देहरादून, 7 सितंबर (Udaipur Kiran) । चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में तीन साै और चिकित्सकों की शीघ्र भर्ती की जाएंगी। इसके लिए विभागीय अधिकारियों को राज्य चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को अधियाचन भेजने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा विभाग में लम्बे समय से गैरहाजिर चल रहे 56 बाॅण्डधारी डाॅक्टरों की सेवाएं समाप्त कर दी गई है।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने रविवार काे एक बयान जारी कर बताया कि हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संवर्ग में चिकित्साधिकारी (बैकलॉग) के 220 पदों पर डाॅक्टरों की भर्ती की गई, जिनको प्रदेश के सुदूरवर्ती स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनाती भी दे दी गई है। इसके अलावा विभाग में चिकित्सकों के करीब तीन साै पद रिक्त पड़े हैं। इन पदों पर शीघ्र भर्ती के लिए विभागीय अधिकारियों को रोस्टर तैयार कर उत्तराखंड चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड को अधियाचन भेजने के निर्देश दे दिये गये हैं, ताकि चयन बोर्ड समय पर भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न कर विभाग को नये चिकित्सक उपलब्ध हाे सकें।
विभागीय मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में बेहतर हेल्थ सिस्टम तैयार करने में जुटी है, जिसके तहत सरकार सुदूरवर्ती क्षेत्रों की स्वास्थ्य इकाईयों में ढ़ांचागत व्यवस्थाओं से लेकर चिकित्सकों की तैनाती भी कर रही है, ताकि आमजन को निकटतम अस्पतालों में बेहतर उपचार सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा सरकार ऐसे कार्मिकों को बाहर का रास्ता भी दिखने से गुरेज नहीं कर ही है जो अपनी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह हैं।
उन्हाेंने बताया कि सरकार ने विगत माह राजकीय मेडिकल काॅलेजों से पासआउट 234 गैरहाजिर बाॅण्डधारी चिकित्सकों के विरूद्ध वसूली के साथ ही बर्खास्तगी की कार्रवाई के निर्देश अधकारियों को दिये थे। जिसके फलस्वरूप गयाब चल रहे 178 चिकित्सकों ने वापस विभाग में ज्वाइनिंग दे दी है, जबकि 56 चिकित्सकों ने अंतिम चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया। इन सभी गैरहाजिर 56 चिकित्सकों को बर्खास्त कर दिया गया है। साथ ही चिकित्सा शिक्षा के निदेशक को गैरहाजिर सभी चिकित्सकों से बाण्ड की शर्तों के अनुरूप बाण्ड की धनराशि वसूलने के निर्देश भी दिये हैं।
मंत्री ने बताया कि प्रदेश के राजकीय मेडिकल काॅलेजों में एक अनुबंध के तहत छात्र-छात्राओं को न्यूनतम फीस में एमबीबीएस पढ़ाई कराई जाती है। इस अनुबंध के तहत इन छात्र-छात्राओं को एमबीबीएस की पढ़ाई सम्पन्न होने के बाद सूबे के पर्वतीय जनपदों के चिकित्सा इकाईयों में 5 वर्षों की सेवाएं देना अनिवार्य है। ऐसा न करने की स्थिति में इन चिकित्सकों को बाण्ड में निर्धारित धनराशि जमाकर विभाग से एनओसी लेनी होती है, तभी इन्हें इनके शैक्षिक प्रमाण पत्र लौटाये जाते हैं। अनुबंध की शर्तों का पालन न करने पर चिकित्सकों से बांड में निर्धारित धनराशि वसूलने का प्रावधान है।
(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार
You may also like
Operation Sindoor: आतंकियों में ऑपरेशन सिंदूर का खौफ, पीओके छोड़ अब भाग रहे इस जगह
EPFO: पीएफ खाताधारकों को मिली ये नई सुविधा, आसान हुआ ये काम
इसे जंग लगे लोहे के तवे पर रगड़ें और यह मात्र 2 मिनट में चमक उठेगा
फिरोज नाडियावाला ने नेटफ्लिक्स और TGIKS पर किया ₹25 करोड़ का केस, कहा- दो दिन में पैसा दें और माफी मांगे
Garena Free Fire Max के लिए आज के रिडीम कोड्स: 20 सितंबर 2025