जोधपुर, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु के लिए मनाया जाने वाला बछ बारस का पर्व आज उल्लासपूर्वक मनाया गया। सुबह माताओं ने गाय और बछड़े की पूजा अर्चना की और अपने बेटों के माथे पर तिलक लगाया। पुत्रों को मिष्ठान खिलाकर मुंह मीठा करवाया गया। माताओं ने आज घर की सुख शांति एवं समृद्धि के लिए व्रत भी रखा। सुबह ही माताओं की लंबी लाइनें गाय और बछड़ों की पूजा अर्चना में देखी गई।
यह पर्व मां और संतान के बीच वात्सल्य भाव का प्रतीक माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से बछड़े वाली गाय की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्योत्सव के बाद आने वाला यह पर्व गोवर्धन पूजन की परपरा से भी जुड़ा हुआ है। इस दिन महिलाएं विशेष व्रत रखती हैं।
चाकू का परित्याग, धान की रोटी बाजरी का सेवन :
परपरानुसार गेहूं से बने धान, गाय के दूध से बने व्यंजन और चाकू से कटी सब्जियों का परित्याग किया जाता है। घर-घर में बाजरे की रोटी और मोठ-चने की सब्जी का पारपरिक भोजन बनाया जाता है। यह सादा आहार व्रत की शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक है। सुबह सबसे पहले गाय और उसके बछड़े का पूजन कर उन्हें चारा खिलाया गया। इसके बाद माताएं अपने पुत्र-पौत्रों को आशीर्वाद देने की अनूठी रस्म निभाती हैं। पर्व की सबसे भावुक परपरा यह है कि बच्चे मां के हाथ से बने लड्डू खाते हैं और चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं। हर उम्र के बच्चों में इस दिन विशेष उत्साह रहता है। गो-सेवा और सामाजिक आयोजन: बछ-बारस के अवसर पर गोशालाओं में भी विशेष पूजन किया जाता है। भक्तजन गो-सेवा और दान-पुण्य का कार्य कर पुण्य अर्जित करते हैं।
(Udaipur Kiran) / सतीश
You may also like
बोकारो में इलेक्ट्रो स्टील प्लांट में रोजगार की मांग पर प्रदर्शन, लोगों और पुलिस में झड़प, थाना प्रभारी घायल
हजारीबाग : नवजात और मौसी की सड़क हादसे में मौत, विरोध में रांची-पटना हाईवे जाम
पूर्व दिग्गज ने दिया बड़ा बयान, कहा- भारत-पाक एशिया कप मैच पर सरकार के फैसले का पालन करेंगे बीसीसीआई और खिलाड़ी
बुरा समय आने से पहले छिपकली देती हैं ये संकेत जरूरˈ जानें वरना बहुत पछताएंगे
ब्रेकअप लेटर: प्रेमी बोला- मेरी गलतियों को बड़ा भाई समझकर माफˈ कर देना तुम जैसी चालाक लड़की..