वन्य प्राणियों और खासकर बाघ प्रेमियों के लिए यह खबर निश्चित ही दुखद है। मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी का गौरव समझा जाने वाला 11 वर्षीय सफेद नर बाघ 'टीपू' अपनी लंबी और साहसिक जीवन यात्रा के बाद मंगलवार को मौत के आगे घुटने टेक गया।
टीपू की मौत के बाद अब सफारी में सिर्फ तीन ही व्हाइट टाइगर बचे हैं। यह सफारी विश्व की पहली ओपन व्हाइट टाइगर सफारी मानी जाती है और इसे महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी एवं जू मुकुंदपुर के नाम से जाना जाता है। टीपू की मौत ने सफारी और वन्यजीव प्रेमियों के बीच शोक की लहर फैला दी है।
सफारी अधिकारियों के अनुसार, टीपू का जन्म राष्ट्रीय प्राणी उद्यान नई दिल्ली में हुआ था और वर्ष 2023 में मुकुंदपुर सफारी लाया गया था। सफारी में आने के बाद भी टीपू का इलाज और देखभाल नियमित रूप से की जाती रही। लेकिन स्वास्थ्य समस्याओं और उम्र बढ़ने के चलते उसकी मौत हो गई।
टीपू की पहचान सफारी के लिए एक प्रमुख आकर्षण के रूप में होती थी। पर्यटक और वन्यजीव प्रेमी उसे देखने के लिए दूर-दूर से आते थे। सफारी प्रबंधन का कहना है कि टीपू की उपस्थिति ने सफारी की साख और लोकप्रियता दोनों बढ़ाई थी। उसकी मौत के बाद सफारी में अब केवल तीन सफेद बाघ बचे हैं, जिनमें नर और मादा दोनों शामिल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सफेद बाघों की देखभाल और प्रजनन प्रक्रिया बेहद संवेदनशील और जटिल होती है। सफारी में सफेद बाघों की संख्या कम होने के कारण उनकी जीन संरचना और प्रजनन क्षमता को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है। इस संदर्भ में टीपू की मौत ने वन्यजीव संरक्षण की चुनौतियों को फिर से उजागर किया है।
सफारी के कर्मचारियों और अधिकारियों ने कहा कि टीपू की विशेष देखभाल और प्रशिक्षित देखरेख टीम ने उसकी मौत तक हर संभव प्रयास किया। उन्होंने बताया कि टीपू की मौत ने सभी को व्यक्तिगत और भावनात्मक रूप से प्रभावित किया है।
वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों के लिए यह नुकसान केवल सफारी के आकर्षण का कम होना ही नहीं है, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता और उसकी नाजुक स्थिति की याद भी दिलाता है। सफारी प्रशासन अब तीन बचे सफेद बाघों की सुरक्षा और देखभाल पर विशेष ध्यान देगा।
कुल मिलाकर, टीपू की मौत ने मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी और पूरे वन्यजीव प्रेमियों के लिए शोक और संवेदनशीलता की स्थिति पैदा की है। सफारी प्रशासन ने वन्यजीव प्रेमियों से अपील की है कि वे सफारी आएं और बचे सफेद बाघों की सुरक्षा और संरक्षण में सहयोग करें।
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