जिले के सिकंदरा चौराहे पर मंगलवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब एक पागल कुत्ते ने अचानक राह चलते लोगों पर हमला बोल दिया। इस हमले में करीब चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई है, और ग्रामीणों के चेहरों पर डर साफ नजर आ रहा है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह करीब 9 बजे के आसपास एक आवारा कुत्ता चौराहे पर आया और अचानक राहगीरों पर झपटना शुरू कर दिया। पहले उसने एक बाइक सवार को काटा, फिर एक महिला और दो अन्य राहगीरों पर हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। हमले की तीव्रता और कुत्ते की आक्रामकता को देखकर लोग इधर-उधर भागने लगे। कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद कर लीं और इलाके में कुछ देर के लिए पूरी तरह सन्नाटा छा गया।
ग्रामीणों में भय और प्रशासन पर नाराजगीहमले के बाद पागल कुत्ता वहां से भाग निकला और अब तक लापता है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक वह पकड़ा नहीं जाता, तब तक किसी और पर भी हमला कर सकता है। लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि कई दिनों से क्षेत्र में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन नगर पालिका या पंचायत की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
एक दुकानदार ने बताया, “हमने कई बार प्रशासन से शिकायत की है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आज की घटना के बाद बच्चों और बुजुर्गों को घर से बाहर निकलने में भी डर लग रहा है।”
घायलों का इलाज जारीसिकंदरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार के बाद चारों घायलों को जिला अस्पताल रेफर किया गया है। चिकित्सकों के अनुसार, घायलों की हालत गंभीर है और उन्हें एंटी-रेबीज टीका दिया गया है। सभी को चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है।
प्रशासन ने दिए कार्रवाई के आदेशघटना की सूचना मिलने के बाद स्थानीय प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग हरकत में आया है। दौसा जिला प्रशासन ने क्षेत्र में पागल कुत्ते की तलाश के लिए टीम गठित की है। साथ ही, आसपास के क्षेत्रों में भी आवारा कुत्तों की पहचान कर उन्हें पकड़ने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि “यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। लोगों से अपील है कि यदि कहीं वह कुत्ता दिखाई दे, तो उसे छेड़ें नहीं और तुरंत सूचना दें।”
सुरक्षा को लेकर चिंतायह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि आवारा और पागल कुत्तों पर नियंत्रण को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है। पशु चिकित्सा विभाग और स्थानीय निकायों को ऐसे मामलों पर त्वरित और स्थायी समाधान निकालने की ज़रूरत है, ताकि आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
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