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क्यों सूरज ढलते ही इस खौफनाक जगह पर सरकार भी लगा देती है एंट्री बैन? वीडियो में सदियों पुराना रहस्य जान नहीं आएगी नींद

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भारत का सबसे डरावना स्थान कौन सा है? जब इस सवाल का जवाब ढूंढा जाता है, तो एक नाम लगभग हर बार सामने आता है — भानगढ़ का किला। राजस्थान के अलवर जिले में स्थित यह किला अपने रहस्यमयी किस्सों, डरावनी घटनाओं और आत्माओं की गतिविधियों के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहाँ का माहौल इतना रहस्यमयी और डरावना है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने भी सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले इस किले में प्रवेश करने पर सख्त प्रतिबंध लगा रखा है।


भानगढ़ किला: भूतिया रहस्यों का गढ़
भानगढ़ का किला 17वीं सदी के आरंभ में आमेर के राजा भगवंत दास ने अपने पुत्र माधो सिंह के लिए बनवाया था। यह भव्य किला अरावली की पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है और आज खंडहर में तब्दील हो चुका है। दिन के समय यहाँ चारों ओर सुंदरता और इतिहास की झलक मिलती है, लेकिन शाम ढलते ही किले का माहौल पूरी तरह बदल जाता है।कई स्थानीय लोग और पर्यटक दावा करते हैं कि उन्होंने रात के समय यहां अजीबो-गरीब आवाजें सुनी हैं — जैसे किसी के चीखने-चिल्लाने की, औरतों के रोने की और हथियारों के टकराने की। कुछ लोगों ने तो भूतिया परछाइयों को भी देखने का दावा किया है।

क्यों लगता है रात में प्रतिबंध?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने आधिकारिक रूप से चेतावनी लगा रखी है कि सूरज ढलने के बाद किसी को भी भानगढ़ के किले में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। इसके पीछे मुख्य कारण सुरक्षा बताया जाता है, लेकिन असल में स्थानीय कहानियाँ कुछ और ही इशारा करती हैं।लोगों का मानना है कि रात के समय किले में भूत-प्रेतों का बोलबाला होता है। अजीब घटनाओं के डर से कई लोग सूरज ढलने से पहले ही गांव छोड़ देते हैं। यहां तक कि भानगढ़ के आसपास के गांव भी मुख्य किले से थोड़ी दूरी पर बसे हैं ताकि रहस्यमयी घटनाओं से बचा जा सके।

भानगढ़ का श्राप: काले जादूगर की कहानी
भानगढ़ किले से जुड़ी सबसे चर्चित कहानी एक तांत्रिक सिंधु सेवड़ा और राजकुमारी रत्नावती की है। कहा जाता है कि रत्नावती अनुपम सुंदरता की धनी थी और अनेक राजा-महाराजाओं के विवाह प्रस्ताव ठुकरा चुकी थी। एक दिन काले जादू में निपुण सिंधु सेवड़ा ने रत्नावती को पाने के लिए जादू का सहारा लिया। लेकिन रत्नावती ने उसकी चालाकी को भांप लिया और जादुई औषधि को पलट कर सिंधु सेवड़ा पर ही प्रयोग कर दिया।कहते हैं कि मरने से पहले तांत्रिक ने भानगढ़ और रत्नावती दोनों को श्राप दिया कि यह नगर और इसका किला हमेशा उजाड़ रहेगा। उसके बाद से ही भानगढ़ किले का पतन शुरू हो गया और यह वीरान हो गया।

आज भी गूंजती हैं रहस्यमयी आवाजें
रात के समय भानगढ़ किले में कभी-कभी दरवाजे खुलने-बंद होने की आवाजें, महिलाओं के किलकारियों जैसी आवाजें और सैनिकों के चलने की ध्वनि सुनाई देने के दावे किए गए हैं। कई साहसी पर्यटकों ने यहां डरावने अनुभवों की कहानियां साझा की हैं। कुछ का कहना है कि उन्होंने अदृश्य ताकतों द्वारा धकेले जाने का अनुभव किया, तो कुछ ने बिना किसी वजह के भारीपन और डर महसूस किया।

पर्यटकों के लिए नियम
जो भी भानगढ़ घूमने जाते हैं, उन्हें कड़े नियमों का पालन करना होता है:
सूर्यास्त के बाद किले में प्रवेश सख्त वर्जित है।
बिना गाइड या प्रशासन की अनुमति के भीतर घुसना अपराध माना जाता है।
किले के अंदर कोई भी रात नहीं बिता सकता।
किसी भी प्रकार का शोरगुल, धार्मिक अनुष्ठान या तांत्रिक क्रिया करना मना है।
ये नियम केवल सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि किले से जुड़ी उन अदृश्य शक्तियों के सम्मान के तौर पर भी माने जाते हैं।

भानगढ़ की मौजूदा स्थिति
हालांकि भानगढ़ का किला एक डरावना स्थान माना जाता है, फिर भी यह एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण भी है। हर साल हजारों सैलानी यहां इतिहास और रहस्यों की खोज में आते हैं। दिन के समय किला बेहद शांत, हरा-भरा और सुंदर नजर आता है।आसपास कई प्राचीन मंदिर, महल और जल स्तंभ मौजूद हैं जो एक सुनहरे अतीत की झलक देते हैं। लेकिन जैसे-जैसे शाम का सूरज ढलने लगता है, वातावरण में एक अजीब सी सनसनी फैलने लगती है — जैसे कोई अदृश्य शक्ति आपको लगातार देख रही हो।

निष्कर्ष
भानगढ़ का किला इतिहास, रहस्य और डर का अद्भुत संगम है। चाहे आप रहस्यों में विश्वास करें या न करें, यहां की कहानी, वातावरण और अनुभव किसी को भी रोमांचित कर सकते हैं। अगर आप भी कभी भानगढ़ जाने की योजना बना रहे हैं, तो सूरज ढलने से पहले ही वहां से लौट आने की सलाह दी जाती है।

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