आज, स्मार्टफोन हमारी ज़िंदगी का एक अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। चाहे काम हो या मनोरंजन, इनके बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर यह लत (स्मार्टफोन की लत) जारी रही तो हमारे शरीर पर इसका क्या असर होगा? हाल ही में, एक स्टेप-ट्रैकिंग ऐप ने SAM नाम का एक मॉडल बनाया है। यह मॉडल दिखाता है कि अगर इंसान अपनी मौजूदा जीवनशैली नहीं बदलते हैं, तो 2050 तक हमारा शरीर कैसा दिख सकता है, और इसके नतीजे (स्मार्टफोन की लत के स्वास्थ्य जोखिम) वाकई भयावह हैं।
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2050 में एक "फोन एडिक्ट" कैसा दिखेगा?
2050 तक, स्मार्टफोन की लत हमारे शरीर को पूरी तरह से बदल सकती है। सबसे पहले, हमारी मुद्रा प्रभावित होगी—हमारी गर्दन आगे की ओर झुक जाएगी, हमारी पीठ गोल हो जाएगी, और हमारे कंधे झुक जाएँगे। इस स्थिति को "टेक नेक" कहा जाता है, जो लंबे समय तक मोबाइल फोन या लैपटॉप देखने से होती है। इससे गर्दन और पीठ में लगातार दर्द हो सकता है। इसके अलावा, सैम की लाल और थकी हुई आँखें, काले घेरे, पीली त्वचा और पतले बाल स्क्रीन टाइम और नींद की कमी के हमारे जटिल स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाते हैं। लगातार स्क्रीन टाइम के कारण आँखों में सूखापन और जलन आम हो सकती है।
एआई मॉडल सैम के सूजे हुए पैरों और टखनों को भी दर्शाता है। यह लंबे समय तक बैठे रहने और सीमित शारीरिक गतिविधि का परिणाम है। इससे शरीर का रक्त संचार बाधित हो सकता है, जिससे वैरिकाज़ वेन्स और रक्त के थक्के जैसी गंभीर स्वास्थ्य स्थितियाँ पैदा हो सकती हैं। पेट में सूजन, मोटापा और मांसपेशियों में कमज़ोरी भी आम हो सकती है।
न केवल शरीर पर, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव
स्मार्टफोन की लत न केवल शरीर पर, बल्कि मन पर भी असर डालती है। घंटों सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करने से हम धीरे-धीरे दूसरों से अलग-थलग पड़ जाते हैं। इससे तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ जाती हैं। यह एक मौन चक्र है—जितना अधिक हम अपने फोन में डूबे रहते हैं, उतना ही हम वास्तविक दुनिया से दूर होते जाते हैं, और यह अलगाव हमें और अधिक उदास और निष्क्रिय बनाता है।
इसका समाधान क्या है?
हमारे पास अभी भी समय है। छोटे-छोटे बदलाव हमें इस भविष्य से बचा सकते हैं। उदाहरण के लिए, प्रतिदिन कुछ मिनटों के लिए अपने फोन से दूर रहें, व्यायाम, योग या पैदल चलना अपनी दिनचर्या में शामिल करें, और सबसे महत्वपूर्ण बात, केवल आभासी दुनिया से ही नहीं, बल्कि लोगों से जुड़ने का प्रयास करें।
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