Next Story
Newszop

अंतिम संस्कार के पैसे न होने से 3 दिन घर में पड़ा रहा पिता का शव, दो मुस्लिम भाइयों ने दिखाई इंसानियत की मिसाल!

Send Push

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जो समाज की कड़वी हकीकत को सामने लाती है। यह कहानी इंसानियत की कमी और कुछ लोगों के बड़े दिल को दर्शाती है। नौतनवा कस्बे के राजेंद्र नगर में रहने वाले लव कुमार पटवा की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई। उनकी पत्नी पहले ही दुनिया छोड़ चुकी थी। उनके तीन मासूम बच्चे—14 साल का राजवीर, 10 साल का देवराज और एक छोटी बेटी—पिता के अंतिम संस्कार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो गए।

तीन दिन तक घर में पड़ा रहा शव

लव कुमार की मौत के बाद उनके परिवार के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे। तीन दिन तक शव घर में ही पड़ा रहा। इस दौरान न तो पड़ोसियों ने मदद की, न ही रिश्तेदारों ने हाथ बढ़ाया। स्थानीय नगर पालिका ने भी कोई सहायता नहीं की। हारकर, मासूम बच्चों ने अपने पिता की लाश को ठेले पर रखकर नदी में प्रवाहित करने का फैसला किया। यह दृश्य दिल दहला देने वाला था, जब छोटे-छोटे बच्चे रोते-बिलखते अपने पिता की लाश को ठेले पर लेकर चल पड़े।

इंसानियत की सच्ची मिसाल

रास्ते में कई लोग इन बच्चों को देखकर भी अनदेखा कर गए। लेकिन तभी दो मुस्लिम भाई, राशिद कुरैशी और वारिस कुरैशी, ने इंसानियत की ऐसी मिसाल पेश की, जो हर किसी का दिल जीत ले। दोनों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर लकड़ी और अंतिम संस्कार के लिए जरूरी सामान का इंतजाम किया। इतना ही नहीं, उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार लव कुमार पटवा का अंतिम संस्कार करवाया। इन दोनों भाइयों की इस नेकदिली ने समाज को एक बड़ा संदेश दिया है कि इंसानियत धर्म और जाति से ऊपर है।

Loving Newspoint? Download the app now