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सीएसए कृषि विश्वविद्यालय पर फिर लगे वित्तीय अनियमितताओं के आरोप, राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने की जांच की मांग

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चंद्रशेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) एक बार फिर विवादों में है। विश्वविद्यालय प्रशासन पर वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। इस बार आरोप सीधे जल शक्ति विभाग के राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने उठाए हैं। उन्होंने शासन को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है।

राज्यमंत्री ने लिखा पत्र
सूत्रों के अनुसार, राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने प्रमुख सचिव, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग को पत्र भेजा है। पत्र में उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए विस्तृत जांच की आवश्यकता बताई है। उन्होंने कहा कि सरकारी धन का सही उपयोग न होकर मनमाने तरीके से खर्च किया जा रहा है।

अर्थ नियंत्रक हुआ सक्रिय
राज्यमंत्री की शिकायत के बाद शासन स्तर पर हलचल मच गई। प्रमुख सचिव ने अर्थ नियंत्रक को मामले की जांच सौंपी है। इस क्रम में अर्थ नियंत्रक ने सीएसए विश्वविद्यालय के निदेशक प्रशासन से जवाब मांगा है। उनसे पूछा गया है कि वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता क्यों नहीं बरती गई और खर्चों का हिसाब-किताब क्यों स्पष्ट नहीं है।

पहले भी लग चुके हैं आरोप
यह पहला मौका नहीं है जब सीएसए कृषि विश्वविद्यालय पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हों। इससे पहले भी विश्वविद्यालय प्रशासन पर मनमाने ढंग से बजट खर्च करने, टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी और संसाधनों के दुरुपयोग की शिकायतें होती रही हैं। हालांकि, हर बार जांच बैठने के बाद भी ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। यही वजह है कि अब राज्यमंत्री का पत्र मामले को और गंभीर बना रहा है।

विश्वविद्यालय प्रशासन की मुश्किलें बढ़ीं
जवाब तलब किए जाने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन की परेशानी बढ़ गई है। सूत्र बताते हैं कि निदेशक प्रशासन से जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट मांगी जाएगी। यदि रिपोर्ट संतोषजनक नहीं हुई तो शासन उच्चस्तरीय जांच समिति गठित कर सकता है।

राजनीतिक सरगर्मी भी तेज
राज्यमंत्री द्वारा लिखे गए पत्र ने मामले को और राजनीतिक रंग दे दिया है। विपक्षी दल पहले से ही शैक्षिक संस्थानों में व्याप्त अनियमितताओं को मुद्दा बना रहे हैं। अब भाजपा के ही मंत्री द्वारा उठाई गई शिकायत ने शासन की जिम्मेदारी और बढ़ा दी है। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि क्या इस मामले में कड़े कदम उठाए जाएंगे या फिर यह भी पिछली शिकायतों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

आगे की राह
फिलहाल, विश्वविद्यालय प्रशासन के जवाब का इंतजार है। अर्थ नियंत्रक की रिपोर्ट आने के बाद ही शासन तय करेगा कि मामले की जांच किस स्तर पर कराई जाए। यदि आरोप सही पाए गए तो सीएसए कृषि विश्वविद्यालय में बड़े स्तर पर कार्रवाई हो सकती है।

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