केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! मोदी सरकार जल्द ही 8वां वेतन आयोग लागू करने की योजना बना रही है। इस साल की शुरुआत में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस आयोग के गठन को हरी झंडी दे दी थी। अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकता है। इससे करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 69 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा। आइए, इस बड़े फैसले के बारे में विस्तार से जानते हैं।
वेतन आयोग का इतिहास और उसका मकसदवेतन आयोग का गठन सरकारी कर्मचारियों के वेतन को महंगाई और उनके जीवन स्तर के हिसाब से तय करने के लिए होता है। यह आयोग समय-समय पर कर्मचारियों की सैलरी, भत्तों और पेंशन को रिवाइज करता है। आइए, एक नजर डालते हैं पिछले कुछ वेतन आयोगों पर:
पहला वेतन आयोग 1947 में शुरू हुआ था, जिसका मकसद था कर्मचारियों को पर्याप्त वेतन देना। छठा वेतन आयोग 2006 में आया, जिसने ‘समान काम, समान वेतन’ की नीति को मजबूत किया। सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ, जिसका फोकस था मेधावी लोगों को सरकारी नौकरियों की ओर आकर्षित करना। अब 8वां वेतन आयोग इस सिलसिले को और आगे ले जाएगा।
पिछले वेतन आयोगों का फोकस सिर्फ सैलरी और भत्तों पर था, लेकिन इस बार सरकार ने 8वें वेतन आयोग के लिए नियम (TOR) को और व्यापक कर दिया है।
नया दायरा: अब आयोग को सिर्फ वेतन ही नहीं, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति, सरकारी खर्च, राज्यों की वित्तीय हालत और निजी कंपनियों के वेतन ढांचे को भी ध्यान में रखना होगा। इसका मतलब है कि यह आयोग न सिर्फ कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने, बल्कि देश की आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने पर भी काम करेगा।
मकसद: इस बार का वेतन आयोग सिर्फ सैलरी बढ़ाने का मसला नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य समग्र आर्थिक संतुलन बनाना भी है।
क्या आपकी सैलरी तीन गुना बढ़ जाएगी? ऐसा होने की संभावना बहुत कम है। सैलरी में बढ़ोतरी का पूरा गणित फिटमेंट फैक्टर पर टिका है।
फिटमेंट फैक्टर क्या है? आसान शब्दों में, फिटमेंट फैक्टर एक ऐसा गुणांक है, जिसे पुरानी बेसिक सैलरी से गुणा करके नई सैलरी तय की जाती है। सातवें वेतन आयोग में यह 2.57 था।
क्या है अनुमान? 8वें वेतन आयोग के लिए फिटमेंट फैक्टर 2.28 से 2.86 या ज्यादा से ज्यादा 3 तक हो सकता है। लेकिन पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग का कहना है कि सरकार इस बार सावधानी बरत सकती है और फिटमेंट फैक्टर 1.92 के आसपास रह सकता है।
नीचे दी गई तालिका में फिटमेंट फैक्टर के आधार पर न्यूनतम बेसिक सैलरी का अनुमान देखें:
सातवां वेतन आयोग (2.57): ₹18,000
अनुमानित (2.86): ₹51,480
पूर्व वित्त सचिव का अनुमान (1.92): ₹34,560
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर फिटमेंट फैक्टर 2.46 हुआ, तो अलग-अलग लेवल्स पर बेसिक सैलरी में बढ़ोतरी का अनुमान कुछ इस तरह है:
लेवल 1: ₹18,000 से बढ़कर ₹44,280
लेवल 2: ₹19,900 से बढ़कर ₹48,974
लेवल 3: ₹21,700 से बढ़कर ₹53,466
लेवल 5: ₹29,200 से बढ़कर ₹71,923
लेवल 7: ₹44,900 से बढ़कर ₹1,10,054
आपकी कुल सैलरी में सिर्फ बेसिक सैलरी ही नहीं, बल्कि कई भत्ते भी शामिल होते हैं। इनमें शामिल हैं:
बेसिक सैलरी: यह आपकी मूल सैलरी है।महंगाई भत्ता (DA): यह महंगाई के हिसाब से हर 6 महीने में बढ़ता है।
मकान किराया भत्ता (HRA): मेट्रो शहरों में ज्यादा, छोटे शहरों में कम।
यात्रा भत्ता (TA): ऑफिशियल यात्रा या दफ्तर आने-जाने का खर्च।
उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी बेसिक सैलरी ₹18,000 से बढ़कर 2.86 फिटमेंट फैक्टर के साथ ₹51,480 हो जाती है, तो DA, HRA और TA जैसे भत्ते जोड़ने के बाद आपकी मासिक सैलरी करीब ₹70,000 तक हो सकती है।
सरकारी खजाने पर कितना बोझ?8वां वेतन आयोग लागू होने से सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा। सातवें वेतन आयोग में यह खर्च करीब 1 लाख करोड़ रुपये था। इस बार यह रकम 1.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकती है। इस खर्च को पूरा करने के लिए सरकार जीएसटी, कॉर्पोरेट टैक्स, विनिवेश और सार्वजनिक उपक्रमों के मुनाफे पर निर्भर करेगी।
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