शिमला, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान गुरूवार को प्रश्नकाल के समय प्रदेश में लगाए जा रहे विभिन्न सैस को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की। जसवां-प्रागपुर से भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर के सवाल पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। विपक्ष ने जहां सैसों की संख्या, उनकी पारदर्शिता और प्रभाव पर सवाल उठाए, वहीं उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार सैस के नाम पर आम जनता पर कोई अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं डालेगी और इन सैसों से प्राप्त राशि को केवल जनहित व कल्याणकारी कार्यों में ही खर्च किया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने सदन को जानकारी दी कि वर्तमान में प्रदेश में कुल 10 प्रकार के सैस लगाए जा रहे हैं, जिनसे अब तक सरकार को 762 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि इन सैसों में से कई पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में लगाए गए थे और कुछ वर्तमान सरकार ने जनहित में लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी भी सैस से आम आदमी पर बोझ न पड़े और सैस का भार मुख्य रूप से बड़े उद्योगपतियों, शराब कारोबारियों और ठेकेदारों पर ही डाला गया है।
विधायक बिक्रम ठाकुर ने सवाल उठाया कि प्रदेश में लगाए गए 10 सैसों की प्रतिशतता और उपयोगिता स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कोविड सैस और एंबुलेंस सेवा फंड सैस समेत अन्य सैसों की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए पूछा कि कोविड सैस अब खत्म हो गया है, तो उस सैस से एकत्रित राशि का क्या होगा? इसके साथ ही उन्होंने चंबा जिले में एंबुलेंस सेवा की खराब स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि एंबुलेंस सेवा फंड के बावजूद लोगों को निजी खर्च पर एंबुलेंस सेवा लेनी पड़ रही है।
इस पर उपमुख्यमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि कोविड सैस पूर्व भाजपा सरकार ने लगाया था, जिससे 145 करोड़ रुपये एकत्रित हुए थे। उन्होंने कहा कि जैसे ही कोविड का खतरा टला, सरकार ने यह सैस समाप्त कर दिया, लेकिन इस सैस से एकत्रित शेष राशि को अब भी उसी मद में खर्च किया जाएगा। उन्होंने बताया कि गोवंश विकास निधि के लिए शराब पर लगाया गया सैस भी पिछली सरकार द्वारा ही लागू किया गया था, जिससे 65 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
उपमुख्यमंत्री ने सदन में स्पष्ट किया कि अधिकतर सैस शराब की बिक्री पर लगाए गए हैं, जिससे शराब की कीमतें जरूर बढ़ी हैं, लेकिन ऐसे सैस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसका सीधा असर समाज के सामान्य वर्ग पर नहीं पड़ता। उन्होंने यह भी कहा कि वित्त विभाग सैस के खर्च को लेकर एक सख्त एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार कर रहा है, ताकि इन सैसों से प्राप्त राजस्व का उपयोग केवल निर्धारित और पारदर्शी ढंग से किया जा सके।
विपक्षी सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि माइनिंग पर लगाए गए सैस से रेत और बजरी की कीमतों में वृद्धि हुई है और बिजली के बिलों पर भी सैस लगाए जाने से आम आदमी प्रभावित हो रहा है। इस पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की मंशा किसी भी तरह से आम जनता पर आर्थिक भार डालने की नहीं है। उन्होंने कहा कि रेत-बजरी की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे और बिजली पर लगाए गए सैस का असर आम जनता पर न हो, इस दिशा में सरकार विचार कर रही है। उन्होंने दोहराया कि सैस मुख्यतः ठेकेदारों, शराब व्यवसायियों और बड़े उद्योगों पर लगाए गए हैं और इनसे प्राप्त धनराशि को केवल जनकल्याण में ही लगाया जाएगा।
नैना देवी से भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने भी सैस को लेकर सवाल उठाया और कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए कुल 10 सैसों में से 5 सैस वर्तमान सरकार द्वारा लागू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि रेत-बजरी और बिजली पर सैस बढ़ने से आम आदमी पर सीधा असर हो रहा है। साथ ही उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि गोवंश विकास निधि के सैस के बावजूद पिछले तीन माह से गौशालाओं को भुगतान नहीं हुआ है।
इस पर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार आम आदमी की सरकार है और उसकी पहली प्राथमिकता जनता को राहत देना है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि गौवंशों के लिए फंड की राशि को सरकार ने बढ़ाया है और जल्द ही इसका वितरण सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि कोई ऐसा निर्णय नहीं लिया जाएगा जिससे सामान्य नागरिक पर वित्तीय दबाव बढ़े।
इससे पहले सदन में उपमुख्यमंत्री ने मूल सवाल के जवाब में बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए 10 सैसों में पंचायती राज संस्था सैस, मोटर वाहन सैस, गोवंश विकास निधि सैस, एंबुलेंस सेवा फंड सैस, कोविड सैस, मिल्क सैस, प्राकृतिक खेती सैस, दुग्ध उपकर, पर्यावरण सैस और लेबर सैस शामिल हैं। इनमें से पंचायती राज संस्था सैस से 153 करोड़, मोटर वाहन सैस से 185 करोड़, गोवंश विकास निधि से 65.35 करोड़, एंबुलेंस सेवा फंड सैस से 16.97 करोड़, मिल्क सैस से 112 करोड़, प्राकृतिक खेती सैस से 21.78 करोड़, कोविड सैस से 145 करोड़, दुग्ध उपकर से 21 लाख, विद्युत बिलों पर मिल्क और पर्यावरण सैस से 10.80 करोड़ तथा लेबर सैस से 50.4 करोड़ रुपये सरकार को प्राप्त हुए हैं।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि एंबुलेंस सेवा फंड सैस से प्राप्त 16.97 करोड़ रुपये से प्रदेश के विभिन्न जिलों में 50 आपातकालीन एंबुलेंस खरीदी गई हैं। इनमें मंडी और शिमला जिलों में 10-10, कांगड़ा में 9, सिरमौर में 5, सोलन में 4, बिलासपुर व कुल्लू में 3-3, उना और किन्नौर में 2-2 और हमीरपुर में एक एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई है, जबकि चंबा जिले में कोई भी एंबुलेंस नहीं खरीदी गई है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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