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Jitiya Vrat 2025: जितिया व्रत का वो 'लॉकेट' जो सोने-चांदी से नहीं, माँ की ममता और विश्वास से बनता है

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Jitiya Vrat 2025:भारत में माँ के प्रेम और त्याग की कहानियाँ हमारे त्योहारों और व्रतों में गुंथी हुई हैं। ऐसा ही एक त्योहार है 'जितिया' या 'जीवितपुत्रिका व्रत', जिसे शायद ही कोई माँ अपने बच्चे के लिए रखना भूलती है। यह एक कठिन व्रत है, जिसमें माँ अपने बच्चे की लंबी उम्र, सुरक्षा और समृद्धि के लिए 24 घंटे से भी ज़्यादा समय तक बिना कुछ खाए-पिए रहती है।इस व्रत के कठोर नियमों और पूजा-पाठ के बारे में तो हम सब जानते हैं,लेकिन इस व्रत से जुड़ी एक बहुत ही खूबसूरत और गहरी परंपरा है,जिस पर शायद कम ही लोगों का ध्यान जाता है। यह परंपरा है पूजा के दौरान पहने जाने वाले एक खास'जितिया लॉकेट'की।क्या है यह जितिया लॉकेट की परंपरा?जब हम'लॉकेट'शब्द सुनते हैं,तो हमारे दिमाग में सोने-चांदी या किसी धातु का ख्याल आता है। लेकिन जितिया का यह लॉकेट इन सब चीज़ों से कहीं ज़्यादा कीमती है। यह लॉकेट दरअसल एक लाल और पीले रंग के धागे में गूंथकर बनाया जाता है और इसमें'जितिया'नाम के पौधे की जड़ या फलका इस्तेमाल होता है।व्रत रखने वाली माताएं पूजा के समय इस खास धागे और लॉकेट को अपने गले में धारण करती हैं। यह सिर्फ एक गहना नहीं,बल्कि उस व्रत का एक प्रतीक बन जाता है।इस लॉकेट के पीछे का गहरा विश्वास क्या है?इस छोटी सी परंपरा के पीछे एक बहुत बड़ा विश्वास और गहरा अर्थ छिपा है। चलिए,इसे समझते हैं:भगवान का आशीर्वाद:माना जाता है कि जब माँ इस जितिया लॉकेट को पहनकर पूजा करती है,तो भगवान जीमूतवाहन (जिनकी इस व्रत में पूजा होती है) का आशीर्वाद इस लॉकेट में समा जाता है।एक रक्षा कवच:पूजा के बाद माँ यही पवित्र लॉकेट अपने बेटे या बेटी के गले में पहना देती है। यह लॉकेट बच्चे के लिए एक'रक्षा कवच'की तरह काम करता है,जो उसे आने वाले साल में हर बुरी नज़र,बीमारी औरবিপत्ति से बचाता है।माँ की ममता का प्रतीक:सोचिए,यह सिर्फ एक धागा नहीं है। यह माँ की24घंटे की कठिन तपस्या,उसकी दुआओं और उसके प्यार का एक साकार रूप है,जिसे वह अपने बच्चे को सौंप देती है। यह बच्चे को हमेशा याद दिलाता है कि उसकी माँ का आशीर्वाद हर पल उसके साथ है।तो अगली बार जब आप किसी को जितिया का यह सादा सा धागे वाला लॉकेट पहने देखें,तो यह ज़रूर याद रखिएगा कि उसकी कीमत किसी भी महंगे गहने से कहीं ज़्यादा है। यह धागा सिर्फ धागा नहीं,बल्कि माँ के प्यार,विश्वास और आशीर्वाद का एक पवित्र बंधन है,जो वह अपनी संतान के लिए तैयार करती है।
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