हर साल गर्मियों में एक ऐसा समय आता है जब गर्मी अपने चरम पर होती है, जिसे ‘नौतपा’ के नाम से जाना जाता है। यह वह समय होता है जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में गोचर करता है, और धरती पर उसकी किरणें सीधी पड़ती हैं, जिससे तापमान काफी बढ़ जाता है। इस साल नौतपा 25 मई से शुरू होकर 8 जून तक रहेगा (हालांकि मुख्य तपन काल शुरुआती नौ दिनों का होता है)। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि अगर नौतपा शुरू होने से पहले अच्छी बारिश नहीं हुई, तो इस दौरान भीषण और झुलसा देने वाली गर्मी पड़ सकती है।
इस बार 80 साल बाद सबसे ज्यादा तपेगा नौतपा!ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस बार का नौतपा पिछले लगभग 80 सालों में सबसे ज्यादा तपने वाला हो सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इस संवत्सर (हिन्दू कैलेंडर वर्ष) के राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य देव हैं। इस ज्योतिषीय संयोग के कारण नौतपा के शुरुआती नौ दिनों में सबसे अधिक और तीव्र गर्मी पड़ने की प्रबल संभावना है। सूर्य देव का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश 25 मई को सुबह 3 बजकर 15 मिनट पर होगा, और इसी के साथ नौतपा की शुरुआत हो जाएगी। इसका मुख्य तपन काल तीन जून को समाप्त होगा।
नौतपा में भीषण गर्मी अच्छे मानसून का संकेतएक प्राचीन मान्यता यह भी है कि नौतपा के दौरान जितनी अधिक और तेज गर्मी पड़ती है, मानसून उतना ही अच्छा और जोरदार होता है। इसे मानसून का ‘गर्भकाल’ भी कहा जाता है, यानी इस समय बनने वाली गर्मी ही अच्छी बारिश की नींव रखती है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस बार सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश 25 मई को सुबह 3:15 बजे होगा, और इसी के साथ नौतपा की शुरुआत होगी जो 3 जून को समाप्त होगा।
8 जून तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे सूर्यदेवसूर्यदेव 8 जून तक रोहिणी नक्षत्र में ही विराजमान रहेंगे, लेकिन नौतपा का सबसे अधिक प्रभाव शुरुआती नौ दिनों में ही देखने को मिलता है। 8 जून के बाद सूर्य देव मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो वे पृथ्वी के सबसे करीब होते हैं। इस कारण उनकी किरणें सीधी और अधिक तीव्रता के साथ धरती पर पड़ती हैं, जिससे धरती का तापमान काफी बढ़ जाता है और भीषण गर्मी का प्रकोप देखने को मिलता है।
भगवान सूर्य की उपासना और सावधानियांनौतपा के इन नौ दिनों में भगवान सूर्य की उपासना करने और कुछ विशेष सावधानियां बरतने से न केवल गर्मी के प्रकोप से बचा जा सकता है, बल्कि स्वास्थ्य और समृद्धि में भी वृद्धि हो सकती है। काशी और लखनऊ के प्रतिष्ठित ज्योतिषाचार्यों के अनुसार और विभिन्न पंचांगों के आधार पर, लगभग 80 साल के बाद इस बार नौतपा में सबसे अधिक गर्मी पड़ने की संभावनाएं हैं।
क्या है नौतपा?इस बार नौतपा का मुख्य काल 25 मई से 2 जून के बीच है (कुछ गणनाओं के अनुसार 3 जून तक)। मई और जून के महीने में नौ दिनों की इस अवधि को नौतपा (यानी तपन की अवधि) कहा जाता है। इस दौरान मौसम की सबसे ज़्यादा और झुलसाने वाली गर्मी पड़ने की संभावना होती है। शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, उसी समय से नौतपा की शुरुआत मानी जाती है।
भीषण गर्मी में बरतें ये सावधानियांनौतपा के दौरान पड़ने वाली भीषण गर्मी से बचने के लिए कुछ खास सावधानियां बरतनी बहुत ज़रूरी हैं:
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खूब पानी और अन्य तरल पदार्थ पिएं ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
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जहां तक संभव हो, तेज धूप में बाहर निकलने से बचें, खासकर दोपहर के समय।
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हल्के रंग के और ढीले-ढाले सूती कपड़े पहनें।
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बाहर निकलें तो सिर को ढककर रखें, छाते का प्रयोग करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नौतपा के दौरान गर्मी से बचने और भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए कई उपाय भी किए जा सकते हैं।
नौतपा के दौरान किए जाने वाले उपायधार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, नौतपा के दौरान कुछ विशेष कार्य करना शुभ और लाभकारी माना जाता है:
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प्रतिदिन सूर्य देव को जल अर्पित करें (अर्घ्य दें)।
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ज़रूरतमंदों को ठंडी चीजें जैसे पानी, शरबत, सत्तू आदि दान करें।
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भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करें।
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शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
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लोगों को मीठा खिलाएं या मिठाई बांटें।
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महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाएं, इसे भी शीतलता प्रदान करने वाला माना जाता है।
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सूती वस्त्रों का दान करना भी लाभकारी होता है।
ये सभी उपाय न केवल भीषण गर्मी से राहत दिलाने में मदद करते हैं, बल्कि धार्मिक दृष्टि से पुण्य भी प्रदान करते हैं। इसलिए, इस नौतपा में गर्मी से बचने के साथ-साथ इन उपायों को भी अपनाएं।
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