Delhi में हाल ही में हुई भारी बारिश ने शहर के कई हिस्सों को जलमग्न कर दिया है, और इसका सबसे ज्यादा असर खेल के मैदानों पर पड़ा है। राजधानी के कई प्रमुख स्पोर्ट्स ग्राउंड्स पानी में डूब गए हैं, जिससे स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजनों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। खिलाड़ी, कोच और आयोजक सभी इस प्राकृतिक आपदा के कारण परेशान हैं। आइए, जानते हैं कि दिल्ली के खेल जगत पर इस बाढ़ ने क्या असर डाला है और इससे उबरने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
खेल के मैदान हुए जलमग्नदिल्ली के यमुना नदी के किनारे बने कई स्पोर्ट्स ग्राउंड्स, जैसे कि कश्मीरी गेट और मजनू का टीला के पास के मैदान, पूरी तरह पानी में डूब गए हैं। भारी बारिश और यमुना के बढ़ते जलस्तर ने इन मैदानों को कीचड़ और गंदगी का अड्डा बना दिया है। क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी जैसे खेलों के लिए मशहूर ये ग्राउंड्स अब खेलने लायक नहीं बचे हैं। स्थानीय क्लबों का कहना है कि मैदानों को दोबारा तैयार करने में कम से कम दो से तीन हफ्ते लग सकते हैं।
टूर्नामेंट्स पर पड़ा असरइस बाढ़ ने दिल्ली में होने वाले कई बड़े टूर्नामेंट्स को भी प्रभावित किया है। दिल्ली प्रीमियर लीग (डीपीएल) और जूनियर फुटबॉल चैंपियनशिप जैसे आयोजनों को या तो स्थगित करना पड़ा है या फिर दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा है। आयोजकों का कहना है कि वैकल्पिक मैदानों की कमी और बाढ़ से हुए नुकसान ने उनकी तैयारियों पर पानी फेर दिया है। खिलाड़ियों और उनके परिवारों में भी निराशा है, क्योंकि कई युवा खिलाड़ी इन टूर्नामेंट्स में अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
खिलाड़ियों की मेहनत पर संकटस्थानीय खिलाड़ियों के लिए ये बाढ़ किसी बड़े झटके से कम नहीं है। दिल्ली के कई युवा खिलाड़ी, जो इन मैदानों पर रोजाना प्रैक्टिस करते हैं, अब अपने प्रशिक्षण के लिए जगह तलाश रहे हैं। कोच रमेश शर्मा ने बताया, “हमारे बच्चे सुबह-शाम इन मैदानों पर मेहनत करते थे, लेकिन अब पानी और कीचड़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया।” कई खिलाड़ी अब निजी स्टेडियम या दूर के मैदानों में प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं, जो उनके लिए महंगा और समय लेने वाला है।
सरकार और प्रशासन का रुखदिल्ली सरकार और स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने मैदानों से पानी निकालने और सफाई के लिए विशेष टीमें बनाई हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों और खेल संगठनों का कहना है कि राहत कार्यों की गति धीमी है और इसे तेज करने की जरूरत है। कुछ खेल संगठनों ने सरकार से मांग की है कि प्रभावित मैदानों को जल्दी ठीक करने के लिए विशेष बजट आवंटित किया जाए।
आगे की राहजलवायु परिवर्तन और अनियोजित शहरीकरण को इस बाढ़ की बड़ी वजह माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में ड्रेनेज सिस्टम को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सके। खेल प्रेमियों और खिलाड़ियों को उम्मीद है कि जल्द ही उनके पसंदीदा मैदान फिर से हरे-भरे होंगे और खेल का जुनून दोबारा लौटेगा। तब तक, दिल्ली का खेल जगत इस मुश्किल वक्त से जूझ रहा है, लेकिन हार मानने को तैयार नहीं है।
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