर हैरान दिखे। उनका कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप का दावा सरप्राइज करने वाला है।
दक्षिण एशिया में न्यूक्लियर रेस का नया चैप्टर?
भारत का न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन 'पहले इस्तेमाल नहीं' की नीति पर आधारित है और भारत ने साल 1998 के पोखरण परीक्षण के बाद से कोई परमाणु परीक्षण नहीं किया है। इसके विपरीत, चीन ने पिछले दशक में अपने परमाणु शस्त्रागार को अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया है। रिपोर्टों के मुताबिक, चीन के पास करीब 600 परमाणु वारहेड हैं, जो 2030 तक 1000 की संख्या तक पहुंच सकते हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान के पास करीब 170 वारहेड हैं और उसके पास 2028 तक 200 से ज्यादा वारहेड हो सकते हैं। पाकिस्तान ने अपने परमाणु कार्यक्रम में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन्स यानी छोटे परमाणु बम भी डेवलप किए हैं, जिसका विनाशक असर कई किलोमीटर के इलाके में हो सकता है।
भारत के लिए कितनी चिंता की बात?
रोबिंदर सचदेव ने कहा कि "डोनाल्ड ट्रंप ने जो भी कहा है, उसमें सच्चाई है या नहीं वो अलग बात है, लेकिन भारत सरकार में इसपर फौरन रिव्यू होगा। हमारी एजेंसियों की पहले से ही ऐसी चीजों पर नजर होती है तो एजेंसियां और सक्रिय होंगी। लेकिन फिलहाय ये हैरान करने वाला दावा है, जिसकी कोई भी सार्वजनिक जानकारी नहीं है। अगर ऐसा वाकई में है तो फिर ये अत्यंत गंभीर बात है। इससे दक्षिण एशिया में न्यूक्लियर रेस काफी तेज हो सकता है।"
जबकि डॉ. मनन द्विवेदी ने कहा कि "पाकिस्तान अभी तक युद्ध के मैदान में सामरिक परमाणु हथियारों के दम पर नई दिल्ली को मूर्खतापूर्ण तरीके से ब्लैकमेल भी करता है। पाकिस्तान के पास परमाणु विकल्प है, लेकिन वह भारत को धमकाने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली नहीं है। फिर भी, पाकिस्तान में जिस तरह का आंतरिक सुरक्षा संकट है, उसे देखते हुए कोई नहीं जानता कि अंतिम फैसला कौन लेगा। डोनाल्ड ट्रंप के पास अगर इस बात की जानकारी है तो वो पाकिस्तान पर तत्काल प्रतिबंध लगाए।"
क्या भारत पोखरण-III शुरू करेगा?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रंप के दावे अगर सही साबित होते हैं तो यह भारत के लिए नीतिगत मोड़ का संकेत हो सकता है। 1998 के पोखरण परीक्षणों के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद एक आत्मविश्वासी परमाणु नीति अपनाई थी, लेकिन थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण की क्षमता पर अब भी सवाल बने हुए हैं। डीआरडीओ वैज्ञानिक के. संथानम ने उस समय की हाइड्रोजन बम टेस्ट को कमजोर कहा था, ऐसे में अमेरिका, चीन और पाकिस्तान द्वारा संभावित परीक्षणों की खबर भारत को 'पोखरण-III' जैसे परमाणु परीक्षण के रास्ते वपर आगे बढ़ा सकता है। जो न सिर्फ उसकी हाइड्रोजन बम क्षमता को प्रमाणित करेगा, बल्कि अग्नि-VI और के-5 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों के लिए लघु और सटीक वॉरहेड विकसित करने में भी मददगार साबित होगा।
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