-सीईईडब्ल्यू संवाद में विशेषज्ञों ने एकजुटता और ग्लोबल साउथ के नेतृत्व पर दिया जोर
नई दिल्ली, 2 सितंबर (Udaipur Kiran) । ब्राजील के बेलेम में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र वार्षिक जलवायु सम्मेलन कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कोप30 ) के नामित अध्यक्ष आंद्रे अराना कोया द लागो ने कहा कि जैसे-जैसे हम बेलेम (कॉप30) के नजदीक आ रहे हैं। इससे विभिन्न हितधारकों जैसे नागरिक समाज, विकासशील, विकसित देश और व्यवसायिक समाज की अपनी-अपनी अपेक्षाएं हैं। कॉप30 के लिए चुनौती यह है कि एक ऐसा संतुलन खोजा जाए, जो जलवायु प्रबंधन को मजबूत बनाए। इस कॉप को सभी प्रशासन के लिए अपने दरवाजे खोलने चाहिए, जो कार्यान्वयन के लिए बहुत आवश्यक होंगे। हमारे पास पहले से ही 500 से अधिक पहल और प्रतिज्ञाएं मौजूद हैं, जिनमें से लगभग 300 अभी भी सक्रिय हैं। बेलेम में आयोजित होने वाले कॉप 30 का कार्यान्वयन होना चाहिए। यह सिर्फ बातचीत के लिए ही नहीं है बल्कि एक कार्य योजना के माध्यम से परिणामों को भी प्रदर्शित करने के बारे में है, जो एकजुटता से ही संभव है। वे मंगलवार को काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) और ब्राजील के दूतावास द्वारा नई दिल्ली में ‘कॉप 30 कन्वर्सेशंस: द अल्केमी ऑफ सॉलिडेरिटी’ पर अपना वक्तव्य दे रहे थे। पूरे दिन चले इस संवाद को विश्व बैंक, कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) इंडिया क्लाइमेट कोलैबोरेटिव, जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी और प्लेटाफॉर्मा सीआईपीओ के साथ साझेदारी में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर कॉप 30 के सीईओ एना टोनी ने कहा कि कॉप30 चार स्तंभों पर टिका है- शिखर सम्मेलन, बातचीत, एक्शन एजेंडा और कार्यान्वयन के लिए वित्तीय जुटाना। पेरिस समझौते के बाद एक दशक की बातचीत और बाकू में नियम तैयार होने के बाद, अब इस बार वास्तविक निर्णयों का कार्यान्वयन होने की संभावना है। इसके लिए न केवल राजनयिकों, बल्कि ऊर्जा, परिवहन, कृषि और अन्य मंत्रियों की भी आवश्यकता है, जो सभी पहलुओं से अच्छी तरह रुबरू हैं। इस कॉप को 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक लक्ष्य पर सहमत होकर, प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान को सक्षम करके उसे लागू करने की दिशा में बढ़कर एकजुटता को मजबूत बनाना चाहिए।
सत्र का संचालन करते हुए, सीईईडब्ल्यू के संस्थापक-सीईओ और दक्षिण एशिया के लिए कॉप30 के विशेष दूत डॉ. अरुणाभा घोष ने कहा कि वैश्विक सहयोग के लिए एक मुश्किल वर्ष में, यह संवाद इस बात की पुष्टि करता है कि एकजुटता आवश्यक है। भारत और ब्राजील इस समय के केंद्र में खड़े हैं, जो न केवल बातचीत बल्कि समाधानों को भी आकार दे रहे हैं। जलवायु नेतृत्व केवल एक व्यक्ति के हाथों से पहना जाने वाला ताज नहीं है बल्कि इसमें इच्छा और एक साझे उद्देश्य के साथ सामूहिकता होनी चाहिए। हम द्विपक्षीय साझेदारियां और काम करने के लिए स्मार्ट गठबंधन कर सकते हैं। किसी काम को पूरा करना ही बहुपक्षवाद में विश्वास का फिर से र्निर्माण करेगा।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसीसीकोप -30) का आयोजन 10 से 21 नवंबर 2025 के बीच ब्राज़ील के बेलेम शहर में किया जाएगा। यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने और जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देने पर केंद्रित रहेगा।
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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी
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