रांची, 05 नवंबर( हि.स.). Jharkhand के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि अनुराग गुप्ता का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया गया है. नए डीजीपी के पद की दौड़ में राज्य के तीन सीनियर आईपीएस अधिकारी प्रशांत सिंह, एमएस भाटिया और अनिल पालटा के नाम पर चर्चा हैं.
वहीं दूसरी तरफ नए डीजीपी को लेकर भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. बताया जा रहा है कि सीनियर आईपीएस अधिकारी प्रशांत सिंह, एमएस भाटिया या अनिल पालटा राज्य के नए डीजीपी हो सकते हैं. प्रशांत सिंह 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और फिलहाल डीजी मुख्यालय के पद पर तैनात हैं. वहीं एमएस भाटिया 1993 बैच के आईपीएस हैं और फिलहाल डीजी अग्निशमन विभाग के पद पर तैनात हैं, जबकि अनिल पालटा 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.
उल्लेखनीय है कि अनुराग गुप्ता का डीजीपी के पद पर का पूरा कार्यकाल चर्चा का विषय रहा. डीजीपी पद पर उनके पदस्थापन और फिर एक्सटेंशन को लेकर लगातार विवाद सामने आता रहा. यूपीएससी ने तो अनुराग गुप्ता को Jharkhand का डीजीपी माना ही नहीं. Jharkhand विधानसभा चुनाव के पहले अनुराग गुप्ता को Jharkhand का प्रभारी डीजीपी बनाया गया था, लेकिन चुनाव आयोग के निर्देश पर उन्हें डीजीपी के पद से हटा दिया गया था. लेकिन विधानसभा चुनाव खत्म होते ही सरकार ने उन्हें फिर से Jharkhand का डीजीपी बना दिया. 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता की पहचान एक तेज तर्रार आईपीएस अफसर के रूप में रही है. लेकिन विवादों ने उनका कभी पीछा नहीं छोड़ा.
डीजीपी अनुराग गुप्ता के एक्सटेंशन पर Indian जनता पार्टी शुरू से ही सवाल खड़ा करती रही है. राज्य सरकार के जरिये केंद्रीय गृह मंत्रालय से मांगी गई अनुमति को ठुकराए जाने के बाद से यह मामला जोर पकड़ता चला गया और बाबूलाल मरांडी की ओर से Jharkhand उच्च न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक डीजीपी नियुक्ति को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी जाती रही.
देर आए दुरुस्त आए: सीपी सिंह
वहीं इस संबंध में भाजपा विधायक सीपी सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए इस मामले में टिप्पणी करते हुए डीजीपी के फैसले को देर आए दुरुस्त आए बताया है. उन्होंने कि इतनी फजीहत के बाद इस्तीफा देना आश्चर्यजनक बात है. उन्होंने कहा कि पद इतना बड़ा है कि डीजीपी रहकर इसमें सारा खेला होता है. उन्होंने कहा कि जो भी डीजीपी रहेगा, बंधी-बंधाई रकम कोयला घोटाला से लेकर तरह-तरह के पैसे मिलते हैं. उन्हें इसके लिए कुछ भी नहीं करना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपये की कमाई को कोई छोड़ना चाहता है क्या, कहीं ना कहीं कोई डील में गड़बड़ी जरूर हुई होगी, भगवान ना करें कि इन्हें भी जेल जाना पड़े. इसकी वे कामना करते हैं. उन्होंने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि रिटायरमेंट के बाद इतने दिनों तक वे इस पद पर बने रहे. डीजीपी पर कैग ने भी टिप्पणी की थी. इसके बावजूद वे अपने पद बन रहे, इसके पीछे न जाने क्या लस्ट था.
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
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